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'सत्तर साल' का राग अलापते दादी,पिता और ख़ुद को भी कोस बैठे 'महाराज'…!
राकेश पाठक
ट्विटर पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सत्तर साल का राग अलापने के फेर में बुरे फंस गए हैं।गरीबी हटाओ को जुमला बताने वाले ट्वीट पर लोगों ने पूछा है कि इन सत्तर सालों में आपके पिताश्री और आपके कितने साल शामिल हैं?
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक इंटरव्यू की क्लिप ट्वीट की है। इसमें लिखा है कि 'दशकों तक दूसरी सरकारों ने गरीबों से वादे किये लेकिन किया कुछ नहीं। मोदी जी ने गरीब जनता को समाज में सिर उठा कर गरिमामय जीवन जीने का अधिकार दिया है।'
इसे रीट्वीट करते हुए सिंधिया ने लिखा है कि '70 सालों से गरीबी हटाओ का जुमला चल रहा था लेकिन नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में जरूरतमंद परिवारों के लिये ना सिर्फ़ बड़े निर्णय लिए गए,बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सम्पन्न करने की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाये गए।'
सिंधिया ट्वीट करने से पहले यह भूल गए कि इन सत्तर सालों में उनकी दादी,पिता और वे ख़ुद दशकों तक कांग्रेस में सांसद,मंत्री रहे थे।
ट्विटर पर लोग पूछ रहे हैं कि जिन सत्तर साल में कुछ न होने का आप राग अलाप रहे हैं उनमें आपके और पिताश्री के कितने साल शामिल हैं?
एक यूजर अरविंद कुमार सिंह ने उनके ट्वीट पर लिखा है कि इनमें आप अपने और पिताजी के वो साल भी शामिल कर लें जब कांग्रेस में रह कर भाजपा को कोसते थे।
सौरभ जैन ने लिखा है कि 29 करोड़ से 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन दुकान की लाइन में लगा कर गरीबी हटा रहे हैं बिना एयर लाइन के नागरिक उड्डयन मंत्री जी…!
रवि गौर ने संसद में सिंधिया के एक पुराने भाषण की क्लिप साझा करके उनसे कहा है कि भाजपा की असलियत तो आप स्वयं बता चुके हैं। उस भाषण में सिंधिया भाजपा को झूठे और निराधार आरोप लगाने वाली पार्टी बता रहे हैं।
सिंधिया की ट्विटर टाइम लाइन उनके ट्वीट के बाद से ऐसे ही कमेंट्स से भरी है। एक्का दुक्का लोगों ने ही उनके सुर में सुर मिलाया है बाक़ी 95 फ़ीसदी कमेंट्स में यही पूछा जा रहा है कि आप
और आपके पिताजी इन सत्तर सालों में कितने दशक जुमले फेंकने में शामिल रहे?
एक यूजर कैलाश भाटी ने लिखा है कि रंग बदलने में आपने तो गिरगिट को भी पीछे छोड़ दिया है।उन्हें गद्दार और धोखेबाज भी लिखा जा रहा है।
● दादी,पिता और ख़ुद दशकों कांग्रेस में रहे…
ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया सन 1957 और 1962 में कांग्रेस के टिकिट पर सांसद रहीं थीं। सन 1967 में कांग्रेस छोड़ कर जनसंघ में शामिल हुईं।
सिंधिया के पिता स्व.माधवराव सिंधिया पहली बार जनसंघ के टिकिट पर सांसद बने लेकिन उसके बाद कांग्रेस के समर्थन से निर्दलीय जीते।
तीसरे चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और दशाकों उसी पार्टी से सांसद और केंद्र में बरसों मंत्री रहे। एक दफ़ा कांग्रेस छोड़ी तब भी भाजपा में नहीं गए। अपनी पार्टी विकास कांग्रेस बनाकर लड़े और जीते। बाद में फिर कांग्रेस में ही शामिल हो गए। माधवराव सिंधिया मृत्यु पर्यंत कांग्रेसी रहे।
पिता माधवराव सिंधिया की एक विमान दुघर्टना में मृत्यु के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया सक्रिय राजनीति में शामिल हुए।
सन 2001 से 2020 तक कांग्रेस में रहे। चार बार सांसद,दो बार केंद्र में मंत्री और पार्टी में प्रमुख पद पर रहे। लोकसभा में मुख्य सचेतक तक का दायित्व मिला।
2019 के लोकसभा चुनाव में अपने ही संसदीय क्षेत्र में अपने पूर्व प्रतिनिधि से लोकसभा चुनाव हार गए।क़रीब बीस साल कांग्रेस में रहने के बाद दलबदल किया और बीजेपी में शामिल हो गए।