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मध्यप्रदेश उपचुनाव: कांग्रेस में दिग्विजय की पसंद को अहमियत
अरुण दीक्षित
भोपाल।मध्यप्रदेश में होने जा रहे चार उपचुनावों के लिए कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं!प्रत्याशियों के नामों के साथ ही यह तय हो गया है कि प्रदेश में मुखिया भले ही कमलनाथ हों लेकिन वास्तव में चल दिग्विजय सिंह की ही रही है।यह भी कहा जा सकता है कि सरकार गवाने के बाद भी कमलनाथ ने दिग्विजय को सर माथे पर रखा है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है।यह सभी चुनाव विजयी प्रत्याशियों की मौत की बजह से हो रहे हैं।इनमें खण्डवा लोकसभा और रैगांव विधानसभा सीट भाजपा के पास थी।जबकि जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे।यह संयोग ही है कि इन चारों जनप्रतिनिधियों की मृत्यु कोरोना की बजह से हुई थी।
दोनों ही दलों ने काफी पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी। भाजपा ने तो अपने मंत्रियों,सांसदों ,विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की ड्यूटी बहुत पहले ही लगा दी थी।खुद मुख्यमंत्री इन इलाकों में जनदर्शन यात्राएं निकाल रहे थे।
चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखें घोषित कर दी हैं।इस समय नामांकन का समय चल रहा है।
लेकिन भाजपा ने जिस तेजी से तैयारी शुरु की थी उस तेजी से वह प्रत्याशी नही चुन पायी है।हालांकि वह सरकार में है फिर भी असमंजस बना हुआ है।एक प्रत्याशी घोषित किया है।वह भी कांग्रेस से उधार लिया है।
लेकिन कांग्रेस ने अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। खण्डवा लोकसभा सीट पर पूर्व विधायक राजनारायण सिंह पूर्णी को उम्मीदवार बनाया है।जोबट से पूर्व विधायक स्वर्गीय वेस्ता पटेल के बेटे महेश पटेल को मैदान में उतारा है।महेश पटेल अलीराजपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया के बहुत करीबी थे।जब दिग्विजय मुख्यमंत्री थे तब कबठू कांड हुआ था।उसके चलते वेस्ता पटेल चर्चा में आये थे।बाद में वे विधायक भी बने थे।अलीराजपुर के वर्तमान विधायक मुकेश पटेल महेश के सौतेले भाई हैं।
पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिये वह नितेन्द्र सिंह का नाम पहले ही घोषित हो चुका है।नितेन्द्र सिंह बृजेन्द्र सिंह राठौर के पुत्र हैं।बृजेन्द्र सिंह के निधन की बजह से उपचुनाव हो रहा है। बृजेन्द्र कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रहे थे।उनका अपने इलाके खासा रसूख था।वह दिग्विजय सिंह के करीबी थे।
रैगांव विधानसभा के लिए कल्पना वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया है।उनके नाम की सिफारिश कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे लखन घनघोरिया ने की थी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताविक चार में से तीन प्रत्याशी दिग्विजय सिंह से जुड़े हुए हैं।
इस चुनाव में सबसे बड़ा उलटफेर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने किया है।वह खण्डवा से सांसद रहे हैं।सब यही मान कर चले रहे थे कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अरुण यादव ही खण्डवा से चुनाव लड़ेंगे।लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान करके सबको चौंका दिया है।उन्होंने कहा है कि वे अपने पारिवारिक कारणों की बजह से चुनाव नही लड़ेंगे!लेकिन पार्टी जिसे भी उतारेगी उसके लिये प्रचार करेंगे।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने खुद अरुण यादव से चुनाव लड़ने को कहा था।लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि सर्वे में जिसका नाम आएगा उसे टिकट दिया जाएगा।इसी को लेकर अटकलें चलती रहीं।कहा यह भी गया कि कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग यह नही चाहता है कि अरुण यादव चुनाव लड़ें।
अरुण दूसरी पीढ़ी के नेता हैं।उनके पिता सुभाष यादव प्रदेश के दिग्गज नेता थे।वह दिग्विजय सिंह सरकार में उपमुख्यमंत्री भी रहे थे।सहकारिता के क्षेत्र में उन्होंने काफी काम किया था।कहा तो यह भी जाता है कि दिग्विजय ने सुभाष यादव को मिल ही मुख्यमंत्री की कुर्सी जोड़ तोड़ करके खुद हासिल की थी।
अरुण यादव के नजदीकी सूत्रों का यह भी कहना है कि उन्हें यह समझ आ गया था कि उनकी पार्टी के नेता उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं।इसी बजह से वह खुद मैदान से हट गए हैं।यह भी पता चला है खुद दिग्विजय ने उनसे चुनाव लड़ने को कहा था।
फिलहाल स्थिति यह है कि उपचुनाव में दिग्विजय सिंह का पलड़ा भारी रहा है।खण्डवा,जोबट और पृथ्वीपुर में उनकी पसंद के प्रत्याशी मैदान में हैं।कमलनाथ से उनका मित्रता फिर प्रमाणित हो गयी है।