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मन की बात: पीएम मोदी बोले- सियाचिन ग्लेशियर में आठ दिव्यांगों की टीम ने किया कमाल

मन की बात: पीएम मोदी बोले- सियाचिन ग्लेशियर में आठ दिव्यांगों की टीम ने किया कमाल
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अमेरिकी दौरा समाप्त होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी रविवार को एक बार फिर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए राष्ट्र को संबोधित किये रहे हैं। पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का यह के 81वां एपिसोड है। इस बार का कार्यक्रम इसलिए भी खास है, क्योंकि पीएम मोदी अमेरिका दौरा से आज ही लौट रहे हैं।

इससे पहले की मन की बात में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भरता को लेकर बिहार में कृषि विज्ञान केंद्र और तमिलनाडु में कांजीरंगन पंचायत के प्रयासों की सराहना की थी। तो चलिए जानते हैं इस बार पीएम मोदी अपने संबोधन में क्या-क्या कहते हैं

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में विश्व नदी दिवस पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि नदी हमारे लिए जीवंत इकाई है और हमारे देश में इसे मां मानने की परंपरा है। उन्होंने कहा हमारे घर में बच्चे हर दिवस को याद रखते हैं लेकिन एक और दिवस ऐसा है जो हम सबको याद रखना चाहिए और ये दिवस ऐसा है जो भारत की परम्पराओं से बहुत सुसंगत है। सदियों से जिस परम्पराओं से हम जुड़े हैं उससे जोड़ने वाला है।

-पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में कहा जाता है कि "पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भः'', अर्थात नदियां अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिए देती हैं।

-पीएम मोदी ने कहा कि जैसे गुजरात में बारिश की शुरुआत होती है तो गुजरात में जल-जीलनी एकादशी मनाते हैं। मतलब की आज के युग में हम जिसको कहते है 'Catch the Rain' वो वही बात है कि जल के एक-एक बिंदु को अपने में समेटना, जल-जीलनी। हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का काम सबके प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं। 'नमामि गंगे मिशन' भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति, जन-आंदोलन, उसकी बहुत बड़ी भूमिका है।

-आप सब जानते ही हैं – माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने माँ गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं। नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में ही स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा! भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु।

-पीएम मोदी ने कहा कि बारिश के बाद बिहार और पूरब के हिस्सों में छठ का महापर्व मनाया जाता है। मुझे उम्मीद है कि छठ पूजा को देखते हुए निदयों के किनारे, घाटों की सफाई और मरम्मत की तैयारीर शुरू कर दी गई होगी। हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण मुक्त करने का काम सबसे प्रयास और सबके सहयोग से कर ही सकते हैं। 'नमामि गंगे मिशन' भी आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, एक प्रकार से जन-जागृति, जन-आंदोलन की बहुत

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में ये साबरमती नदी सूख गयी थी। साल में 6-8 महीने पानी नजर ही नहीं आता था, लेकिन नर्मदा नदी और साबरमती नदी को जोड़ दिया, तो अगर आज आप अहमदाबाद जाओगे तो साबरमती नदी का पानी ऐसा मन को प्रफुल्लित करता है।

-आजकल एक विशेष E-ऑक्शन, ई-नीलामी चल रही है. ये इलेक्ट्रॉनिक नीलामी उन उपहारों की हो रही है, जो मुझे समय-समय पर लोगों ने दिए हैं. इस नीलामी से जो पैसा आएगा, वो 'नमामि गंगे' अभियान के लिए ही समर्पित किया जाता है. देश भर में नदियों को बचाने की यही परंपरा, यही प्रयास, यही आस्था हमारी नदियों को बचाए हुए है.

