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आईपीएस कलानिधि नैथानी ने बेलगाम इंस्पेक्टर पर कसा शिकंजा, गोरखपुर जैसा कांड होने से बचा वरना एक और व्यापारी की हो सकती थी हत्या!

Shiv Kumar Mishra
2 Oct 2021 8:09 AM GMT
आईपीएस कलानिधि नैथानी ने बेलगाम इंस्पेक्टर पर कसा शिकंजा, गोरखपुर जैसा कांड होने से बचा वरना एक और व्यापारी की हो सकती थी हत्या!
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धर्मेन्द्र रस्तोगी

लखनऊ। गोरखपुर कांड से देशभर में बेलगाम वर्दी वालों की हुई भर्त्सना के बावजूद कुछ खाकी वाले अपनी गुंडई से अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं। गोरखपुर का मनीष गुप्ता कांड अभी थमा भी नहीं कि यूपी के अलीगढ़ में बेलगाम इंस्पेक्टर ने कुछ दबंगों से याराना निभाते हुए फिल्मी अंदाज में व्यापारी को अगवा कर लिया। पहले तो स्कॉर्पियो में व्यापारी को पुलिसिया यातनाएं दीं। जमकर पीटा। फिर थाने के पास छोड़कर इंस्पेक्टर और उसके साथी फरार हो गए।

बुलंदशहर में तैनात इस इंस्पेक्टर की करतूत का जब अलीगढ़ के एसएसपी कलानिधि नैथानी को पता चला तो उन्होंने बुलंदशहर जिले के पुलिस कप्तान, आईजी रेंज से लेकर एडीजी जोन को पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। बिना देर किए आईपीएस कलानिधि नैथानी ने कानूनी चाबुक चलाते हुए बेलगाम इंस्पेक्टर के खिलाफ व्यापारी की तहरीर पर तत्काल मुकदमा दर्ज करा दिया। मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद अंतर्गत हरदुआगंज थाना क्षेत्र का है। यहां के रहने वाले व्यापारी अभिषेक तिवारी 30 सितंबर को शाम 8 बजे तालानगरी स्थित फैक्ट्री पर बैठे थे। इसी दौरान स्कॉर्पियो गाड़ी सवार लोग आए। व्यापारी से मारपीट करते हुए उसे जबरन अगवा कर ले जाने लगे।

मौके पर भीड़ एकत्र हो गई। भीड़ ने इलाकाई पुलिस को सूचना दी तो इलाकाई पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्कॉर्पियो गाड़ी सवार लोगों से उनका परिचय जाना तो एक व्यक्ति ने खुद को इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव बताते हुए व्यापारी के खिलाफ बुलंदशहर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना बताया। अलीगढ़ पुलिस ने बगैर सूचना दिए इस तरह धोखाधड़ी जैसे मामले में, जिसमें गिरफ्तारी का मामला भी नहीं बनता। व्यापारी के साथ मारपीट करने और जबरन उसे ले जाने का विरोध किया तो इंस्पेक्टर ने पूछताछ कर छोड़ने की बात कही। इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव बहानेबाजी कर अपने मकसद में कामयाब हो गया। स्कॉर्पियो से व्यापारी को अगवा कर ले गया।

