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भारत के वैज्ञानिकों के पगार को लेकर इसरो के पूर्व प्रमुख का बड़ा खुलासा, कहा-धन की परवाह नहीं करते....
इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन
Chandrayaan 3 : भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिग के बाद खुशी जाहिर करते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने बड़ा खुलासा किया है। इस खुशी के मौके पर जी माधवन ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों की पगार विकसित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का पांचवां हिस्सा है। आगे उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि वे मिशन मून के लिए किफायती तरीके तलाश सके।
धन की परवाह किए बगैर काम करते हैं हमारे वैज्ञानिक
उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी करोड़पति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं। नायर ने कहा कि हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते। उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है। इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं।
दूसरे देशों से 60 फीसदी कम चंद्रयान-3 की लागत
माधवन नायर ने बताया कि हम एक-एक कदम से कुछ न कुछ सीखते हैं। जैसे हमने अतीत से सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है। भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 की कुल लागत केवल 615 करोड़ रुपये है, भारत में तो इससे ज्यादा एक बॉलीवुड फिल्म का बजट होता है।
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उद् भव त्रिपाठी
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज से स्नातक पूर्ण किया हूं। पढ़ाई के दौरान ही दैनिक जागरण प्रयागराज में बतौर रिपोर्टर दो माह के कार्य का अनुभव भी प्राप्त है। स्नातक पूर्ण होने के पश्चात् ही कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा haribhoomi.com में एक्सप्लेनर राइटर के रूप में चार महीने का अनुभव प्राप्त है। वर्तमान में Special Coverage News में न्यूज राइटर के रूप में कार्यरत हूं। अध्ययन के साथ साथ ही कंटेंट राइटिंग और लप्रेक लिखने में विशेष रुचि है।