राष्ट्रीय

Anti Hate Speech Act बनाने जा रही सरकार: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां होंगी कानून का आधार

Desk Editor Special Coverage
4 July 2022 12:04 PM IST
Anti Hate Speech Act बनाने जा रही सरकार: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां होंगी कानून का आधार
x
केंद्र सरकार (central government) ने सोशल मीडिया (social media platforms) पर नफरत फैलाने वाली कंटेंट (Content) रोकने के लिए एंटी हेट स्पीच कानून (Anti hate speech law) बनाने की तैयारी कर ली है.

केंद्र सरकार (central government) ने सोशल मीडिया (social media platforms) पर नफरत फैलाने वाली कंटेंट (Content) रोकने के लिए एंटी हेट स्पीच कानून (Anti hate speech law) बनाने की कवायद शुरू कर दी है. हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिये गए निर्देशों के अलावा दूसरे देशों के कानूनों में किए गए प्रावधान और संविधान में दिये गए अभिव्यक्ति की आजादी के तमाम पहलुओं पर विचार करते हुए इस कानून का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इसे जल्द ही सार्वजनिक राय के लिए पेश किया जाएगा. इसमें हेट स्पीच की परिभाषा स्पष्ट होगी, ताकि लोगों को भी यह पता रहे कि जो बात वे बोल या लिख रहे हैं, वह कानून के दायरे में आती है या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां होंगी कानून का आधार

सरकार ने प्रवासी भलाई संगठन बनाम भारतीय संघ जैसे कुछ दूसरे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को इस ड्राफ्ट का आधार बनाया है. विधि आयोग ने हेट स्पीच पर अपने परामर्श पत्र में साफ किया है कि यह जरूरी नहीं कि सिर्फ हिंसा फैलाने वाली स्पीच को हेटस्पीच माना जाए बल्कि इंटरनेट पर पहचान छिपा कर झूठ और आक्रामक विचार फैलानेवाली भाषा (inflammatory and provocative talk) को भी हेट स्पीच के दायरे में रखा जाना चाहिए.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई का रास्ता साफ

हेट स्पीच की परिभाषा साफ होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स अपने यूजर्स द्वारा फैलाई गईं फेक न्यूज या नफरत भरी बातों से पल्ला नहीं झाड़ पाएंगी. इनके खिलाफ सख्त कानून बनने से कानूनी कार्रवाई का रास्ता खुल जाएगा. दूसरी ओर देश में फ्री स्पीच के पैरोकार इस तरह के कानूनों को जनता की आवाज दबाने का हथियार मानते हैं.

अभी हैं 7 अलग-अलग तरह के कानून

देश में हेट स्पीच से निपटने के लिए 7 तरह के कानून (Indian law) इस्तेमाल किये जाते हैं, लेकिन इनमें से किसी में भी हेट स्पीच को परिभाषित नहीं किया गया है. इसीलिए, सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपने यूजर्स को नफरत भरी बातें फैलाने से नहीं रोक पाते.

Desk Editor Special Coverage

Desk Editor Special Coverage

    Next Story