आरोप है कि व्यापारी की कनपटी पर रिवाल्वर रखकर उसे पुलिसिया यातनाएं दीं। काफी पीटने के बाद मामले में खुद को फंसता देख इंस्पेक्टर ने बुलंदशहर से वापस अलीगढ़ में थाना हरदुआगंज के पास व्यापारी को स्कॉर्पियो गाड़ी से फेंक दिया और साथियों के साथ फरार हो गया। इधर परिवार व इलाके के लोग बड़ी संख्या में थाने पहुंचे। व्यापारी नेताओं ने एसएसपी अलीगढ़ कलानिधि नैथानी को पूरे मामले की सूचना दी। एसएसपी अलीगढ़ कलानिधि नैथानी ने जब पूरे मामले की छानबीन कराई तो पता चला कि व्यापारी अभिषेक तिवारी के खिलाफ बुलंदशहर में धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। हालांकि, इस मामले में किसी तरह की गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है और ना ही कोई बड़े लेन-देन की धोखाधड़ी का मामला है। बावजूद वादी पक्ष के लोगों के साथ उन्हीं की स्कॉर्पियो से बगैर अपने थाने को बताये, अपने किसी सीनियर अधिकारी के संज्ञान में डाले ही इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव पुलिसिया रौब में अनाधिकृत रूप से व्यापारी को पकड़ने अलीगढ़ के हरदुआगंज थाना क्षेत्र में पहुंचा था। यहां तक कि इंस्पेक्टर ने अलीगढ़ के हरदुआगंज स्थानीय थाने में भी किसी तरह की कोई सूचना नहीं दी। इसी के चलते इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव की नीति और नियत पर सवाल खड़े हो गए।

एसएसपी अलीगढ़ कलानिधि नैथानी ने व्यापारी की तहरीर पर इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव के अलावा राजीव शर्मा, अमित अरोरा तथा अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 147, 148, 323, 364, और 506 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया है। आईपीएस कलानिधि नैथानी ने बेलगाम इंस्पेक्टर पर शिकंजा कसा तो कुंभकर्णी नींद में सोये बुलंदशहर के पुलिस कप्तान, आईजी मेरठ को भी कानूनी दांव-पेंच याद आ गया। तत्काल प्रभाव से इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव को सस्पेंड किया गया। विडंबना इस बात की है कि पुलिस कप्तान व आईजी रेंज को खुद ही नहीं मालूम कि उनके इंस्पेक्टर क्या गुल खिला रहे हैं। मौके पर इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव ने कई झूठ बोले। पहले तो अपना नाम गलत बताया। फिर खुद को एसएचओ कोतवाली बताया। आईपीएस नैथानी के सामने इंस्पेक्टर का कोई झूठ न चल सका।

इस पूरे प्रकरण में बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि हाल ही में गोरखपुर में मनीष गुप्ता कांड हुआ है, जिसको लेकर देशभर में बेलगाम वर्दी वालों के खिलाफ आक्रोश है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर की घटना पर डीजीपी मुकुल गोयल तथा एडीजी एलओ प्रशांत कुमार को तलब कर कड़े दिशा-निर्देश दिए। सीएम ने खराब छवि वाले अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को किसी भी हाल में फील्ड में तैनात न करने, महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी न देने की बात कही। खराब छवि वाले पुलिसकर्मियों के सत्यापन पर जोर दिया है। अब अजय कुमार यादव का हाल देखिए कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, मानवाधिकार आयोग, पुलिस रेगुलेशन और आला अधिकारियों के आदेश सभी को ताक में रखकर एक ऐसे मामले में व्यापारी को पकड़ने जा पहुंचे, जिसकी गिरफ्तारी का कानूनी तौर पर कोई प्रावधान भी नहीं है।

डीजीपी साहब ! कानून हाथ में लेने वाले इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव से जरा ये तो पता किया जाए कि अब तक इन्होंने कितने दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। या फिर कितने खूंखार अपराधी गिरफ्तार किये हैं। व्यापारी अभिषेक तिवारी कोई बहुत बड़ा अपराधी था, जो कि कानूनी दिशा-निर्देशों को रौंदते हुए इंस्पेक्टर अजय कुमार यादव उसे पकड़ने जा पहुंचे। वो भी उन लोगों के साथ जिन्होंने व्यापारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। विडंबना, गैर कानूनी तरीके से वादी पक्ष की गाड़ी से इंस्पेक्टर का व्यापारी तक पहुंचना और इस तरह कानून हाथ में लेकर व्यापारी को अगवा कर गाड़ी में पिटाई करना कहां का कानून है? मित्र पुलिस का सपना संजोए बैठी उत्तर प्रदेश पुलिस के ये इंस्पेक्टर आखिर किस राह पर चल पड़े हैं।

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