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- केदारनाथ धाम के कपाट...
केदारनाथ धाम के कपाट खुले, दो साल बाद दर्शन कर रहे हैं श्रद्धालु; सीएम धामी रहे मौजूद, दर्शन के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहूर्त में शुक्रवार सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर खोल दिए गए। अब छह माह तक बाबा के भक्त धाम में ही आराध्य के दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर सकेंगे। कोविड के कारण दो साल से मंदिर भक्तों के लिए बंद था। लगभग दो साल बाद श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर रहे हैं। बाबा के मंदिर को दस क्विंटल फूलों से सजाया गया है। वहीं, बृहस्पतिवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली भक्तों के जयकारों के बीच अपने धाम पहुंची। विधि विधान के साथ बाबा की डोली को मंदिर के समीप विराजमान किया गया है। साथ ही अन्य धार्मिक परंपराओं का निर्वहन किया गया है।
पुजारियों और वेदपाठियों ने मंदिर के गर्भगृह की सफाई की और बाबा को भोग लगाया। इसके बाद मंदिर के अंदर पूजा-अर्चना हुई। सेना के बैंड की धुन के साथ पूरे केदारनाथ में बाबा का जयकारे गूंजा। इस दौरान सीएम धामी के अलावा बीकेटीसी के सदस्य भी मौजूद रहे।
प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा पर आ रहे यात्रियों से स्वास्थ्य को लेकर एहतियात बरतने की अपील की है। समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में कब मौसम किस करवट बदल जाए, यह कहना मुश्किल है। यहां पूरे सीजन ठंड का माहौल रहता है। श्रद्धालुओं को कई बार स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
- बिना पंजीकरण यात्रा न करें और अपना स्वास्थ्य परीक्षण करा लें।
- चिकित्सक द्वारा लिखी दवाएं पर्याप्त मात्रा में रखे।
- गर्म कपड़े साथ में लेकर आए। स्नो इफेक्ट कम करने वाले चश्मों का प्रयोग करें।
- हृदय, स्वांस रोग, मधुमेह और हाईएल्टीट्यूड संबंधी रोग से पीड़ित लोग विशेष सावधानी बरतें।
- धूम्रपान और मादक पदार्थों का सेवन न करें।
- गौरीकुंड से आगे बढ़ने से पहले हल्का योगाभ्यास करें।
- पैदल मार्ग पर तेज चलने के बजाय धीरे-धीरे चलते रहे।
तबीयत बिगड़ने के प्रमुख कारण
- बिना डाक्टरी सलाह के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रेकिंग।
- दिल की धड़कन तेज होने के बावजूद चलते रहना।
- पर्याप्त गर्म कपड़ों का उपयोग नहीं करना।
- पैदल मार्ग पर जंक फूड का सेवन।
केदारनाथ में सिर्फ 57 प्रतिशत ऑक्सीजन
एक स्वस्थ्य व्यक्ति को सांस लेने के लिए 70 प्रतिशत ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जबकि 8 हजार फीट की ऊंचाई के बाद से ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ने लगती है। केदारनाथ में सांस लेने के लिए 87 फीसदी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। लेकिन यहां मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन है। यहां बेचैनी, बेहोश होना व हृदयघात आशंका सबसे अधिक रहती है।