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मध्यप्रदेश:निक्कर बना चुनावी मुद्दा!

अरुण दीक्षित
16 Oct 2021 10:14 PM IST
मध्यप्रदेश:निक्कर बना चुनावी मुद्दा!
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अरुण दीक्षित

भोपाल।आपको शायद इस बात पर यकीन नही होगा कि बच्चों की "निक्कर" मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गयी है।कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा मज़ाक में निक्कर का जिक्र भाजपा के लिए "रामबाण" सावित होता नजर आ रहा है।भाजपा ने निक्कर को चुनावी मुद्दा बना लिया है।इसकी आड़ में वह कांग्रेस और कमलनाथ दोनों पर चौतरफा हमला कर रही है।मजे की बात यह है कि इस हमले की कमान खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने संभाल रखी है।निक्कर की आड़ में पूरे प्रदेश के भाजपाई कमलनाथ पर हर सम्भव हमले कर रहे हैं।हालांकि नए दौर की भाजपा के लिए यह एक सामान्य बात है।लेकिन आम आदमी को लगता है कि "निक्कर" कुछ ज्यादा खिंच गया है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में इस समय 3 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहा है।दमोह उपचुनाव में करारी हार से सबक सीखी भाजपा इन उपचुनावों को भी आम चुनाव की तरह लड़ रही है।उसने न केवल भोपाल में अपना "युद्ध कक्ष" बनाया है बल्कि अपने मंत्रियों,विधायकों, सांसदों

सहित सैकड़ों पदाधिकारियों को चुनाव मैदान में झोंक दिया है।इन उपचुनावों की तैयारी कई महीने पहले शुरू हो गयी थी।शिवराज सिंह चौहान और विष्णुदत्त शर्मा पहले दिन से कमान संभाले हुए हैं।

उधर कांग्रेस की हालत पौरुष की सेना की तरह हो गयी है।दिल्ली में चल रहे असमंजस की बजह से पार्टी के नेता अपने ही दल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।हालांकि जमीन पर कांग्रेस इतनी कमजोर नही है लेकिन नेताओं की गुटबंदी और भाजपा के संगठित हमलों ने उसे कमजोर कर दिया है।

जहाँ तक चुनावी मुकाबले का सवाल है कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर है।पिछले चुनाव में इन चार सीटों में से विधानसभा की दो सीटें कांग्रेस ने और एक लोकसभा और एक विधानसभा सीट भाजपा ने जीती थी।

भाजपा की स्थिति का आंकलन इसी बात से किया जा सकता है कि उसने उपचुनाव के लिए दो प्रत्याशी कांग्रेस और समाज वादी पार्टी से उधार लिए हैं।वाकी दो सीटों पर भी स्वर्गवासी नेताओं के परिजनों को टिकट न देने का फैसला उसकी परेशानी का कारण बना हुआ है।हालांकि रूठों को मनाने का काम चल रहा है लेकिन फिर भी संशय कायम है।इसीलिए शिवराज सिंह और विष्णुदत्त शर्मा पूरी ताकत झोंके हुए हैं।इस बीच "निक्कर" उनके लिए संकटमोचक बनता दिख रहा है।

गत 12 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ खण्डवा में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। वहां उन्होंने मजाकिया लहजे में कह दिया कि जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष निक्कर पहनना सीख रहे थे तब मैं लोकसभा का सदस्य था।75 साल के कमलनाथ के इस बयान को भाजपा ने मुद्दा बना लिया है।पहले खुद 51 साल के विष्णुदत्त शर्मा ने उन्हें उत्तर दिया।फिर भाजपा के सभी नेता निक्कर को लेकर कमलनाथ और कांग्रेस पर टूट पड़े।कमलनाथ को लेकर अशालीन भाषा में टिप्पणियां की गईं।पूरे प्रदेश में उनके पुतले जलाए गए।संस्कारवान पार्टी के नेताओं ने अपने नए संस्कारों की भाषा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को घसीटा!

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ द्वारा बच्चों के पहनने वाली निक्कर को संघ के निक्कर से जोड़ दिया है।शुक्रवार को उन्होंने कहा-निक्कर पहनने बाले नेतृत्व कर रहे हैं तो कमलनाथ को दिक्कत हो रही है।

उधर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने तो यहां तक कह दिया कि कमलनाथ पजामा पहनकर तो पैदा नही हुए होंगे।उन्होंने भी बचपन में चड्ढी तो पहनी ही होगी।

अन्य नेता भी पिछले 5 दिन से लगातार हमले कर रहे हैं।यह भी पता चला है कि भाजपा ने तय किया है कि वह चारो चुनाव क्षेत्रों में "निक्कर" को मुद्दा बनाएगी।इसके लिए भोपाल से निर्देश जारी कर दिए गए हैं।यह भी साफ हो गया है कि भाजपा ने बच्चों के निक्कर को संघ के निक्कर से जोड़ दिया है।यह अलग बात है कि संघ के गणवेश में अब निक्कर की जगह फुलपैंट ने ले ली है।लेकिन निक्कर को लोग भूले नही हैं।

उधर हर तरफ से बिखराव की शिकार कांग्रेस अब निक्कर का तोड़ नही ढूंढ पा रही है।हालांकि उसके नेता अपनी ओर से सफाई दे रहे हैं लेकिन भाजपा के हमले के आगे वे कमजोर दिख रहे हैं।

देखना यह है कि जनता निक्कर पर क्या रुख अपनाती है।फिलहाल भाजपा ने तो "निक्कर" को पहन लिया है।

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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