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जानें कौन हैं कालीचरण जो ओपी राजभर के लिए बढ़ा सकते हैं मुश्किलें
भाजपा ने शनिवार को पूर्वांचल की नौ और सीटों के प्रत्याशियों घोषणा करते हुए तीन विधायकों के टिकट काट दिए। मुहम्मदाबाद गोहना (सु.) सीट से विधायक श्रीराम सोनकर, मुगलसराय से साधना सिंह और चकिया (सु) से शारदा प्रसाद को दोबारा मौका नहीं दिया। श्रीराम सोनकर का नाम घोषित होने के बाद वापस ले लिया गया। बीजेपी ने सपा गठबंधन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ भी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है।
बीजेपी ने ओपी राजभर के खिलाफ कालीचरण राजभर को टिकट दिया है, जो हाल ही में समाजवादी पार्टी से ही भगवा कैंप में आए हैं। सूत्रों के अनुसार ओपी राजभर को कालीचरण राजभर कड़ी टक्कर दे सकते हैं। हालांकि यूपी की ज्यादातर सीटों पर भी सपा और भाजपा में ही जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है।
ओपी राजभर के सामने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कालीचरण दो महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने सपा को छोड़कर 12 दिसंबर को ही भाजपा की सदस्यता ली थी। कालीचरण जहूराबाद से सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ लगातार दूसरी बार मैदान में हैं। इससे पहले वह सपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं उस समय ओपी राजभर भाजपा के साथ गठबंधन में थे।
जहूराबाद विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कालीचरण 2002 में बसपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े थे और जीतकर विधायक भी बने थे। इसके बाद कालीचरण ने 2007 में एक बार फिर बसपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में सफल रहे। दो बार से विधायक रहने के बाद वह बसपा के सिंबल पर 2012 और 2017 का चुनाव लड़े लेकिन कम अंतर से हार गए। 2012 में शादाब फातिमा ने उन्हें हराया तो 2017 में भाजपा और सुभासपा के गठबंधन के ओमप्रकाश राजभर से हारे। चुनाव में कालीचरण दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद वह बसपा का दामन छोड़कर सपा में चले गए।
फरवरी 2020 में पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव के सहयोग से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले और कालीचरण ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। उस समय कालीचरण ने अपना भविष्य सपा में होना बताया था, लेकिन वह ज्यादा दिन तक सपा में नहीं रह सके। जैसे ही सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर का सपा से गठबंधन हुआ तो कालीचरण नया ठिकाना तलाशने लगे। कालीचरण को अपना भविष्य अब भाजपा में दिखाई देने लगा था।
9 लोगो जारी सूची के मुताबिक आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से अरविंद जायसवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। अरविंद 2012 में कांग्रेस के टिकट पर सगड़ी से चुनाव लड़ चुके हैं। वह गोरखपुर क्षेत्र के भाजपा उपाध्यक्ष भी हैं। उनकी पत्नी नीतू दो बार नगर पंचायत की चेयरमैन रह चुकी हैं। मऊ सदर सीट पर अशोक सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ओबरा (सुरक्षित) से संजीव गोंड़ को एक बार फिर मौका दिया गया है। वह पहली बार 2017 में विधायक चुने गए थे। 2021 में उन्हें समाज कल्याण राज्यमंत्री बनाया गया। घोरावल सीट पर पार्टी ने वर्तमान विधायक अनिल मौर्य को ही टिकट दिया है। इसके पूर्व अनिल मौर्य बसपा से दो बार विधायक रह चुके हैं।
जहूराबाद से भाजपा ने पूर्व विधायक कालीचरण राजभर को टिकट दिया है। जौनपुर के मछलीशहर (सुरक्षित) सीट से मेहीलाल गौतम चुनाव लड़ेंगे। मेहीलाल प्रधान रहे हैं। सुजानगंज में उनकी टायर की दुकान है। मुगलसराय से विधायक साधना सिंह का टिकट काटकर रमेश जायसवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। रमेश काशी प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हैं। तकरीबन 22 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा से जुड़े हैं। चकिया (सुरक्षित) से विधायक शारदा प्रसाद को भी मौका नहीं मिला। यहां कैलाश खरवार को मैदान में उतारा गया है। कैलाश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सह विभाग संचालक हैं। फिलहाल प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं और सात फरवरी से शैक्षिक अवकाश पर चल रहे हैं।