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- मैने फूलों के ख्वाब...
मैने फूलों के ख्वाब देखे थे, मुझे सोना पड़ा हैं कांटों पर!
माँ अपनी बेटी को देखकर फूले नहीं समाती वह अपनी बेटी के लिए क्या क्या सपने देखती है, यू बोले तो बेटियों के लिए फूलों के ख्वाब देखती है,जब बेटी पहली बार तोतली ज़बान से आई और बाबा बोलती है तो उसकी माँ खुशी के मारे उसको गोद में उठाकर उसके गालो को चूमना शुरु कर देती है, बेटी को गोद में लेकर अपने पति के पास दौड़ी जाती है,और खुशी में झूमती हुई बोलती है,आज गुड़िया ने पहली बार आई बाबा बोला ।
धीरे-धीरे बेटी बड़ी होती है, ठुमक ठुमक कर चलना शुरु करती है,माँ के लिए बेटी किसी खिलौने से कम नहीं होती दिनभर बेटी के साथ खेलती है,अपने आँचल में सुलाती है, बच्ची ठुमक ठुमक चलते चलते गिर जाए तो माँ को ऐसा लगता है की उस के सिर पर आसमान गिर गया हो,दौड़ती हुई जाती है,बेटी को चुप कराती है,और खुद रोने लगती है। अगर उस बेटी के साथ कोई दरिंदा दरिंदगी करें तो माँ का हाल क्या होगा । जो बेटी की छोटी सी चोट को देख कर रोना शुरू कर देती थी,तब उस माँ का क्या हाल हुआ होगा जब उसने यह सुना होगा की उसकी बेटी के साथ,दरिंदगी हुई हैं, उसके सिर पर पत्थर से चोट पहुंचाई गई हैं ,उसकी बेटी को मरा समझकर कांटो में दबा दिया गया हो, उस माँ के दिल से पूछो उस पर क्या गुजरी होगी ।
यह घटना मध्य प्रदेश के बेतूल की है।
बेतूल में सुशील नाम के दरिंदे ने 13 साल की बच्ची के साथ इस घटना को अंजाम दिया।
कब तक होती रहेगी बेटियां हवस का शिकार,कब सुधरेंगे इंसान,इन दरिंदों को इंसान कहना भी गलत होगा । इंसान चोर हो सकता है,भ्रष्टाचारी हो सकता है, शराबी हो सकता है,पर बलात्कारी नहीं हो सकता । यह दरिंदे इंसान के भेष में शैतान है,हम उन दरिंदों के लिए जानवर शब्द का प्रयोग करें तो यह जानवरों की तोहीन होगी। यह दरिंदे कितना गिर गए है,इन की आंख में सूअर का बाल आ गया है, इन दरिंदों को सूअर कहना भी गलत होगा,बेचारा सूअर हमारी गंदगी साफ करता है, पर यह दरिंदे सूअरों से भी गए बीते है,यह दरिंदे गंदगी फैला रहे हैं समाज में ।
मध्यप्रदेश के बैतूल में फिर शर्मसार हुई बेतूल की ज़मी।
रात के वक्त खेत पर मोटर बंद करने गई बच्ची के साथ दरिंदे ने वारदात को दिया अंजाम । बलात्कार के बाद आरोपी ने 13 साल की बच्ची पर पत्थर से हमला किया और उसे घायल कर दिया उसको लगा बच्ची अब ज़िंदा नहीं है,तो उस दरिंदे सुशील ने कांटे डाल कर उसे दबा दिया ।
जब बेटी काफी देर तक घर नहीं लौटी तो उसके माता पिता उसको खेत की तरफ ढूंढने निकले।
नाले के पास माँ बाप ने बच्ची की आवाज़ सुनी,तो वह नाले की ओर दौड़े चले गए। बच्ची को उस हाल में देखकर माँ की पैरों से ज़मीन निकल गई । बेटी ज़ख्मी हालत में कांटो के नीचे दबी हुई थी,माँ को ऐसा लगा कि उसकी दुनिया लुट गई हो एक छोटी सी बच्ची उसके ऊपर ऐसा सितम जगह जगह से खून बह रहा था और कांटे उसके शरीर में धसे हुए थे । पिता बदहवास होकर इधर-उधर मदद के लिए दौड़ रहा था किसी तरह से बेटी को लेकर ज़िला अस्पताल पहुंचे वहां के डॉक्टरों ने बच्ची की हालत देखकर उसे नागपुर रिफर कर दिया । बच्ची अभी भी मौत से लड़ रही है। आज भी हम लड़ते हैं मंदिर के नाम पर मस्जिद के नाम पर धर्म के नाम पर, अरे लड़ना है तो बुराई के खिलाफ लड़ो ।
इन नाज़ुक सी कलियों
को फिर किसने तोड़ा है ।
बलिदानों की धरती पर
ये कैसे राक्षस आए है।।
मोहम्मद जावेद खान संपादक