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भारत के इस शहर के हर घर-संस्थान का पता होगा डिजिटल, पते का फोटो और यूनिक नंबर ऑनलाइन देगा दिखाई
Indore becomes first city in the country to have digital addressing system
गिरीश मालवीय
Indore becomes first city in the country to have digital addressing system: 5G के साथ ही गुलामी के एक नए युग की शुरूआत होने जा रही है, यह कुछ उसी प्रकार की युगांतरकारी घटना है जैसे एक वक्त यूरोप में औद्योगिक क्रांति हुई थी ...... चीजे बहुत तेजी से बदल रही है..... कल हमारे शहर इन्दौर में, जो कि अब गोबरपट्टी में स्मार्ट सिटी बनने की रेस सबसे आगे चल रहा है, एक घोषणा हुई कि इंदौर डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम वाला देश का पहला शहर बनने जा रहा है। शहर के हर घर-संस्थान का पता डिजिटल होगा। पते का फोटो और यूनिक नंबर ऑनलाइन दिखाई देगा इन्दौर शहर की स्मार्ट सिटी कपंनी ने पता नेवीगेशन के साथ एमओयू साइन किया है। पता नेवीगेशन हर एड्रेस को विशेष कोड देगा इस कोड से जियो टेग्ड लोकेशन पर पहुंचा जा सकेगा।
मुझे इस बात का आश्चर्य हुआ कि सारे पते तो पहले से डिजीटल है आप अपने स्मार्टफोन में लोकेशन ऑन कर के किसी को भी अपनी लाइव लोकेशन भेज सकते है गूगल मैप पर अपनी लोकेशन को यूनिक नाम से टैग कर सकते है तो इसमें अनोखा क्या है ?
इसलिए मैने इस संबंध में और अधिक जानने की कोशिश की ओर परिणाम आश्चर्यजनक थे पता लगा कि दुनिया गूगल मैप से कहीं आगे निकल गई है अब दुनिया के कोने कोने को को 3 स्क्वैयर मीटर में डिवाइड किया जा चुका है दुनिया में हर तीन मीटर पर एक वर्ड एड्रेस है. यानी की आपके आसपास के 3 मीटर की दूरी पर हर लोकेशन का एक कोड है जिसे तीन शब्दों में बांटा गया है.
इसे what3words के नाम से जाना जाता है इसका एप बनाया गया है यह एक ब्रिटिश कंपनी है What3words के लोगों का कहना है कि उन्होंने और हर स्क्वैयर को तीन शब्दों का एक यूनिक कॉम्बीनेशन दिया हैं
आप और हम दुनिया को जगहों और उसके नाम से पहचानते हैं लेकिन इस ऐप में सबकुछ स्क्वायर और ग्रिड की मदद से होता है.आपके आसपास के 3 मीटर की दूरी पर हर लोकेशन का एक यूनिक कोड है जिसे तीन शब्दों में बांटा गया है. जैसे कि इंडिया गेट का कोड नेम thrillers.widgets.income है.
यह टेक्नोलॉजी 50 भाषाओं में उपलब्ध है, जिसमें 12 दक्षिण एशियाई भाषाएं- हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, बंगाली, कन्नड़, नेपाली, उर्दू, गुजराती, मलयालम, पंजाबी और ओडिया शामिल हैं. इसे मोबाइल ऐप के बिना भी इसे यूज किया जा सकता है
आपके पास अगर स्मार्टफोन है और उसमें जीपीएस है तो आप what3words एप का इस्तेमाल कर सकते हैं. संभव है कि इन्दौर के पता नेविगेशन वालों ने what3words वालो के साथ कोई करार किया हो या इसी तरह का अपना अलग सिस्टम डेवलप किया हो
अब आप कहेंगे कि ये तो बहुत अच्छी बात है इसमें गुलामी जैसी क्या बात है ? दरअसल ऐसा सिस्टम इसलिए डेवलप किया गया है ताकि ड्रोन से एग्जेक्ट लोकेशन पर डिलीवरी की जा सके...... बिना ड्राइवर वाली ऑटेमेटिक कारे एग्जेक्ट लोकेशन पर आपको पुहंचा सके
आप देख ही रहे है कि आप यदि जोमेटो स्विगी जेसे एप से कुछ आर्डर करते है तो डिलीवरी बॉय को एक निश्चित अवधि में वह सामान आपको डिलीवर करना होता है ये कम्पनियां डिलीवरी टाइम को धीरे धीरे कम कर रही थी तेज डिलिवरी के चक्कर में वे तेजी से गाड़ियां भगाते है और उसके कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही है
लेकिन इतना सब होने पर पर कोई सवाल नही उठाता कि कंपनिया डिलीवरी टाइम क्यों घटा रही है उसके बजाए सोशल मीडिया पर यह प्रमोशन किया जाता है कि आप ही क्राउड फंडिंग कर साइकिल पर चलने वाले डिलीवरी बॉय को मोटर साइकिल दिलवा दे......
डिलीवरी का समय इसलिए ही घटाया जा रहा है ताकि जब ऐसी नेवीगेशन ऐप के सहारे ड्रोन से डिलीवरी हो तो आप वाह वाह कर सके,
आने वाले समय में चाहे वह फूड हो मेडिसिन हो या घर का किराना सामान हो सब ड्रोन से पुहंचया जायेगा दरअसल 5जी इतना एडवांस है कि इसके जरिए सिर्फ लोग ही आपस में नही जुड़ेंगे बल्कि डिवाइसेज और मशीनें भी आपस में कनेक्ट रहेगी आप किसी ऐप पर आर्डर करेगें अगले ही सेकंड आपके फोन पर। मैसेज आ जायेगा कि ड्रोन आपकी बिल्डिंग की छत पर आधे घण्टे में आपका आर्डर डिलीवर कर देगा, यानि लाखो करोड़ों लोग जो इस प्रकार की लॉजिस्टिक में लगे हैं वे बेरोजगार होने जा रहे हैं ऑटेमेटिक कारे ओला ऊबर के ड्राइवरो को घर पर बिठा देगी
बहुत कुछ बदलने जा रहा है जरा नजर बनाए रखिए