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सृजन संसार की मासिक काव्य गोष्ठी,"आओ प्यार की बातें करले, बातों से ही बात बने" ।

सृजन संसार की मासिक काव्य गोष्ठी,आओ प्यार की बातें करले, बातों से ही बात बने ।
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सृजन संसार की मासिक काव्य गोष्ठी में वही काव्य रचनाओं की सरिता।

रांची।"सृजन संसार"साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की मासिक काव्य- गोष्ठी कवयित्री एवं दंत चिकित्सक डॉक्टरआकांक्षा चौधरी के निजी क्लिनिक डेंटल क्राफ्ट हिनू रांची में श्रीमती सुषमा कुमारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चंद्रिका ठाकुर "देशदीप" मंच के संरक्षक सुनील सिंह बादल एवं विशिष्ट अतिथि डॉ धर्मवीर कुमार सिंह तथा संचालन डॉक्टर आकांक्षा चौधरी ने किया। सृजन संसार के संस्थापक सह अध्यक्ष सदानंद सिंह यादव ने स्वागत उद्बोधन में मंच के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर प्रकाश डाला ।उन्होंने कहा कि वर्तमान में सृजन संसार मंच से कई स्तरीय साहित्यकार जुड़ रहे हैं ;ये बहुत ही गौरव की बात है।तत्पश्चात गोष्ठी की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं सुषमा कुमारी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई।

काव्य गोष्ठी में कवयित्री रूणा रश्मि दीप्त ने- कंकर मारा नेह का, लगा प्रीत का रंग। चंद्रिका ठाकुर देशदीप ने- आओ प्यार की बातें करले, बातों से ही बात बने, टूट गए पुल संवादों के ,कैसे कोई बात बने।रंजना वर्मा उन्मुक्त ने -कहाँ गया वो कृष्ण कन्हैया,याद उसकी आती । गीता चौबे गूंज ने - नीर के बिन है असंभव, जिंदगी संसार में। नंदनी प्रणय ने-पिता की तर्जनी पकड़ दुनिया की सभी बाधाओं को पार करना

जानती है बेटियां।

संगीता सहाय अनुभूति ने - महात्म्य की मूर्ति स्त्री है, पुरुष सदैव ही दोषी क्यूं? बिम्मी प्रसाद वीणा ने - मेहरी

तमाम तकलीफों को झेलते हुए..।रेनू वाला धार ने - मुझसे पूछो ना तुम गम की वजह गजल की प्रस्तुति दी। ऋतुराज वर्षा ने- दिल का मर्म न रूलाया करो ,हमें हमारे दर्द बढ़ाकर , डॉ रजनी शर्मा चंदा ने - ऐ कमल फूल तू है निर्मल

मैं तुझसी ही हो जाऊं ,

रंगोली सिन्हा ने पर्यावरण की सृष्टि हैं इसे बचाइए,

धरती की जान पेड़ है घर-घर लगाईये, राजीव थेपरा ने गीत गाकर वाह वाही लुटी तो डॉ आकांक्षा चौधरी ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को खूब मनोरंजन किया ।संध्या चौधरी उर्वशी ने - रिश्तो की बुनियाद जब होती है मजबूत की प्रस्तुति दी,

सदानंद सिंह यादव ने - कार्तिक महीना बड़ा पावन गे बहिना की प्रस्तुति देकर कार्तिक महीना का बखान किए। सुनील सिंह बादल ने "मां"शीर्षक पर एक कविता तथा "मंगरु" के नाम से प्रसिद्ध अपनी रचनाओं की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन सदानंद सिंह यादव ने किया।

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