कभी भी छोटी बात को छोटी मानने की गलती नहीं करनी चाहिए

-कभी भी छोटी बात को छोटी चीज़ को, छोटी मानने की गलती नहीं करनी चाहिए। अगर महात्मा गांधी जी के जीवन की तरफ हम देखेंगे तो हम हर पल महसूस करेंगे कि छोटी-छोटी बातों की उनके जीवन में कितनी बड़ी अहमियत थी और छोटी-छोटी बातों को ले करके बड़े बड़े संकल्पों को कैसे उन्होंने साकार किया था।

-हमारे आज के नौजवान को ये जरुर जानना चाहिए कि साफ़-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आन्दोलन को एक निरंतर ऊर्जा दी थी। ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आन्दोलन बनाने का काम किया था, आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आन्दोलन ने एक बार फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है। और ये हमारी आदतों को बदलने का भी अभियान बन रहा है।

- आज आज़ादी के 75वें साल में हम जब आज़ादी के अमृत महोत्सव को मना रहे हैं, आज हम संतोष से कह सकते हैं कि आज़ादी के आंदोलन में जो गौरव खादी को था आज हमारी युवा पीढ़ी खादी को वो गौरव दे रही है।आज खादी और हैंडलूम का उत्पादन कई गुना बढ़ा है और उसकी मांग भी बढ़ी है। आप भी जानते हैं ऐसे कई अवसर आये हैं जब दिल्ली के खादी शोरूम में एक दिन में एक करोड़ रूपए से ज्यादा का कारोबार हुआ है

सियाचिन ग्लेशियर में आठ दिव्यांगों की टीम ने किया कमाल

पीएम मोदी ने कहा कि सियाचिन ग्लेशियर के बारे में हम सभी जानते हैं। वहां की ठंड ऐसी भयानक है, जिसमें रहना आम इंसान के बस की बात ही नहीं है। कुछ ही दिन पहले सियाचिन के इस दुर्गम इलाके में आठ दिव्यांग जनों की टीम ने जो कमाल कर दिखाया है वो हर देशवासी के लिए गर्व की बात है। शरीर की चुनौतियों के बावजूद भी हमारे इन दिव्यांगों ने जो कारनामा कर दिखाया है वो पूरे देश के लिए प्रेरणा है और जब इस टीम के सदस्यों के बारे में जानेंगे तो आप भी मेरी तरह हिम्मत और हौसले से भर जाएंगे। इन जांबाज दिव्यांगों के नाम हैं - महेश नेहरा, उत्तराखंड के अक्षत रावत, महाराष्ट्र के पुष्पक गवांडे, हरियाणा के अजय कुमार, लद्दाख के लोब्सांग चोस्पेल, तमिलनाडु के मेजर द्वारकेश, जम्मू-कश्मीर के इरफ़ान अहमद मीर और हिमाचल प्रदेश की चोन्जिन एन्गमो। सियाचिन ग्लेशियर को फतह करने का ये ऑपरेशन भारतीय सेना के विशेष बलों के veterans की वजह से सफल हुआ है। यह हमारे देशवासियों के 'Can Do Culture' 'Can Do Determination' 'Can Do Attitude' के साथ हर चुनौती से निपटने की भावना को भी प्रकट करता है

पीएम मोदी ने कहा, आज हम लोगों की ज़िन्दगी का हाल ये है कि एक दिन में सैकड़ों बार कोरोना शब्द हमारे कान पर गूंजता है, सौ साल में आई सबसे बड़ी वैश्विक महामारी, COVID-19 ने हर देशवासी को बहुत कुछ सिखाया है. Healthcare और Wellness को लेकर आज जिज्ञासा भी बढ़ी है और जागरूकता भी. हमारे देश में पारंपरिक रूप से ऐसे Natural Products प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं जो Wellness यानि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है.

