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- सरहद पार गांधी
महात्मा गांधी केवल भारत के नहीं हैं वे पूरी दुनिया की विरासत बन गए हैं । महात्मा गांधी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था उन्होंने अपने आसाधारण कार्यों और अहिंसा वादी विचारों से पूरी दुनिया की सोच बदल दी।
आज दुनिया में सबसे अधिक प्रतिमाएं अगर किसी की हैं तो वह मानवता का सबसे अधिक सम्मान करने वाला दुनिया अकेला व्यक्तित्व महात्मा गांधी की हैं। अपने देश में भी सबसे ज्यादा प्रतिमाएं उन्हीं की हैं, जो चौक, चौराहों या अन्य सम्मानजनक स्थलों पर स्थापित हैं। आज अपने देश को महात्मा गांधी के विचारों के उलट जाते देखा जा रहा है लेकिन दुनिया भर में उनके विचारों से सहमत होने वाले, उन पर चलने वाले और अहिंसक आंदोलन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिस महात्मा गांधी को आज हम जान रहे हैं। उनके व्यक्तित्व का निर्माण भी विदेशों में हुआ। वहीं ठोकर खाई,अपमानित हुए और वहीं नायक बने फिर भारत की आजादी के महानायक भी बने । भारत के आजाद होते ही दुनिया के बहुत से देश भी गुलामी की जंजीरों से मुक्त हुए।
गांधीजी के सत्याग्रह की चर्चा पूरी दुनिया में की जाती है। उस सत्याग्रह का जन्म भी विदेश में यानी दक्षिण अफ्रीका में हुआ। इस सत्याग्रह की प्रेरणा भी उन्हें दक्षिण अफ्रीका में घटी विभिन्न घटनाओं से मिली। रेल में प्रथम श्रेणी का टिकट होते हुए भी टी टी ने जब गांधी जी को तीसरे दर्जे में जाने कहा तो उन्होंने जाने से इनकार किया। परिणाम स्वरूप टी टी ने उन को अपमानित करते हुए जबरन नीचे उतार दिया। उनका सारा सामान भी प्लेटफॉर्म प्र फेक दिया। दक्षिण अफ्रीका में उनको होटल के कमरे में ठहरने की अनुमति नहीं थी। इसी तरह एक बार उनको अदालत में जज ने उनको पगड़ी उतारने कहा।
गांधी ने पगड़ी नहीं उतारी। इन सब घटनाओं ने उन्हें सत्याग्रह करने के लिए प्रेरित किया। गांधी जी ने अपना पहला अखबार भी दक्षिण अफ्रीका में निकाला। गांधी भाई बनके विदेश गए और महात्मा गांधी बन गए। देश की आजादी की लड़ाई का भी नेतृत्व किया। गांधी के विचार विदेशी विद्वान साहित्यकार हेनरी सेंट जॉन रस्किन और लियो टालस्टाय के विचारों से प्रभावित हैं । लियो टॉलस्टॉय के नाम से गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक आश्रम भी बनाया था। टालस्टाय ने कहा था कि गांधी का सत्याग्रह सिर्फ हिंदुस्तान के लिए ही नहीं, वरन संपूर्ण विश्व के लिए इस समय महत्वपूर्ण है।
आज गांधी पर शोध और अध्ययन विदेशी विश्वविद्यालयों में ज्यादा हो रहे हैं। जनता द्वारा भी विदेशों में गांधी पर अध्ययन और शोध के अनेक संस्थान शुरू किए गए हैं। इसके मुकाबले भारत में उनके नाम के आश्रम और शिक्षा केंद्रों पर अब संकट के बादल घिर गए हैं। वर्धा का गांधी विचार परिषद पहले ही बंद हो गया है। परिषद के अध्ययन केंद्र में दुनिया भर के छात्र-छात्राएं पढ़ने आती थीं।
महात्मा गांधी की आत्मकथा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ शुमार किया जाता है। वहीं उनकी जीवनी लुई फिसर ने लिखी। जो विश्व विख्यात हुई। उनकी लिखी जीवनी पर रिचर्ड एटनबरो विश्व प्रसिद्ध फिल्म गांधी बनाई। इस फिल्म ने विदेशों में धूम मचा दी। गांधी का प्रचार इस फिल्म के कारण भी हुआ। वैसे गांधी जी जीते जी ही विश्व प्रसिद्ध हो गए थे। उनके दांडी मार्च को दुनिया के दस महत्वपूर्ण आंदोलनों से एक माना जाता है।
पूरी दुनिया में महात्मा गांधी की शाख को इस बात से समझा जा सकता है कि जब भारत ने 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासंघ की महासभा में महात्मा गांधी की जयंती के दिन को विश्व अहिंसा दिवस घोषित करने का प्रस्ताव दिया तो महासभा के कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सह प्रायोजित किया। इनमें अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी देशों के अलावा अफ्रीका और अमेरिका महाद्वीप के कई देश भी शामिल थे।
15 जून 2007 को महासभा द्वारा पारित संकल्प में कहा गया कि शिक्षा के माध्यम से जनता के बीच अहिंसा का व्यापक प्रचार किया जाए। मौजूदा विश्व व्यवस्था में हिंसा की सार्थकता को मानते हुए बिना वोटिंग के सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। अब अहिंसा की नीति के जरिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के लिए गांधी के योगदान को सराहना के लिए ही महात्मा गांधी के जन्म दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया है।
विदेशो में गांधी जी के गोल लेंस वाले चश्मे की बहुत धूम है, जिसे पहली बार गांधी जी ने लंदन में 1890 खरीदी थी। दुनिया के प्रसिद्ध गायक जॉन लेनान गांधी चश्मा पहन कर गांधी के प्रति सम्मान प्रकट करते है। स्टीव जॉब्स ने भी गांधी जैसा चश्मा धारण किया था। वे कहते थे कि गांधी हमारे हीरो हैं। आदर्श हैं। उनको गांधी के सिद्धांतों पर अटूट विश्वास था। लियो बर्नेट नाम की एक कंपनी ने देवनागरी के गांधी जी फॉन्ट्स का विकास किया। इस फॉन्ट की विशेषता है कि इसके अक्षर उनके गोल लेंस वाले चश्मे के आकार के होते हैं।
विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि इसके पहले कि बहुत देर हो जाए हम यथाशक्ति या प्रयास करें कि सकल विश्व के लोग महात्मा गांधी के संदेश को जीवन के मूल आधार के रूप में स्वीकार करें।