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राजस्थान के शहरों में क्या है पेट्रोलियम के हाल? कितनी जगहों पर बचा है पेट्रोल-डीजल, कब और कितना-कितना मिलेगा

Desk Editor Special Coverage
15 Jun 2022 1:51 PM IST
राजस्थान के शहरों में क्या है पेट्रोलियम के हाल? कितनी जगहों पर बचा है पेट्रोल-डीजल, कब और कितना-कितना मिलेगा
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राजस्थान में पेट्रोल और डीजल के हालात बिगड़ रहे है लोग रात से ही कतारे लगाकर पेट्रोल भरा रहे है। स्थिति यह है कि अब कंपनियों ने पेट्रोल देने का समय भी बदल दिया है। चौबीस घंटे खुलने वाले अब खुलेगें कुछ ही घंटे..

जयपुर (jaipur). राजस्थान में पैट्रोल डीजल कि किल्लत को लेकर कई शहरों में अब हालात बेकाबू होने लगे हैं। कई बड़ी सिटी में तो राशनिंग शुरु करने की नौबत आ रही है। चौबीस घंटे तक लगातार खुलने वाले पंप अब कई घंटे बंद रहने की बातें सामने आ रही हैं। हांलाकि इस बारे में खुलकर पैट्रोल और डीजल पंप के मालिक कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि जब तक सप्लाई आएगी तब तक हम माल सप्लाई करेंगे, न हीं आएगी तो बंद कर देंगे। घाटा कब तक सहन करेंगे...।

राजस्थान के इन शहरों में किल्लत तेजी से शुरु हो रह

राजस्थान के कई बड़े शहर किल्लत का सामना करने लगे हैं। घरों के नजदीक मिलने वाले पैट्रोल के लिए कई किलोमीटर दूरी तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। झुझुनूं में पंप मालिकों के एडवांस देने के बाद भी तेल नहीं मिल रहा। चुरू में तीन दिन में एक बार पेट्रोल डीजल की सप्लाई कर रही हैं तेल कंपनियां। भीलवाड़ा जिले में पांच दिन में एक बार आ रहा है तेल का टैंकर। गंगानगर में हालात सबसे खराब हैं, वहां पर तो एस्सार और रिलांयस के सारे पैट्रोल पंप बंद हो चुके हैं। इनका दबाव अन्य पेट्रोल पंपों पर पड़ रहा है। पाली में भी कई पंप ड्राई हो चुके हैं। जोधपुर में साठ से ज्यादा पंप खाली हो गए हैं। रिलायंस और नायरा के अधिकतर पंप बंद होने की कगार पर हैं। हनुमानगढ़ में रिलायंस के पंप दो दिन से बंद हैं। जयपुर में भी रिलायंस के पंप बंद हो चुके हैं।

चौबीस घंटे खुलते थे अब कई जगहों पर दस से पांच खुल रहे

जयपुर, जोधपुर और अन्य बड़े शहरों में पंप डीलर्स का कहना है कि सरकार को जल्द ही पॉलिसी के हिसाब से सप्लाई शुरु करनी होगी। नहीं तो हमें कंपनियां अनुमति दे कि हम चौबीस घंटे की जगह कम घंटे पंप खोलें। कंपनियों ने कहा कि जब तक सब कुछ सही नहीं हो जाता तब तक सवेरे दस बजे से शाम पांच बजे तक के लिए पंप खोलने की अनुमति मिले। ग्रामीण इलाकों में तो अघोषित तौर पर यह लागू कर भी दिया गया है।

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