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देश में सबसे पहली बार पुणे में मनाया गया 'पैदल यात्री दिवस'
सड़कों पर पैदल चलने वालों के लिए आज कोई जगह नहीं रह गई है। पहले सड़कों पर लोग पैदल ही चलते थे। धीरे धीरे सड़कों पर जानवरों और मानवों द्वारा खींचे जाने वाले पहिए वाले वाहन चलने लगे। इसके बाद मोटर वाहनों का दौर आया तो सड़कों पर पैदल चलने वाले के लिए जगह ही नहीं बची रह गई है। अब लोगों को सड़कों पर पैदल चलने वालों के लिए जगह की मांग की जाने लगी है। इसके लिए विभिन्न अभियानों के साथ आंदोलन भी शुरू हो गए हैं। इसकी शुरुआत महाराष्ट्र के पुणे से हुई है। इसके लिए पुणे नगरपालिका के महापौर सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पहल की। वास्तव में इस तरह का प्रयास देश में पहली बार किया गया, जो सड़कों पर और आम लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सहायक होंगे।
महाराष्ट्र के प्रमुख और देश का छटा बड़ा शहर के रूप मै शुमार किए जाने वाले पुणे शहर में 11 दिसंबर को 'पैदल यात्री दिवस' मनाया गया। मानवीय सरोकार को महत्व देते हुए स्थानीय प्रशासन ने लोगों के सहयोग से सड़कों पर वाहनों की आवाजाही रोकी गई। सड़कों पर पैदल चलने वालों का राज हो गया। इसके लिए सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक यहां के बहुत भीड़ भाड़ वाले लक्ष्मी रोड पर किसी भी निजी वाहन को गुजरने की अनुमति नही दी गई । पुणे नगर निगम ने लक्ष्मी रोड पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ताकि पूरे देश में 11 जनवरी 2022 में राष्ट्रीय पैदल यात्री दिवस मनाना सुनिश्चित किया जा सके।
पुणे के महापौर मुरलीधर मोहोल का कहना है कि नागरिकों को पैदल यात्री दिवस का महत्व समझना चाहिए। इसलिए इस दिन निजी वाहनों का प्रयोग न करें। लंबी दूरी की यात्रा के लिए सार्वजनिक वाहनों का ही प्रयोग करें। अगर आप निजी वाहनों का उपयोग करना भी चाहते हैं तो उन्हें लक्ष्मी रोड पर न लाये आप वहां से कुछ दूरी पर इन्हें पार्क कर सकते हैं। नागरिकों से भी पैदल यात्री दिवस मनाने की अपील की गई थी।
पुणे का लक्ष्मी रोड पुणे वासियों या पुणेकर का पसंदीदा बाजार है। हफ्ते भर इस रोड पर लोगों की खासी भीड़ देखने को मिलती है। शहर के लक्ष्मी रोड बाजार में कपड़े और बर्तनों की कई दुकानें हैं। इसलिए रोजमर्रा के सामान की खरीद के लिए यहां लोगों की अच्छी भीड़ रहती है। इस वजह से यह सड़क हमेशा जाम रहता है। लेकिन शनिवार (11 दिसंबर 2021) को यह सड़क सिर्फ पैदल चलने वालों के लिए ही खुली रही। स्थानीय लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए एक दिन पहले ही पुणे के मेयर मुरलीधर मोहोल ने एक ट्वीट कर जानकारी दी।
मुरलीधर मोहोल ने अपने ट्वीट में लिखा, 'पुणे पैदल यात्री दिवस मनाने वाला देश का पहला शहर होगा। हम पैदल चलने वालों को प्रोत्साहित करने और उन्हें इसके महत्व को समझाने के मकसद से पुणे नगर निगम के माध्यम से शनिवार (11 दिसंबर) को पुणे में 'पैदल यात्री दिवस' मनाने जा रहे हैं। शनिवार को लक्ष्मी रोड यातायात और पार्किंग के लिए पूरी तरह बंद रहेगा।' बता दें कि पुणे के मेयर ने 'सेव पुणे ट्रैफिक मूवमेंट' (एसपीटीएम) के साथ मिलकर शहर में पैदल यात्री दिवस घोषित किया। 2011 की जनगणना के अनुसार सभी यात्राओं में से एक तिहाई यात्रा तो हम पैदल ही करते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक चलती हैं।
