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प्रतापगढ़ की पहचान अमृतफल आंवला की खेती संकट में : डॉ राजाराम त्रिपाठी

Desk Editor
10 Sept 2021 3:54 PM IST
प्रतापगढ़ की पहचान अमृतफल आंवला की खेती संकट में : डॉ राजाराम त्रिपाठी
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बैंक की उच्चाधिकारी की नौकरी से त्यागपत्र देकर बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में जड़ी बूटियों की खेती कर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे डॉ त्रिपाठी

प्रतापगढ़, ( उत्तर प्रदेश ) :- अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि अभी प्रतापगढ़ के आंवला उत्पादकों तथा इसके प्रसंस्करण में लगी इकाइयों के हित में बहुत कुछ किया जाना जरूरी है, वरना प्रतापगढ़ तथा उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुका यह अमृत फल यहां से विलुप्त हो जाएगा। यहां के आंवला उत्पाद की विशिष्ट गुणवत्ता की विश्व बाजार को जब तक जानकारी नहीं हो पाएगी,कि यहां के आंवले में किस प्रकार के विशेष औषधीय व खनिज तत्व पाए जाते हैं, तब तक इसके उत्पादकों का भला नहीं होने वाला है। जानकारी का बेहतर समायोजन न हो पाना कहीं न कहीं आंवले को अभी अंधेरे में रखे हुए हैं।

डॉ राजाराम त्रिपाठी देश के विभिन्न हिस्सों के "किसान की बात किसानों के साथ" कार्यक्रम के तहत बुधवार को दिल्ली से बनारस तथा सड़क मार्ग के द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों से सघन संपर्क मार्ग करते हुए प्रतापगढ़ पहुंचे हुए थे। डॉ राजाराम त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के उत्पादक किसान हैं, जिन्हें दुनिया में "हर्बल किंग" के नाम से जाना जाता है। भारत देश के विभिन्न कृषि के 30 से ज्यादा राष्ट्रीय उत्पादक मंडलो तथा किसान संगठनों के महासंघ अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) वे राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। आईफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने कहा कि भारत के हर्बल उत्पाद इंटरनेशनल मार्केट मे बड़ी धमक रखते है, इस क्षेत्र में लाभ तथा रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

संवाद के दौरान किसान आंदोलन का पुरजोर समर्थन करते हुए डॉ त्रिपाठी ने कहा कि किसानों की मांगे जायज हैं और सरकार की अदूरदर्शिता के कारण वह किसानों को बेतरह नाराज कर चुकी है। इसलिए इस पर सरकार को तत्काल विचार कर निराकरण करने की जरूरत है। उनके अनुसार कम जोत, बढते कृषि लागत, छुट्टा जानवर तथा अन्यायकारी मूल्य वाले के कारण ही यहां की खेती किसानी दिनों-दिन कमजोर हो रही है। हम देख सकते हैं कि किसान खेती छोड़ रहे हैं। मुनाफा घटते जाने के कारण आंवले के बाग कटते जा रहे हैं। उनका यह कहना है कि जड़ी-बूटियों की समुचित खेती से यहां के किसानों को मजबूत किया जा सकता है।

त्रिपाठी ने कहा कि वह शीघ्र ही वे अलग से भ्रमण कार्यक्रम बनाकर प्रतापगढ़ का सघन दौरा कर आंवला किसानों व प्रसंस्करण उद्यमियों की समस्याओं के संबंध में भी वह भारत सरकार को आगाह करेंगे। डॉ त्रिपाठी न कहा कि निश्चित रूप से जिले का आंवला खनिज तत्वों से भरपूर है, किंतु किस प्रकार के खनिज तत्व पाए जाते हैं और किस मात्रा में पाए जाते हैं यह जानकारी किसी के पास नहीं है। किस पर और अधिक शोध किए जाने तथा उचित दस्तावेजीकरण किए जाने की आवश्यकता है

बैंक की उच्चाधिकारी की नौकरी से त्यागपत्र देकर बस्तर जैसे पिछड़े क्षेत्र में जड़ी बूटियों की खेती कर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे डॉ त्रिपाठी ने कहा कि वह इस मामले को भारत सरकार की लैब एवं बाहर की लैब से जानकारी कराकर लोगों के बीच लाएंगे तब जाकर जिले के आंवले को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मानकों के अनुसार लोगों को हम यह कह पाएंगे कि हमारे जिले का आंवला सबसे अधिक पौष्टिक एवं खनिज तत्वों से भरपूर है।

त्रिपाठी ने कहा कि अपने पूर्वजों की कर्मभूमि तथा यहां के किसानों एवं उनके परिवारों के लिए वह कुछ कर सके तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। मेरा जन्म व कर्म क्षेत्र छत्तीसगढ़ जरूर है, लेकिन पूर्वजों के जन्मभूमि के लिए कुछ करने का जज्बा सदैव मन में कचोटता रहता है। फिलहाल, डॉ त्रिपाठी जिले में अभी एक जनरल सर्वे कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह जनपद में पुनः आकर एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेंगे जिस पर जल्द ही जल्द से जल्द कोई ना कोई क्रियान्वयन सरकार द्वारा अवश्य किया जाएगा।

- अखिलेश कुमार

वास्ते: डॉ राजाराम त्रिपाठी

राष्ट्रीय संयोजक

अखिल भारतीय किसान महासंघ आईफा

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