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Hardik Patel: हार्दिक पटेल की तरह कांग्रेस आईटी सेल भी पार्टी छोड़ दे तो क्या होगा?

Shiv Kumar Mishra
18 May 2022 1:07 PM GMT
Hardik Patel: हार्दिक पटेल की तरह कांग्रेस आईटी सेल भी पार्टी छोड़ दे तो क्या होगा?
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रंगनाथ सिंह

उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय 'नव संकल्प चिंतिन शिविर' में हार्दिक पटेल नहीं पहुँचे थे। कांग्रेस के हवाले से रपट आयी कि हार्दिक को बुलाया नहीं गया था। हार्दिक के हवाले से खबर आयी कि उन्हें निजी न्योता मिला था लेकिन वो खुद नहीं गये। कुल मिलाकर जिन 430 लोगों ने उदयपुर में कांग्रेस के भविष्य के बारे में चिन्तन किया उसमें गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नहीं थे। गुजरात में इसी साल के आखिर में चुनाव है। चिन्तन शिविर में कांग्रेस ने संकल्प लिया है कि अब से संगठन में 50 फीसदी पद पर 50 साल या उससे कम उम्र के नेता रहेंगे। हार्दिक की उम्र 28 साल है।

हार्दिक ही नहीं पंजाब में कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार रहे चरणजीत सिंह चन्नी भी चिन्तन करने नहीं पहुँचे। कुछ लोग कहेंगे कि चन्नी अपना चुनाव हार गए थे। चुनाव तो रणदीप सुरजेवाला भी हारते आ रहे हैं लेकिन वह रणनीतिकार की मुख्य भूमिका में बने हुए हैं।

गुजरात से जिग्नेश मेवानी कांग्रेस के चिंतन शिविर में पहुँचे थे जो निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस आलाकमान निर्दलीय विधायक के साथ अपने भविष्य की चिन्ता कर सकता है लेकिन अपने कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष के साथ नहीं!

मुझे मेवानी की जाति का नहीं पता लेकिन वह अनुसूचित वर्ग से आते हैं जिसकी कुल आबादी करीब 7 प्रतिशत है। हार्दिक की पटेल जाति की आबादी गुजरात में करीब 14 प्रतिशत मानी जाती है। गुजरात से बाहर भी पटेल प्रभावशाली जाति है। धीरे-धीरे यह स्थापित होता जा रहा है कि कोई भी जाति अपने वर्ग की अन्य जातियों की नुमाइंदगी का दावा नहीं कर सकती। हर जाति अपने नेता चुनकर उसके हवाले से सत्ता के लिए मोलतोल करेगी। ऐसे में गुजरात चुनाव से पहले एक लोकप्रिय पटेल नेता की अनदेखी का नतीजा साल के अन्त तक दिख जाएगा।

हार्दिक पटेल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस और कांग्रेस आईटी सेल का पक्ष भी सामने आ चुका है। कांग्रेस का प्रत्याशित जवाब है कि हार्दिक भाजपा से हाथ मिला चुके हैं। कांग्रेस आईटी सेल के सेनानी यह घोषित करने में व्यस्त हैं कि हार्दिक पटेल के जाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मैं उनसे सहमत हूँ। कांग्रेस को तब फर्क पड़ेगा जब दिल्ली के कांग्रेस-पोषित ईकोसिस्टम के लाभार्थी आईटी सेल सेनानी पार्टी छोड़ देंगे! कांग्रेस आईटी सेल सेनानी जब पार्टी छोड़ेंगे तो कांग्रेस का कई राज्यों में सूपड़ा साफ हो जाएगा। केंद्र में कांग्रेस की वापसी तो नामुमकिन हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर आईटी सेल सेनानियों की नाड़खेड़ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गड़ी है। उनकी आह राजधानी में पार्टी की सभी सम्भावनाओं को भस्म करने के लिए काफी होगी।

जो लोग न तो खुद दो-चार हजार वोट ला सकते हैं और न उनकी बनाई रणनीति से पार्टी को दो-चार सीट मिल सकती हैं, वही सही मायने में कांग्रेस के भविष्य के बारे में चिन्तन करने के सुयोग्य अधिकारी हैं क्योंकि वही पार्टी की मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं। यदि कांग्रेस उन 430 लोगों की लिस्ट जारी कर दे जो पार्टी के भविष्य की चिन्ता करने उदयपुर गए थे तो पूरे देश को कांग्रेस के असल कर्णधारों का नाम पता चल जाता।

चूँकि कांग्रेस को सलाह देना सभी पत्रकारों का राष्ट्रीय कर्तव्य बन चुका है इसलिए मैं भी एक सलाह देना चाहूँगा। सुना है कि जेएनयू के कई विद्वान, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और पूर्व छात्र नेता आजकल कांग्रेस के भविष्य की रणनीति बनाने में दत्तचित्त रहते हैं। इन सभी प्रबुद्ध जन को पार्टी की तरफ से एक छोटा सा टास्क देना चाहिए। इन सब लोगों को मिलकर जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष के आगामी चुनाव में NSUI को जिताने के लिए जी जान से लग जाना चाहिए। अगर ये सब लोग मिलकर NSUI को यह सीट जिताने में कामयाब हो गए तो उनके आलोचकों को करारा जवाब मिल जाएगा। नहीं तो...

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