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जाओ पहले फलाना जाति के आरोपी को पकड़ो, फिर आना !!!
विकास दुबे मारा गया तो ब्राह्मण उत्पीड़न का हो- हल्ला मचा. इधर, आर्यन खान पकड़ा गया तो मेहबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं ने इस पर भी मुसलमान राग छेड़ दिया. देश में अब कोई भी चर्चित मामला आता है तो इसी तरह आरोपी की जाति / धर्म को लेकर कोई न कोई खेमा अपने तर्क लेकर खड़ा हो जाता है.
यानी यह देश अब ऐसा देश हो गया है, जहां किसी पर अपराध का आरोप चाहे कोई हो लेकिन उसकी जाति / धर्म जानकर ही उसी के मुताबिक कार्यवाही किए जाने का हो- हल्ला मचने लगता है.
इस तरह के जातीय / धार्मिक दबाव पर झुकने का असर यह होता कि दुबे को छोड़ दिया जाता या दुबे को तब मारते, जब साथ में एक ठाकुर या अन्य जाति का अपराधी भी मारना होता ... हालांकि योगी पर भी अपने सजातीय माफियाओं पर दुबे जैसी कार्यवाही न करने का आरोप तो है ही.
लेकिन वहां एक दो ठाकुर अपराधी दुबे के साथ मार भी देते तो भी क्या आरोपी की जाति देखने का यह खेल रुक जाता? आर्यन के मामले में मुसलमान कार्ड न खेला जाता? जाहिर है, आर्यन के मामले में अगर कार्यवाही हो रही है तो फिर उसके साथ किसी और हिन्दू सेलेब्रिटी के लड़के को भी धरते तो ही जाति का सवाल उठाने वालों को मामला कुछ ऑथेटिंक लगता.
मुझे तो लगता है कि पुलिस को अब हर आरोपी को पकड़ने से पहले उसकी जाति/ धर्म के अलावा अन्य जाति के किसी आरोपी को ढूंढ लेना चाहिए...और यदि कोई आरोपी न हो तो किसी निर्दोष को ही पकड़ कर जातीय बैलेंस बना लेना चाहिए.