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- सरकार की गर्दन फंस गई...
लगता है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस कर रह गई है। मूंछ नीची नही हो जाए इसलिए वह आसानी से कानून वापिस लेगी नही। उधर जब तक बिल वापिस नही हो जाता तब तक किसान अपनी जगह से हिलने को राजी नही।
गाड़ी आखिर वहीं आकर अटक गई है जहां से चली थी। जो काम सरकार को करना था उसे सर्वोच्च न्यायालय को करना पड़ा। अगर सरकार अड़ियल रवैया अख्तियार नहीं करती तो वह भी किसान कानून के क्रियान्वन पर रोक लगा सकती थी। लेकिन सरकार पूरी तरह किसानों की परीक्षा लेने पर आमादा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज चार सदस्यीय कमेटी का गठन करते हुए किसान कानून लागू करने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। लेकिन किसान नेताओं को सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मंजूर नहीं है। पिछली तारीख पर भी सुप्रीम कोर्ट ने यही बात कही थी जिसे किसान यूनियन के वकीलों ने अस्वीकार कर दिया था।
किसान नेताओ ने दो टूक शब्दों में कहा है कि 26 जनवरी को परेड में जाने के लिए किसान प्रतिबद्ध है। सुप्रीम कोर्ट ने कानून के कार्यान्वन पर रोक लगाई है न कि दिल्ली कूच पर। इसलिए 26 जनवरी की परेड पर जाना बरकरार रहेगा। अब देखना यह है कि सरकार 15 तारीख की वार्ता में क्या प्रस्ताव लेकर आती है। यह तो अब स्पस्ट हो चुका है कि कानून वापसी नही होने तक किसान घर वापिस जाने पर राजी नही होंगे। ऐसे में या तो जबरदस्त खून खराबा होगा या फिर सरकार को कानून वापिस लेना ही होगा।
संसद का संचालन आंदोलनकारी किसान करेंगे
अगले दौर की 15 जनवरी को होने वाली बैठक में किसानों की मांग नही मानी जाती है तो आंदोलनकारी किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर संसद भवन जाएंगे जिसका संचालन किसानों द्वारा किया जाएगा।
यह चेतावनी आज किसानों के प्रमुख नेता हरनामसिंह चढोनी ने आज एक चैनल को दिए साक्षात्कर में दी। चढोनी ने कहाकि सरकार बार बार तारीख पर तारीख देकर किसानों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहाकि सरकार हमारे सब्र का इम्तहान ले रही है। ढाई महीने तक हमने बहुत सब्र किया। लेकिन 15 तारीख को हमारी मांग नही मानी गई तो किसान दिल्ली में प्रवेश कर संसद में घुसेंगे।
चढोनी ने कहाकि सरकार निश्चित रूप से हम पर गोली चलाएगी, आंसू गैस के गोले भी छोड़े जाएंगे और लाठीचार्ज भी किया जाएगा। हम इस अहंकारी और निर्दयी सरकार के हर जुल्म सहने को तैयार है । उन्होंने कहाकि सरकार तो संसद का सत्र बुलाने से रही। इसलिए किसान ही संसद का सत्र संचालित कर किसान विरोधी बिल को खारिज किया जाएगा।