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स्त्री पुरुष समानता के लिए भारत एक कदम और आगे बढ़ा

सुजीत गुप्ता
19 Dec 2021 5:32 PM IST
स्त्री पुरुष समानता के लिए भारत एक कदम और आगे बढ़ा
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हेमलता म्हस्के

स्त्री पुरुष समानता के क्षेत्र में भारत एक कदम और आगे बढ़ गया। 21वीं सदी में लड़कियों की शादी की उम्र भी अब 21 साल तय कर दी गई है । पिछले दिनों संसद में जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों की शादी की वैधानिक उम्र 18 साल से बढ़ाकर लड़कों की तरह 21 वर्ष करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इसे कानूनी रूप देने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से लड़कियों की स्वास्थ्य समस्या का निदान होगा और उनको खुद के भविष्य को संवारने में मदद मिलेगी। इसी के साथ कई आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही हैं कि अगर केंद्र सरकार जया जेटली की समिति की सिफारिशों को कानून में परिवर्तित करती है तो बड़े सामाजिक वर्ग में इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलेंगे। कितने दुष्परिणाम होंगे यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इतना तय है कि

दूल्हा दुल्हन की न्यूनतम उम्र में समानता लाने के लिए दी गई यह मंजूरी खासकर लड़कियों के सशक्तिकरण की दिशा में सचमुच एक ऐतिहासिक कदम है।

देश में इसके पहले भी दुल्हन की न्यूनतम उम्र बढ़ाकर 12, 14, 15 और फिर 18 साल की गई है। उल्लेखनीय है कि हर बार दूल्हे की न्यूनतम उम्र से दुल्हन की उम्र कम ही रही। लैंगिक निष्पक्षता के लिहाज से उम्र बढ़ाने को जरूरी समझा गया है। लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की सिफारिश सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व सांसद जया जेटली और नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल वाले साझे कार्य बल ने

की है। कार्य बल का गठन पिछले साल ही किया गया था। इस कार्यबल समिति में कई विशेषज्ञ और शिक्षा विद भी शामिल रहे। समिति ने 16 विश्वविद्यालयों के युवाओं से मिले फीडबैक को लेकर 21 वर्ष तक तय करने की सिफारिश की है। समिति ने सामाजिक ,आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं को ध्यान में रखकर लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 वर्ष करने की सिफारिश की। जल्द शादी होने से लड़कियों की शिक्षा और उनकी आजीविका पर भी उल्टा प्रभाव पड़ रहा है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी 3 साल पहले 2018 में लड़कों और लड़कियों, दोनों की शादी की न्यूनतम उम्र समान करने की सिफारिश की थी ।

समिति की अध्यक्ष जया जेटली का कहना है कि लड़कियों को भी कमाने और पुरुषों के बराबर होने का अवसर दिया जाना चाहिए। अगर हर एक क्षेत्र में लैंगिक समानता और सशक्तिकरण की बात करते हैं तो फिर विवाह में ऐसा क्यों नहीं कर सकते ? यह बहुत विचित्र बात है कि लड़की 18 साल में शादी के योग्य हो सकती है जबकि इस कारण से उसके कॉलेज जाने का अवसर खत्म हो जाता है । दूसरी तरफ लड़के के पास अपने जीवन और जीविका के लिए तैयार होने का 21 साल की उम्र तक अवसर होता है इसमें बड़ी तादाद में युवाओं की राय ली गई है तब यह सिफारिश की गई है।

जानकार बताते हैं कि शादी के संबंध में लड़कियों की इस लड़ाई ने सच में एक लंबी दूरी तय की है। 1891 में ब्रिटिश राज के दौरान एज आफ कंसेंट एक्ट 18 91 में पास कर लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाकर 12 साल तक की गई। 1929 में बाल विवाह निरोधक कानून बनाकर लड़कियों के लिए शादी की उम्र 14 साल और लड़कों के लिए 18 साल की गई । इस कारण लंबे समय तक लड़कियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। आजादी के बाद 1949 में भारत की अंतरिम सरकार ने बेटियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 15 साल कर दी। इसके बाद हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में बेटियों की शादी की उम्र 18 वर्ष की गई। अभी इस फैसले को कानूनी रूप देना बाकी है। अभी कई अड़चनें हैं। बाल विवाह निरोधक अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम और हिन्दू विवाह अधिनियम में सुधार भी करना होगा।

केंद्र सरकार लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने जा रही है लेकिन हाल में आए राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि अभी भी अपने देश में 23 फ़ीसदी से अधिक लड़कियों का विवाह 18 साल से कम उम्र में हो जाता है । ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत 27 फीसद है । चार में से एक लड़की का विवाह 18 साल से कम उम्र में होता है । ऐसे में विशेषज्ञों की तरफ से नए कानून के औचित्य पर भी सवाल उठाए गए हैं । 2019 से 2021 के बीच एकत्र किए आंकड़े के अनुसार 20 से 24 साल की 23 फ़ीसदी विवाहित महिलाओं ने सर्वे के दौरान बताया कि उनका विवाह 18 से पहले हुआ। सवाल उठाए जा रहे हैं कि शादी की उम्र के पहले ही अपने देश में बालिकाओं की शादी कर दी जाती रही है।

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के बावजूद बाल विवाह पर पूरी तरह नहीं रुक पाया है। परिवार और स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार पश्चिम बंगाल में 41.6फीसद, बिहार में 40.8 फीसद,त्रिपुरा में 40.10फीसद, असम में 31.8 फीसद,आंध्र में 29.9 फीसद, गुजरात में 21.8 फीसद,कर्नाटक में 21.3 फीसद, महाराष्ट्र में 21.9,तेलांगना में 23.5, दादर नगर हवेली में 26.4 फीसद लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में शादी हो रही है। बाल विवाह के मामले में 2014 से 2016 के दौरान केवल 1785 केस दर्ज हुए। 274 लोग गिरफ्तार हुए। मात्र 45 लोग ही दोषसिद्ध हो पाए।

विदेशों में भी विभिन्न देशों में शादी की अलग है । बाल विवाह केवल भारत में ही नहीं,दुनिया के विभिन्न देशों में भी होते हैं। उन देशों में बाल विवाह रोकने के कानून हैं। अमेरिका में लड़के लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल है । इसी तरह ब्रिटेन में भी दोनों की उम्र 18 साल, जर्मनी और फ्रांस में 18 साल । चीन में लड़कियों की शादी की उम्र 20 साल तो लड़के की उम्र 22 साल और बांग्लादेश में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल है।

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