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पत्रकार को हथकड़ी लगाकर जेल भेजना पड़ा भारी, देना पड़ा दो लाख जुर्माना
छह वर्ष पहले थाना जैथरा पुलिस की ओर से छेड़छाड के मामले में हथकड़ी लगाकर जेल भेजने के मामले में दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। पीड़ित ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी। दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में यह पहला मामला है जिसमें इतनी बड़ी राशि शिकायत कर्ता को मिली हो।
23 जून 2016 को जैथरा पुलिस ने कथित छेड़खानी की घटना में जैथरा के मोहल्ला नेहरू नगर निवासी पत्रकार सुनील कुमार को साजिश के तहत झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके अगले दिन 24 जून को हथकड़ी में ले जाकर जेल भेज दिया था। करीब दो सप्ताह जमानत मिल गई थी। जेल से बाहर आते ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली में पूरे प्रकरण की शिकायत करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी। साथ ही हथकड़ी लगाकर ले जाने को गरिमामय जीवन जीने के अधिकार के हनन पर मुआवजा की मांग उठाई। आयोग ने उस समय के एसएसपी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की। पुलिस की रिपोर्ट के बाद आयोग ने पूरे प्रकरण की जांच अपनी टीम से कराई। जांच में यह पता चला कि जो मुकदमा छेड़खानी का दर्ज किया गया था वह मनगढ़त्त था। जो घटनास्थल दिखाया गया था पीड़ित सुनील की मौजूदगी वहां पर नहीं मिली।
छह साल तक चली जांच
छह साल चली लंबी जांच के बाद आयोग ने जिले के तत्कालीन एसएसपी अजयशंकर राय, उस समय जैथरा में तैनात रहे थानाध्यक्ष कैलाश चंद्र दुबे, विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी को दोषी पाते हुए सम्बन्धितों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए डीजीपी आदेश दिया। साथ ही, प्रदेश के मुख्य सचिव को पीड़ित पत्रकार को दो लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था। राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद शासन ने एसएसपी को मुआवजा राशि का बजट भेजते हुए पीड़ित पत्रकार को 10 दिवस में मुआवजा राशि का भुगतान कर, साक्ष्य उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उदय शंकर सिंह ने 22 मार्च को पीड़ित के खाते में दो लाख रुपये की राशि का ट्रेजरी से भुगतान करा दिया है।
आयोग ने मुख्य सचिव की तलबी को भेजा था सशर्त समन
मुआवजा राशि का भुगतान न करने से खफा आयोग ने 29 दिसम्बर को सशर्त समन जारी कर प्रदेश के मुख्य सचिव को अग्रिम तिथि चार अप्रैल को पूर्वाह्न 11 बजे आयोग के समक्ष उपस्थित होकर पीड़ित को मुआवजा प्रदान करने का साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। एक सप्ताह पूर्व आयोग को आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट प्राप्त हो जाती है, तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत पेशी से छूट होगी।
पुलिस कर्मचारियों के वेतन से कटेगा पैसा
पीड़ित पत्रकार को प्रदान की गई मुआवजा राशि की भरपाई शासन दोषी पुलिसकर्मियों के वेतन से करेगा। इसके शासन ने एसएसपी को आदेश दे दिए हैं। अब तक कई पुलिसकर्मी फंस चुके हैं। इसमें तत्कालीन एसएसपी, एसओ व विवेचक पर आयोग कार्रवाई के आदेश दे चुका है। वहीं एसएसपी स्तर से एक हैड मोहर्रिर सहित तीन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जा चुकी है।