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भारत के किसानों को मिल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध का फायदा, जानिए इसकी वजह

भारत के किसानों को मिल रहा रूस-यूक्रेन युद्ध का फायदा, जानिए इसकी वजह
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रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को एक महीने से ज्यादा का समय हो गया है। दुनिया भर के देश युद्ध को समाप्त कराने की कोशिश में जुटे हैं। वही युद्ध के चलते भले ही भारत समेत दुनिया भर में कच्चे तेल और कई चीजों के दाम बढ़े हुए हैं। लेकिन इस जंग का फायदा भारतीय किसानों को जरूर मिलता दिख रहा है।

दोनों देशों के बीच युद्ध के चलते दुनिया भर में गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है और अब इसका असर भारत में भी दिख रहा है। केंद्र सरकार की ओर से गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन बाजार में यह दाम 2,250 से लेकर 2,300 रुपये तक है। लंबे वक्त के बाद यह स्थिति देखने को मिल रही है, जब गेहूं की कीमत शुरुआती सीजन में ही सरकारी दाम से ज्यादा है।

पंजाब सरकार इस बार गेहूं की 10 लाख टन कम खरीद कर रही है। इसके पीछे सरकार की सोच यह है कि यूक्रेन और रूस में युद्ध के चलते किसान गेहूं की फसल का एक हिस्सा बचाकर रखेंगे ताकि उसे भविष्य में वह निजी कारोबारियों को बेच सकें।

दरअसल यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया भर में गेहूं की कमी देखने को मिल रही है। यहां तक कि शिकागो के वायदा कारोबार में गेहूं की कीमतों में 40 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। रूस और यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक देश हैं और युद्ध के चलते एक्सपोर्ट ठप पड़ा है। ऐसी स्थिति में मांग में तेजी आई है और भारत में भी इसके असर के चलते दाम एमएसपी से ज्यादा हो चुके हैं।

एक कमिशन एजेंट ने कहा कि अभी मिल मालिक ही मंडियों से गेहूं की खरीद कर रहे हैं। लेकिन नया स्टॉक आने के बाद विदेशी खरीददार भी मंडियों का रुख कर सकते हैं और गेहूं की बड़े पैमाने पर खरीद हो सकती है।

गौरतलब है कि भारत में हर साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार की ओर से तय किया जाता है। आमतौर पर निजी कारोबारी इससे कम में ही किसानों से गेहूं की खरीद करते रहे हैं, जिस पर सवाल भी उठता रहा है। लेकिन इस बार यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने हालात बदल दिए हैं और किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम पर बिकने की उम्मीद है।

अभिषेक श्रीवास्तव

अभिषेक श्रीवास्तव

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