एनएसओ (राष्ट्रीय सांख्यिकी संगठन) के अनुसार देश के लगभग 60 प्रतिशत बच्चे पैदल ही स्कूल जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी पैदल चलने वालों के बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। हालांकि पैदल चलने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क दुर्घटना के आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में मरने वाले 17 प्रतिशत लोग पैदल चलने वाले होते हैं। 2019 में 25 हजार 858 यात्री इस तरह मारे गए थे। हालांकि पांच वर्षो में ये संख्या 85 प्रतिशत तक बढ़ चुक हैं।
भारत में पिछले तीन साल में सड़क हादसों में लगभग 72 हजार पैदल राहगीरों ने अपनी जान गंवाई है। यानी बीते तीन साल में प्रतिदिन औसतन 65 से अधिक पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं का शिकार हुए, लेकिन सड़क पर इस तरह से दम तोड़ने वालों को बचाने के लिए सरकार ने आज तक इसका अध्ययन करना जरूरी नहीं समझा है। हालांकि, हादसों के लिए सरकार पैदल राहगीरों को नियम नहीं मानने का दोषी मानती है, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशों में सड़क पार करने का पहला हक पैदल राहगीर का होता है।
उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसद बृजलाल द्वारा गत दिवस राज्यसभा में सड़क दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों की मौत के बारे में पूछे एक सवाल पर सरकार ने लिखित जवाब में बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में सड़क हादसों में 22,665 पैदल राहगीरों की मौत हुई, जो कि उस साल सड़क हादसों में कुल मृतकों 1,51,417 का 14.97 फीसदी था। वहीं 2019-20 में पैदल राहगीरों की मृतकों की संख्या 25,858 (कुल मृतकों का 17.11 फीसदी) व 2020-21 में पैदल चलने वालों की मरने वालों की संख्या 23,483 (17.83 फीसदी) रही। इस प्रकार तीन साल में देश में 71,997 पैदल यात्री सड़क दुर्घटनाओं में मारे
पैदल यात्री दिवस जैसे अभियान चलने से पैदल चलने वालों की ओर सड़क निर्माताओं का इसके लिए नीति निर्धारकों का ध्यान जाएगा और आम लोगों में भी जागृति आएगी। सड़कों पर राहगीरों की मौतों में कमी आएगी। सामाजिक और आर्थिक नुकसान पर रोक लगेगी।
इस अभियान के समन्वयक सूरज जयपुरकर का कहना है कि पैदल चलने वालों की मौत में हो रही निरंतर वृद्धि को उजागर करने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। सड़कों और पास पड़ोस में पैदल चलने की व्यवस्था को मजबूत , सुरक्षित और समावेशी बनाया जाना चाहिए ताकि यह सभी प्रकार के सड़क उपयोगकर्ताओं को समायोजित कर सके, बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों तक। अभियान से जुड़े रंजीत गाड़गिल का कहना है कि राष्ट्रीय दिवस किसी मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाने ,कार्य के जरिए जमीनी समर्थन जुटाने, मीडिया का ध्यान आकृष्ट करने और इस तरह इसे लागू करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति पैदा करने के अवसरों के रूप में उपयोग होते हैं। सस्टेनेबल अर्बन मोबिलिटी नेटवर्क के राजेंद्र रवि के मुताबिक 11 जनवरी 2022 को राष्ट्रीय पैदल यात्री दिवस घोषित करने की मांग को लेकर सितंबर से ही अभियान पूरे देश भर में चल रहा है ताकि 11 जनवरी को राष्ट्रीय पैदल यात्री दिवस मनाया जाना सुनिश्चित किया जा सके। पुणे ने इसकी शुरुआत कर अनुकरणीय कदम उठाया है। इस कारण भी पुणे मानवीय सरोकारों को महत्व देने वाले शहर के रूप में हमेशा शुमार किया जाएगा।