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Kirodi Lal Meena News: जी का जंजाल बन गया है बाबा के नाम से विख्यात डॉ किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा
महेश झालानी
Kirodi Lal Meena News: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बाबा के नाम से विख्यात डॉ किरोड़ी लाल मीणा का इस्तीफा पार्टी तथा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए जी का जंजाल बन गया है । समझ नही आ रहा है कि इस्तीफे को स्वीकार किया जाए या रदद् । यही वजह है कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी उनका इस्तीफा स्वीकार नही किया गया है ।
उधर किरोड़ी लाल मीणा भी इस्तीफा देकर बुरी तरह से उलझ गए है । वे समझ नही पा रहे है कि उन्हें मंत्री की हैसियत काम करना चाहिए अथवा नही । हालांकि वे सार्वजनिक रूप से घोषणा कर चुके है कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है । लेकिन आपदा मंत्री होने के नाते वे दौरा भी कर रहे है और फाइलों का निपटारा भी ।
बाबा ने जुलाई में ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था । लेकिन तीन महीने बाद भी मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार नही किया है । पहले आलाकमान द्वारा बाबा को समझाने का प्रयास भी किया गया था । लेकिन अब आलाकमान ने भी उनकी सुध लेना छोड़ दिया है । बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एकबार बाबा को दिल्ली भी तलब किया था । लेकिन नड्डा अब बाबा के प्रति पूरी तरह उदासीन है । बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी अब चुप्पी साध ली है ।
ज्ञात हुआ है कि बीजेपी का एक धड़ा यह चाहता है कि बाबा का इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें खुला छोड़ देना चाहिए । जबकि एक अन्य धड़ा इस्तीफा स्वीकार करने के पक्ष में बिल्कुल भी नही है । इस धड़े का तर्क है कि किरोड़ी लाल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया तो उनकी मनमानी और बढ़ जाएगी । परिणामतः पार्टी को इसका बहुत ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ेगा ।
उधर मुख्यमंत्री और आलाकमान बाबा को अधरझूल में लटकाने की रणनीति अपनाए हुए है । इस बात से कोई इंकार नही कर सकता कि किरोड़ी लाल मीणा के कृत्य बीजेपी के लिए आत्मघाती सिद्ध हो रहे है । मंत्री रहते हुए एसओजी के दफ्तर जाना, यादगार में अफसरों से बात करना और पेपरलीक मामले में सरकार की मंशा के खिलाफ बयान देने से पार्टी की जबरदस्त किरकिरी हो रही है ।
बाबा उसी दिन से खफा है जब उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए उन्हें कृषि जैसा मामूली सा महकमा सौपा गया । डॉ किरोड़ी लाल मीणा के समर्थक मानकर चल रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा । जब मुख्यमंत्री नही बनाया गया तो कयास लगाए गए कि बाबा को गृह या वित्त जैसा महत्वपूर्ण विभाग मिलेगा । लेकिन मिला उन्हें खंडित ग्रमीण विकास जैसा फालतू का विभाग । अब से पहले ग्रामीण विकास और पँचायत राज विभाग एक साथ होते थे । लेकिन पंचायत राज विभाग छीनकर उन्हें दिया गया फकत ग्रामीण विकास विभाग ।
बाबा को मंत्री तो बना दिया गया । लेकिन उनके मन मे बहुत बेचैनी थी । लिहाजा उन्होंने मंत्री पद छोड़ना उचित समझा । गाड़ी-घोड़े की उनको कोई परवाह थी नही । विभाग भी ऐसा नही जिसके जरिये वे लोगो को ओब्लाइज कर सके । ऐसे में उनके पास इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प बचा ही नही । उन्हें पूरी उम्मीद थी कि आलाकमान इस्तीफा वापिस लेने के लिए मिन्नते करेगा । लेकिन ऐसा हुआ नही । उधर मुख्यमंत्री भी उनके इस्तीफे को लेकर पूरी तरह उदासीन है ।
खुद किरोड़ीलाल मीणा के लिए इस्तीफा जग हँसाई का खेल बन गया है, वही मुख्यमंत्री और आलाकमान के लिए भी यह इस्तीफा जी का जंजाल बना हुआ है । बाबा अब दायरे से बाहर जाकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिये के लिए मैदान में कूद चुके है । अभी वे एसओजी आदि के दफ्तर जा रहे है । हो सकता है कि किसी दिन सचिन पायलट की तर्ज पर सरकार के खिलाफ धरना या प्रदर्शन करने नही उतर जाए ।
इस समय जनता और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की नजरों में सरकार की सेहत ठीक नही लग रही है । इसकी वजह यह है कि अफसरशाही बेलगाम होकर मनमानी पर उतारू है । दूसरी ओर कार्यकर्ता और बीजेपी के बड़े नेता अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे है । ऐसे में किरोड़ी की हरकत से जनता में बहुत गलत मेसेज जा रहा है । मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इस पर फौरी तौर पर कोई निर्णय ले ।
इसके अलावा अफसरों की लिस्ट जारी करने में विलंब नही होना चाहिए । मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि पूरी नौकरशाही आराम के मूड में है । दिनभर सरकारी महकमो में सरकार की लेटलतीफी को लेकर व्हाट्सअप पर चुटकुलेबाजी चलती रहती है । ऐसे में मुख्यमंत्री को तुरंत कदम उठाना चाहिए । इसके अलावा एसआई की परीक्षा और आरपीएससी पर तुरन्त निर्णय अपेक्षित है । एसओजी की सुस्त रफ्तार से लोगो मे आक्रोश है । साथ ही मगरमच्छों की गिरफ्तारी को लेकर जनता में उत्सुकता है ।