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कांग्रेस के नेता मायावती, अखिलेश जयंत से बात कर रहे तो वरुण गांधी से परहेज क्यों?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पूरे देश में एक अलग संदेश देने का काम शुरू किया। इस यात्रा में यूपी में भी एक नया संदेश जाए इसको लेकर कांग्रेस के कई बड़े नेता बसपा सुप्रीमो मायावती , सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और रालोद के मुखिया जयंत चौधरी से संपर्क कर रहे है, जबकि कांग्रेस के गांधी परिवार के ही सदस्य वरुण गांधी से परहेज करते नजर आ रहे है, जबकि वरुण गांधी का बीजेपी से छत्तीस का आंकड़ा जग जाहीर हो चुका है।
लेकिन कांग्रेस ने मीडिया को मौका दे दिया कि वह लिखे कि UP में राहुल विपक्ष को जोड़ने में असफल नजर आ रहे है। यही तो भारतीय जनता पार्टी चाह रही है। हालांकि इस बार वरुण गांधी भी बीजेपी के खिलाफ पूरे तेवर अख्तियार कर चुके है। कांग्रेस के पास अगर इस समय वरुण गांधी जैसा चेहरा यूपी मेनेज करने को आ जाए तो यूपी में भी कांग्रेस में दम खम दिखने लगेगा।
जिस विकल्पहीनता की चर्चा मीडिया और भाजपा करती है वह यूपी में तो पूरी तरह सही है। UP में जनता को कोई विकल्प ही दिखाई नहीं देता। कांग्रेस ने यहां बहुत प्रयोग किए। बहुत प्रदेश अध्यक्ष बदले। किसको नहीं बनाया सबको मौका दिया मगर कोई काम नहीं कर सका। कांग्रेस के जो नेता मायावती अखिलेश जयंत चौधरी से बात कर रहे हैं उन्हें वरुण गाँधी से बात करना चाहिए थी। राहुल, प्रियंका से बात कराना चाहिए थी। अगर UP में किसी को जोड़ना है तो वह वरुण हैं। भाजपा में तो अब रहेंगे नहीं। कहां जाएंगे? कांग्रेस से अच्छा परिवार की एकता से अच्छा और क्या हो सकता है।
यह चुनाव सुधार नहीं चुनाव कंट्रोल है। हमारे यहां तो धारणाओं का महत्व है इसलिए शेषन के सुधार आखरी शब्द माने जाते हैं उन पर सवाल उठाना पाप। वॉल राइटिंग आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशी और पार्टी करती थीं। उसे खत्म करने के बाद ही बड़ी महंगी सभाएं और इलेक्ट्रॉनिक, बड़ी स्क्रीनें वोटिंग सारा चुनाव बदल देगी। रिमोट किसके हाथ में रहेगा यह सबको मालूम है। कांग्रेस आरटीआई लाई और उसका बहुत प्रचार भी करती है मगर वह उसी के खिलाफ गया। अविकसित, अर्द्ध शिक्षित समाज में कौन सा कानून क्या असर डालेगा यह कांग्रेस की समझ में नहीं आया। आज कहां है आरटीआई और कहां है खुद उनके द्वारा प्रचारित लोकपाल। उन्हें लोकपाल नहीं बनाना था केवल एक शब्द का इस्तेमाल करना था। मगर कांग्रेस ने 2013 में ही उसके लिए बड़ी-बड़ी कमेटी बना दी थीं। आदर्श अच्छा है मगर आदर्शवादी समाज के लिए। पहले लोगों को शिक्षित करो आदर्शवादी समाज बनाओ फिर उसके अनुरूप कानून लाओ।