खेती में हो रहे नए प्रयोग स्वरोजगार के नए साधन बना रहे

-पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर, खेती में हो रहे नए प्रयोग, नए विकल्प, लगातार, स्वरोजगार के नए साधन बना रहे हैं। पुलवामा के दो भाइयों की कहानी भी इसी का एक उदाहरण है 39 साल के बिलाल अहमद जी Highly Qualified हैं, उन्होंने कई डिग्रियां हासिल कर रखी हैं। अपनी उच्च शिक्षा से जुड़े अनुभवों का इस्तेमाल आज वो कृषि में खुद का Start-up बनाकर कर रहे हैं। बिलाल जी ने अपने घर पर ही Vermi composting की Unit लगाई है।

-इस Unit से तैयार होने वाले बायो फर्टिलाइजर से न केवल खेती में काफी लाभ हुआ है, बल्कि यह लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी लेकर आया है। हर साल इन भाइयों की यूनिट से किसानों को करीब तीन हजार क्विंटल Vermi compost मिल रहा है। पुलवामा के शेख भाइयों ने Job Seeker बनने की जगह Job Creator बनने का संकल्प लिया और आज वो जम्मू-कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश भर के लोगों को नई राह दिखा रहे हैं

पीएम मोदी ने कहा, वैक्‍सीनेशन में देश ने कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए हैं जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. इस लड़ाई में हर भारतवासी की अहम भूमिका है. हमें अपनी बारी आने पर वैक्‍सीन तो लगवानी ही है पर इस बात का भी ध्यान रखना है कि कोई इस सुरक्षा चक्र से छूट ना जाए. अपने आस-पास जिसे वैक्‍सीन नहीं लगी है उसे भी वैक्‍सीन सेंटर तक ले जाना है. वैक्‍सीन लगने के बाद भी जरूरी प्रोटोकॉल का पालन करना है. मुझे उम्मीद है इस लड़ाई में एक बार फिर टीम इंडिया अपना परचम लहराएगी.

पीएम मोदी ने कहा, दीनदयाल जी के जीवन से हमें कभी हार न मानने की भी सीख मिलती है. विपरीत राजनीतिक और वैचारिक परिस्थितियों के बावजूद भारत के विकास के लिए स्वदेशी मॉडल के विजन से वे कभी डिगे नहीं . आज बहुत सारे युवा बने-बनाए रास्तों से अलग होकर आगे बढ़ना चाहते हैं. वे चीजों को अपनी तरह से करना चाहते हैं. दीनदयाल जी के जीवन से उन्हें काफी मदद मिल सकती है. इसलिए युवाओं से मेरा आग्रह है कि वे उनके बारे में जरूर जानें.

पीएम मोदी ने कहा, बच्चो में Medicinal और Herbal Plants के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक दिलचस्प पहल की है और इसका बीड़ा उठाया है हमारे प्रोफेसर आयुष्मान जी ने. हो सकता है कि जब आप ये सोचें कि आखिर प्रोफेसर आयुष्मान हैं कौन? दरअसल प्रोफेसर आयुष्मान एक कॉमिक बुक का नाम है. इसमें अलग अलग कार्टून किरदारों के जरिए छोटी-छोटी कहानियां तैयार की गई हैं . छोटी-छोटी कहानियां तैयार की गई हैं. साथ ही एलो वेरा, तुलसी, आंवला, गिलॉय, नीम, अश्वगंधा और ब्रह्मी जैसे सेहतमंद मेडिकल प्‍लांट की उपयोगिता बताई गई है.

ओडिशा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पतायत साहू जी इस क्षेत्र में बरसों से एक अनोखा कार्य कर रहे हैं. उन्होंने डेढ़ एकड़ जमीन पर Medicinal Plant लगाए हैं. यही नहीं, साहू जी ने इन Medicinal Plants को Documentation भी किया है. आज इस कार्य में करीब चालीस महिलाओं की टीम जुटी है और कई एकड़ में एलो वेरा की खेती होती है.ओड़िसा के पतायत साहू जी हों या फिर देवरी में महिलाओं की ये टीम, इन्होंने खेती को जिस प्रकार स्वास्थ्य के क्षेत्र से जोड़ा है, वो एक अपने आप में एक मिसाल है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले अगस्त महीने में यूपीआई से 355 करोड़ लेनदेन हुए। आज औसतन छह लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता, पारदर्शिता आ रही है।



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