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- पर्यावरण संरक्षण हेतु,...
जैसा कि आप अवगत ही हैं कि ग्लोबल वार्मिग के कारण पृथ्वी का तापमान तो बढ़ ही रहा है। साथ ही साथ लोगों द्वारा किये जा रहे झगड़े, उपद्रव एवम् अशान्ति लोगो के बढ़े तापमान की ओर इशारा कर रहे हैं। व्यक्तियों एवम् पृथ्वी दोने का तापमान कम किये जाने के विचार से पर्यावरण संरक्षण के अमरोहा मॉडल की उत्पत्ति हुई, जिसके अन्तर्गत सी0आर0पी0सी0 की धारा 107/116/151 में पाबन्द होने वाले व्यक्तियों को हरित बंध पत्र भरवाकर वृक्ष लगाने की शर्त पर जमानत दिये जाने का प्राविधान उत्तर प्रदेश के अमरोहा जनपद में किया गया, इसमें एक अभियुक्त होता है और दो उसके जमानती होते हैं, जो न्यायालय में उपस्थित होते हैं।
अभियुक्त से पांच फलदार/छायादार वृक्ष तथा दोनों जमानतियों से एक-एक वृक्ष उनके स्वयं के खर्चे पर उनके घर या पशुशाला या खेत पर लगाने के निर्देश दिये गये। यदि उनके पास जगह उपलब्ध न हो तो सरकारी रास्तो व सरकारी भूमियों के किनारे वृक्ष लगाकर पालन पोषण की जिम्मेदारी उनको दी गयी। इस प्रकार वृक्ष लगने से पृथवी का तापमान कम होगा तथा वृक्ष लगाने का रचनात्मक काम करने से अशान्ति फैलाने वाले व्यक्तियों के तापमान में भी कमी आएगी। इस योजना से प्रभावित होकर आमजनों ने भी वृक्षारोपण में योगदान दिया। इस योजना के अन्तर्गत दस हजार से अधिक पेड़ व्यक्तियों द्वारा लगाये जा चुके हैं। इस योजना को आगे बढ़ाते हुए वृक्षों के राखी बंधवा कर वृक्ष सुरक्षा बंधन मनाया गया। ऑफिस के प्रवेश द्वारा पर वृक्षारोपण की शपथ लिखवा कर हजारो लोगों को जागरूक किया गया। इलेक्ट्रॉनिक एवम् प्रिन्ट मीडिया ने इसको अमरोहा का चौहान मॉडल नाम दिया है।
पिछले वर्ष के उपलब्ध आंकड़ो के परिशीलन से यदि इस योजना के अनुसार वृक्षारोपण कराया जाये, तो उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 78,00,000 वृक्ष अभियुक्त एवं उसके जमानतियों के द्वारा उनके खर्चे से दण्ड स्वरूप लगवाये जा सकते हैं। यदि पूरे भारत वर्ष के संदर्भ में देखा जाये तो वृक्षों की एक बहुत बड़ी संख्या आरोपित की जा सकती है। लेकिन इसको कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने हेतु दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 111 व 116 (3) में संशोधन की आवश्यकता होगी।
धारा-111 :- जब कोई मजिस्ट्रेट, जो धारा 107, धारा 108, धारा 109 या धारा 110 के अधीन कार्य कर रहा है, यह आवश्यक समझता है कि किसी व्यक्ति से अपेक्षा की जाए कि वह उस धारा के अधीन कारण दर्शित करे तब वह मजिस्ट्रेट प्राप्त इत्तिला का सार, उस बंधपत्र की रकम, जो निष्पादित किया जाना है,* वह अवधि जिसके लिए वह प्रवर्तन में रहेगा प्रतिभुओं की (यदि कोई हों) अपेक्षित संख्या, प्रकार और वर्ग बताते हुए लिखित आदेश देगा।
धारा-116(3) उपधारा (1) :- के अधीन जाँच प्रारम्भ होने के पश्चात् और उसकी समाप्ति से पूर्व यदि मजिस्ट्रेट समझता है कि परिशान्त भंग का या लोक प्रशांति विक्षुब्ध होने का या किसी अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए, या लोक सुरक्षा के लिए तुरंत उपाय करने आवश्यक हैं, तो वह ऐसे कारणों से, जिन्हें लेखबद्ध किया जाएगा, उस व्यक्ति को, जिसके बारे में धारा के अधीन आदेश दिया गया है निर्देश दे सकता है कि वह जाँच समाप्त होने तक परिशांति कायम रखने और सदाचारी बने रहने के लिए प्रतिभुओं सहित या रहित बंधपत्र निष्पादित करे,* और जब एक ऐसा बंधपत्र निष्पादित नहीं कर दिया जाता है, या निष्पादन में व्यतिक्रम होने की दशा में जब तक जाँच समाप्त नहीं हो जाती है, उसे अभिरक्षा में निरुद्ध रख सकता है।
संशोधन :- तारांकित स्थल पर "स्वयं के खर्चे पर सात वृक्ष स्वयं के आवास, पशुशाला, खेत अथवा उपलब्ध सरकारी भूमि पर रोपित करे।" महोदय, उक्त संशोधन, जो पर्यावरण हित के लिए जरूरी है, आपके प्रयासों एवम् मार्गदर्शन की महती आवश्यकता है। कृपया तद्नुसार कार्यवाही कराने का कष्ट करें।
( माँगेराम चौहान )
उप जिलाधिकारी - धनौरा,
जनपद-अमरोहा (उ0प्र0)