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सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति और दो साथियों को उम्रकैद, 2 पॉइंट में समझिए कब क्या हुआ?
यूपी के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और उनके दो साथियों को गैंगरेप और पाक्सो एक्ट मामले में एमपी/ एमएलए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।नौकरी दिलाने के नाम पर चित्रकूट की एक महिला से गैंगरेप और उसकी नाबालिग बेटी से रेेप की कोशिश के मामले में 10 नवम्बर को कोर्ट ने प्रजापति और उनके दो साथियों को दोषी करार देते हुए सजा के लिए आज की तारीख मुकर्रर कर दी थी।
अभियोजन पक्ष ने तीनों आरोपियों के लिए सख्त सजा की मांग की थी। भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के अनुसार सामूहिक दुराचार में अधिकतम 20 वर्ष और पाक्सो एक्ट के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। इस मामले में अदालत ने गायत्री प्रजापति, अशोक तिवारी और आशीष कुमार शुक्ला को महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने के अलावा नाबालिग बेटी से दुराचार करने के प्रयास का दोषी पाया था।
कोर्ट ने इसी मामले में गिरफ्तार चार सह आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के साथ जिला जेल में बंद रहे चारों सह आरोपियों को गुरुवार की रात जेल से रिहा कर दिया गया था। अदालत ने बुधवार को इन्हें बरी कर दिया था। यह सभी गायत्री के साथ वर्ष 2017 से जिला जेल में बन्द थे। सामूहिक दुष्कर्म और पास्को एक्ट में शुक्रवार को अदालत ने पूर्व मंत्री गायत्री, अशोक तिवारी और आशीष को दोषी करार दिया था। जबकि अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू, विकास वर्मा, चंद्रपाल एवं रूपेश को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था।
10 नवंबर को जब गायत्री प्रजापति को दोषी ठहराया तो कोर्ट ने पीड़िता को भी कटघरे में खड़ा किया। बार-बार बयान बदलने के कारण कोर्ट ने पीड़िता और उनके पक्ष के गवाह राम सिंह राजपूत और अंशु गौड़ के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि किस वजह से, किसके प्रभाव में बार-बार बयान बदले गए? इसकी जांच लखनऊ के पुलिस आयुक्त कराएंगे।
2 पॉइंट में समझिए कब क्या हुआ?
पीड़िता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गायत्री प्रजापति समेत 7 अभियुक्तों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने आरोप लगाया था कि 2014 में गायत्री के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। 18 फरवरी, 2017 को थाना गौतमपल्ली (लखनऊ) में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।
इस दौरान गायत्री समेत सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। गायत्री 15 मार्च, 2017 से जेल में है। 18 जुलाई, 2017 को पॉक्सो की विशेष अदालत ने गायत्री समेत सभी 7 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय किए थे। बाद में सुनवाई MP-MLA की विशेष अदालत को सौंप दी गई।
18 फरवरी 2017 को लखनऊ के थाने में दर्ज हुआ था केस
महिला ने बताया था कि 2013 में चित्रकूट में गंगा आरती के कार्यक्रम में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति से एक काम के सिलसिले में मिली थी। उसे उसके एक करीबी ने गायत्री से मिलवाया था। इसके बाद गायत्री प्रजापति के लखनऊ आवास पर आने-जाने लगी। उसके साथ अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 तक गैंगरेप किया गया। मंत्री के डर के कारण वह चुप रही। मगर जब आरोपियों ने उसकी बेटी से छेड़छाड़ की कोशिश की तो वह बर्दाश्त नहीं कर सकी। 18 फरवरी 2017 को उसने केस दर्ज कराया था।
महिला का आरोप है कि आरोपियों ने उसे खनन का काम और नौकरी दिलाने के नाम पर लखनऊ बुलाया और अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसके साथ रेप किया। महिला का आरोप है कि घटना की विस्तृत शिकायत पुलिस महानिदेशक से भी की गई थी पर कोई कार्रवाई न होने पर सुप्रीम कोर्ट के सामने विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई। जिस पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश हुआ।