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राष्ट्रपति के सुरक्षा बेड़े में शामिल घोड़ा 'विराट' आज हुआ रिटायर, जानिए इसकी खूबियां
राजपथ पर संपन्न हुए 73वें गणतंत्र दिवस समारोह के तुरंत बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने अंगरक्षक बेड़े में शामिल विराट को रिटायर कर दिया। विराट एक नायाब घोड़ा है जो पिछले 19 सालों से राष्ट्रपति की रक्षा कर रहा है। विराट को अपनी योग्यता और सेवाओं के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमांडेशन कार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विराट का सिर थपथपा कर उसे विदा किया। गणतंत्र दिवस परेड के समापन के बाद पीबीजी ने विराट के संन्यास की घोषणा की। घोड़े ने इस आयोजन में 13 बार सफलतापूर्वक भाग लिया है। विराट को भारत के पूर्व राष्ट्रपतियों के साथ-साथ वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को औपचारिक परेड में अनुग्रह और गरिमा के साथ ले जाने का गौरव प्राप्त है। क्या है विराट की खूबियां जो उसे अलग बनाती हैं, चलिए जानते हैं।
जैसे महाराणा प्रताप के लिए चेतक की अहम भूमिका रही, रानी लक्ष्मीबाई के लिए उनका घोड़ा पवन सबसे विश्वासपात्र था, उसी तरह विराट पिछले 19 सालों से राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड के रूप में हमेशा सक्रिय रहा। राष्ट्रपति की सुरक्षा बेड़े में विराट की भूमिका बेहद खास रही है। यही कारण है कि रिटायरमेंट के वक्त पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी विराट के पास जाकर उसे दुलार दिया।
इससे पहले बुधवार को गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी) द्वारा उसे वापस राष्ट्रपति भवन ले जाया गया। राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड कमांडेंट के काले घोड़े विराट की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को खास बना दिया, विराट की सेवानिवृत्ति की घोषणा पीबीजी ने आज परेड के समापन के बाद की। ये कोई आम घोड़ा नहीं बल्कि देश के राष्ट्रपति के अंगरक्षक परिवार में शामिल विराट घोड़ा है, जिसे प्रेजिडेंट्स बॉडीगार्ड का चार्जर भी कहा जाता है।
19 वर्षों से सेवा कर दे रहा विराट
विराट ने 13 बार गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया है और लगभग 19 वर्षों से सेवा में है। आज विराट ने राष्ट्रपति को अपना अंतिम अनुरक्षण प्रस्तुत किया। बीती 15 जनवरी की रोज असाधारण सेवा और क्षमताओं के लिए विराट को थल सेनाध्यक्ष प्रशस्ति पदक दिया गया, इसे प्राप्त करने वाला वह पहला घोड़ा था। इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोड़े को विदाई दी।
2003 में अंगरक्षक परिवार में हुआ था शामिल
परेड के दौरान विराट को सबसे भरोसेमंद घोड़ा माना जाता है। हनोवेरियन नस्ल के इस घोड़े को 2003 में अंगरक्षक परिवार में शामिल किया गया था। यह घोड़ा अपने नाम के मुताबिक बहुत ही सीनियर, अनुशासित और आकर्षक कदकाठी का है। यह घोड़ा 2003 में हेमपुर के रिमाउंट ट्रेनिंग स्कूल एंड डिपो से तीन साल की उम्र में यहां लाया गया था।
हजारों में चुना गया था विराट
राष्ट्रपति के अंगरक्षक भारतीय सेना में सबसे विशिष्ट रेजिमेंट हैं, जिन्हें हजारों की संख्या में विरासत के आधार पर चुना जाता है। 200 मजबूत घुड़सवार इकाई सदियों से ब्रिटिश वायसराय से लेकर अब राष्ट्रपति को सौंपी जाती है।