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- 9 मार्च को पाकिस्तान...
9 मार्च को पाकिस्तान पर मिसाइल गिरना संयोग का या फिर मिशन यूपी था, चौंका देने वाला विश्लेषण
संतोष सिंह
आज सुबह मुंबई से एक मित्र का वाट्सएप मैसेज आया मुझे लगा कि मिथिलांचल में आज भी होली मनाई जा रही है उसी का संदेशा होगा ओपेन किये तो देखते हैं कि कश्मीर फाइल्स फिल्म को लेकर अमित शाह ने जो ट्वीट किया है उसकी कॉपी है ।
पढ़ने के बाद मुझे महसूस हुआ कि खेला हो गया और फिर मैं उसको फोन किये और फिर जो बात हुई उससे समझ में आ गया कि जिस उद्देश्य के लिए कश्मीर फाइल्स फिल्म बनायी गयी है फिल्म उस उद्देश्य पर शत प्रतिशत खड़ा उतर रहा है ,एक युवा जो 2014 के लोकसभा चुनाव में नौकरी छोड़कर 15 दिनों तक दरभंगा लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी को जीताने में डटा रहा था लेकिन बाद के दिनों में मोदी के अर्थ नीति से आहत होकर 2014 के चुनाव में अपने निर्णय पर खेद व्यक्त करते हुए अक्सर कहा करता था कि मोदी का पीएम बनना देशहित में नहीं है और इसी को ध्यान में रखते हुए 2019 के चुनाव में वोट गिराने तक वो नहीं गया लेकिन आज वही लड़का कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने के बाद आज मुझे एक बार फिर से हिन्दू मुस्लिम समझा रहा है उसका वो जीन एक बार फिर से जग गया जो मोदी के अर्थनीति और रोजगार नीति को लेकर कुंद पर गया था।
फिर क्या था जोरदार बहस शुरु हो गयी तय हुआ जो मैं कह रहा हूं और जो फिल्म में दिखाया गया है उसका फैक्ट चेक कर लो पहला फैक्ट कश्मीर में कश्मीरी पंडित की क्या आबादी रही है मोतीलाल नेहरू से लेकर अनुपम खेर के पिता जैसे हजारों कश्मीरी पंडित आजादी के आन्दोलन के समय ही कश्मीर छोड़ चुके थे 1961 का आंकड़ा है कि एक लाख से अधिक कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ चुके थे रोजगार के लिए साथ ही वहां कि भौगोलिक स्थिति इतनी विकट थी कि लौट कर जाने का कोई मतलब नहीं रहा गया 1981 में घाटी में कुल आबादी का मात्र 3 प्रतिशत से कुछ अधिक कश्मीरी पंडित रह गये थे ।इस तथ्य से सहमत हो जी सहमत है आगे बढ़ोदूसरा तथ्य 1989 के बाद जो कुछ भी हुआ उसे फिल्म में दिखाया गया है कि हिंसा हिन्दू के लिए था लेकिन ऐसा नहीं है अफगानिस्तान से रूसी सेना के हटने के बाद लालवानी कश्मीर को आजाद कराने का निर्णय लिया और इसके लिए कश्मीर में रहने वाले ऐसे हिन्दू या मुसलमान हिंसा के शिकार हुए जो भारत के साथ रहना चाहते थे उसमें कांग्रेस,वामपंथ से जुड़े सैकड़ों मुस्लिम नेताओं की हत्या हुई बाद में जेकेएलएफ निशाने पर आया क्यों कि वो कश्मीर को स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे जबकि तालिबानी पाकिस्तान के साथ मिलाना चाहते थे उस दौरान भी बड़ी संख्या में मुस्लिम नेता और नागरिक मारे गये थे इस फैक्ट को चेक करना फिर बात करे वैसे एक वेब सीरीज है हाउस ऑफ कार्ड्स अमेरिका की राजनीति पर केन्द्रित है यह वेब सीरीज देखने के बाद महसूस होगा कि लोकतंत्र में सरकार बनाने के लिए किस स्तर पर खेल होता है उस जमाने का राजा यह सब देख कर हैरान रह जायेंगा कि किस तरीके से लोकतंत्र के आड़ में किस स्तर का खेल होता है । कोई सैन्य अधिकारी हो तो बात करना 9 मार्च को एक मिसाइल पाकिस्तान में गिरा था कहां ये जा रहा है कि यह मिसाइल ब्रह्मोस था और इसकी रेंज 290 किलोमीटर है किसी भी मिसाइल को छोड़ने के लिए पांच स्तर पर सुरक्षा मानक निर्धारित है रोजाना डमी प्रैक्टिस होता है लेकिन किसी भी स्थिति में फायर नहीं हो सकता है इस क्षेत्र में काम करने वाले सैन्य अधिकारियों का कहना है कि यह सम्भव ही नहीं है मिसाइल छोड़ने के लिए पांच मूड से पूरा सिस्टम को गुजरना पड़ता है, का वन, का टू, का 3, का 4 और अंत में का 5 होता है जो फायर का बटन दबाता है पूरी व्यवस्था कंप्यूटरीकृत होता है इसमें चूक का मतलब मिसाइल तकनीक का फेलियर होना है इसलिए कुछ ना कुछ खेला है ।
इसी को आधार बना कर कुछ लोगों का राय यह भी है कि 10 तारीख को यूपी में गिनती था अलग बीजेपी हार के कगार पर दिखती तो पाकिस्तान की और से जबाबी कार्यवाही तय था यूपी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के लिए इस स्तर पर काम चल रहा था मामला जो भी हो लेकिन लोकतंत्र में सत्ता में बने रहने के लिए किस किस स्तर पर खेल चलता रहता है बहुत मुश्किल है उस खेल को समझना इसलिए कश्मीर फाइल्स तो सत्ता में बने रहने वाले खेल का छोटा सा हिस्सा है इससे भी बड़े स्तर पर खेल चलता रहता है जहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल ।