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जानें क्या है ज्ञानवापी सर्वे प्रकरण, एक का ताला खुला, दूसरे तहखाने की चाबी नहीं मिलने पर ताला तोड़ा गया
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर का सच सामने लाने के लिए अदालत के आदेश पर सभी पक्षों की मौजूदगी में सर्वे की कार्यवाही जारी है। पूरे परिसर की वीडियोग्राफी के लिए विशेष कैमरा और लाइट की व्यवस्था की गई है। ज्ञानवापी परिसर के आसपास जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था है। तहखाने से सर्वे की शुरुआत हुई। ज्ञानवापी मस्जिद में टीम ने एक तहखाने का ताला खोला। 10 बजे तक दूसरे तहखाने की चाबी नहीं मिलने के कारण ताला तोड़ा गया और वीडियोग्राफी की गई।
सर्वे का काम पूरा कर कोर्ट कमिश्नर 17 मई तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट अदालत को सौंपेंगे। इस मामले में अदालत ने साफ कर दिया है कि अगर कोई शख्स सर्वे के काम में अवरोध बनने का काम करे तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए। बनारस जिला प्रशासन ने साफ कर दिया है कि जो कोई भी शांति भंग करने की कोशिश करेगा उसके किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सर्वे का काम शांतिपूर्वक और गहनता के साथ पूरा कराने की जिम्मेंदारी बनारस के डीएम पर है। मुस्लिम पक्षों की ओर से विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर और बहर सुरक्षा का सख्त पहरा लगा दिया है। सर्वे टीम में शामिल लोगों के अलावा किसी भी जाने की इजाजत नहीं है। किसी ने नियमों के विरूद्ध कुछ करने की कोशिश की तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह है पूरा मामला और अब तक का घटनाक्रम
नई दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। इसमें कहा गया था कि भक्तों को मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन एवं अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए।
वाद में प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया। पांच महिलाओं की ओर से दायर वाद पर बीते आठ अप्रैल को अदालत ने अजय कुमार मिश्र को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर 10 मई तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
छह मई को कमीशन की कार्यवाही शुरू तो हुई लेकिन पूरी नहीं हो सकी। सात मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर एडवोकेट कमिश्नर बदलने की मांग कर दी। वहीं वादी पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लिखित स्थलों का निरीक्षण करने का स्पष्ट आदेश देने की अपील की गई थी। इस प्रार्थना पत्र पर तीन दिन से अदालत में सुनवाई चल रही थी। फैसले के बाद अब शनिवार से कमीशन की कार्यवाही शुरू होने की उम्मीद है।
ताला खोलकर या तोड़कर जैसे भी हो पूरा करवाएं सर्वे
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के मामले में अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। परिसर के तहखाने तक वीडियोग्राफी व सर्वे कराने संबंधी आवेदन को अदालत ने स्वीकार कर लिया है। पुलिस आयुक्त व जिलाधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करते हुए अदालत ने आदेश दिया है कि कि ताला खोलकर या तोड़कर जैसे भी हो, पूरे परिसर के सर्वे की कार्यवाही पूरी करवाएं।
कोर्ट ने प्रशासन पर भी तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा है कि प्रशासन को सुस्पष्ट भाषा क्यों समझ में नहीं आती है? सर्वे की कार्यवाही पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने और अगली सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की गई है।
डीजीपी और मुख्य सचिव को पूरे मामले की मॉनिटरिंग का निर्देश
अदालत ने आदेश में कहा है कि कमीशन की कार्यवाही में किसी की ओर से कोई बाधा डाले जाने पर जिला प्रशासन प्राथिमिकी दर्ज करवाकर सख्त विधिक कार्यवाही करे। इसके साथ ही डीजीपी और मुख्य सचिव को पूरे मामले की मॉनिटरिंग का निर्देश दिया है और कहा है कि यह सुनिश्चित करें कि जिलाधिकारी और पुलिस आयुक्त इस मामले में लापरवाही न करें। दोनों को पत्र भी भेजा जाएगा।
किसी कीमत पर सर्वे की कार्यवाही नहीं रुकेगी
अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र को हटाने की मांग को खारिज करते हुए अदालत ने आदेश दिया है कि किसी कीमत पर सर्वे की कार्यवाही नहीं रुकेगी। अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्र को आगे का सर्वे जारी रखने का आदेश देते हुए उनके सहयोग के लिए विशेष सर्वे अधिवक्ता के रूप में अजय प्रताप सिंह और विशाल सिंह को तैनात किया गया है।
इनमें किसी भी अधिवक्ता की गैरमौजूदगी में काम नहीं रुकेगा। सर्वे की कार्यवाही अब हर दिन सुबह आठ बजे से 12 बजे तक होगी। सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने सात पेज के विस्तृत आदेश में कहा कि कमीशन कार्यवाही स्थल पर कोर्ट के पूर्ववर्ती आदेश के तहत संबंधित वादीगण, प्रतिवादी गण, अधिवक्ता आयुक्त, अधिवक्तागण, इनके सहायक तथा कमीशन कार्यवाही में शामिल व्यक्तियों को छोड़कर कोई भी अन्य व्यक्ति वहां उपस्थित नहीं होगा।