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IPS Suraj Kumar Rai: पिता की हत्या से आहत बेटा IPS बन कर रहा है देश की सेवा
IPS Suraj Kumar Rai:उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले सूरज कुमार राय बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे. परिवार भी अपने इस होनहार बच्चे का पूरी तरह से सहयोग कर रहा था. पिता ने ठान लिया था कि बेटा जो चाहे और जितना चाहे उतना पढ़ेगा. सूरज भी मन ही मन इंजीनियर बनने का इरादा कर चुके थे.
12वीं की पढ़ाई साइंस से पूरी करने के बाद सूरज इलाहाबाद से पढ़ाई करने लगे.इन्हें यहीं के मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिल गया. सूरज के जीवन में सब कुछ सही चल रहा था लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. उन्हें एडमिशन लिए अभी महीना भर ही हुआ था कि ख़बर मिली 'पिता जी नहीं रहे.' सूरज के पिता की हत्या कर दी गई थी.
मामला पुलिस तक तो पहुंचा लेकिन सूरज ने पाया कि मामले की छानबीन करने में पुलिस लापरवाही बरत रही है. ये सब देख कर तो सूरज ने न्याय की आस ही छोड़ दी. पिता की हत्या के मामले में पुलिस द्वारा कोर्ट में जितने भी सबूत जमा किए गए, वे पर्याप्त नहीं थे. सूरज ने तो अपने इंटरव्यू में यहां तक कहा है कि उन्हें अपने पिता के केस में न्याय भी नहीं मिला. वो जब थाने जाते तो उन्हें घंटों इंतजार करवाया जाता.
न्याय के लिए कोर्ट और थाने के चक्कर काटते हुए सूरज इस सिस्टम की लाचारी को बहुत अच्छे से समझ चुके थे.वह सोचने लगे कि उनके जैसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें न्याय के लिए इस तरह भटकना पड़ता होगा. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक आईपीएस ऑफिसर बनेंगे.
वो हमेशा से इंजीनियर बनना ताहते थे, लेकिन कानून और न्याय व्यवस्था की ढिलाई देख कर सूरज ने फैसला किया कि वह इंजीनियरिंग में अपना करियर बनाने की बजाय ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करेंगे तथा आईपीएस ऑफिसर बन कर उन पीड़ितों की मदद करेंगे जिन्हें उनकी तरह न्याय नहीं मिल पाता.
सूरज ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद मीडिया को बताया था कि जब वह अपने पिता के केस में कभी थाने तो कभी कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे, तब उन्होंने सरकार की कानून व्यवस्था को बहुत धीमा और लचर पाया. यही सब देख कर उन्होंने तय किया कि अगर इस व्यवस्था में सुधार लाना है तो उन्हें सिविल सेवा में आना ही होगा.यहीं से उन्होंने अपना लक्ष्य बदल लिया.
ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद सूरज यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने पढ़ाई में अपनी सारी मेहनत झोंक दी.दिन रात पढ़ते हुए उनका एक ही लक्ष्य था और वो था यूपीएससी क्लियर करना.भले ही मेहनत कितनी भी हो लेकिन यूपीएससी की परीक्षा को पास करना इतना आसान कहां होता है. यही कारण रहा कि सूरज अपने पहले प्रयास में प्री भी क्लियर नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
उन्हें किसी भी हाल में सफल होना था. दूसरे प्रयास में वह प्री तो क्लियर कर गए लेकिन इस बार मेंस क्लियर ना हो पाया. सूरज को फेल होने का दुख नहीं था बल्कि इस बात का संतोष था कि उन्होंने पिछली बार से बेहतर किया है. तीसरे प्रयास में उन्हें बेहतर की उम्मीद थी और 2017 ही वो साल था जब सूरज की मेहनत रंग लाई और वह यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 117 रैंक के साथ पास हो गए.