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Mukesh Sahni : मुकेश सहनी भारतीय लोकतंत्र का वो चेहरा है जो अब हर गांव में मौजूद है, जानिए कैसे?

Shiv Kumar Mishra
29 March 2022 1:39 PM IST
Mukesh Sahani Update News : मुकेश सहनी भारतीय लोकतंत्र का वो चेहरा है जो अब हर गांव में मौजूद है, जानिए कैसे?
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भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था हमारे आपकी जरूरतों और मूल्यों पर कहां तक खड़ी उतर रही है यह सवाल अब उठने लगा है। आज कल हमारी मुलाकात पंचायती राज व्यवस्था में चुनकर आये प्रतिनिधियों से रोजाना हो रहा है और इस दौरान पंचायत चुनाव का मतलब क्या रह गया है इसको बेहतर तरीके से समझने का मौका भी मिल रहा है।

सुकून देने वाली बात यह है कि अब इसको लेकर चर्चा होनी शुरु हो गयी है कि इस तरीके से चुन कर आये जन प्रतिनिधियों से आप बदलाव की बात कहां तक सोच सकते हैं, संयोग से जिस इलाके में मैं घूम रहा हूं उसी इलाके का मुकेश सहनी भी रहने वाला है। मुकेश सहनी भारतीय लोकतंत्र का वो चेहरा है जो अब हर गांव में मौजूद है और ऐसे लोगों का लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है।1970के दशक में जब लोकतंत्र लोगों की जरूरतों को पूरा करने में फेल होने लगा था तो राजनीति का अपराधीकरण की शुरुआत हुई थी और बिहार में एक दौर ऐसा आया जब जनप्रतिनिधि अपराधियों के सहयोग से मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगे बाद में वही अपराधी जो नेता के लिए बूथ कैप्चर करता था वो खुद बूथ कब्जा कर मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगा।

दो दशक तक बिहार में राजनीति के अपराधीकरण का दौर काफी तेजी से आगे बढ़ा लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद धीरे धीरे यह दौर समाप्त होने लगा एक तो अपराधी भी जनता की जरूरतों पर खड़ा नहीं उतर पा रहा था वही कानून व्यवस्था बेहतर होने पर जनता को भी अपराधी से न्याय मांगने की जरुरत कम पड़ने लगी ।

लेकिन इसी दौर बिहार में चुनाव के दौरान पैसे का खेल भी शुरु हुआ और आज स्थिति यह है कि कल तक जो नेता को चुनाव लड़ने के लिए पैसा देता था वो आज खुद चुनावी मैदान में उतर गया है।और यह प्रवृति गांव से लेकर राजधानी तक लगातार बढ़ता जा रहा है इस बार के पंचायत चुनाव में हर गांव में मुकेश सहनी जैसा व्यक्ति जो मुंबई दिल्ली में अकूत संपत्ति अर्जित कर लिया है वो गांव आकर चुनाव लड़ा है और आने वाले समय में विधायक और सांसद का चुनाव लड़ना है इसकी फील्डिंग अभी से ही शुरु कर दिया है ।

ऐसे लोग करता क्या है यह जब आप समझ जाएंगे तो फिर आपको समझ में आ जायेगा कि लोकतंत्र का मतलब क्या है हालांकि इस तरह के पैसे वालो का काम करने का तरीका अलग अलग है लेकिन सभी तरीकों के पीछे जनता की जरूरतों को कैसे पूरा किया जाये और फिर उसका इस्तेमाल चुनाव के दौरान कैसे किया जाये यही रहता है ।कई ऐसे पैसे वाले है जो घोषित कर चुके हैं कि हमारे विधानसभा क्षेत्र का जो वोटर है अगर बीमार पड़ता है तो उसके दवा में जितना खर्च होगा वो मुहैया कराएगा ,महिलाओं से जुड़ी जितना भी पर्व त्यौहार आयेगा उसमें उस पर्व से जुड़ी सामग्री संभावित विधायक प्रत्याशी द्वारा मुहैया कराया जाता है ,बेटी की शादी है तो विधायक के जो संभावित उम्मीदवार है उनकी ओर से टीवी फ्रिज जैसी सामग्री मुहैया करायी जाती है। कल संयोग से ऐसे ही एक संभावित विधायक प्रत्याशी के घर पर जाने का मौका मिला गांव में पांच करोड़ का घर जरूर होगा और उसके घर पर पांच छह बड़ी गाड़ी वैसे ही खड़ी थी। गये थे एक वार्ड पार्षद से मिलने लेकिन उसके घर ठीक से बैठने का जगह तक नहीं था ,जैसे ही पहुंचे वो सीधे उसी संभावित विधायक उम्मीदवार के दरवाजे पर लेकर आ गया बाहर कुर्सी सजी हुई थी।बैठे ही थे कि गांव में आरो का पानी लेकर एक लड़का आ गया उसके ठीक पांच मिनट बाद बढ़िया नास्ता फिर शुद्ध दुध का चाय, चाय खत्म हुआ नही तब तक लौंग इलाइची लेकर खड़ा है पता चला राजनाथ सिंह राधा मोहन सिंह जैसे नेता इनके घर पिछले चुनाव में आये हुए थे। हर दूसरे तीसरे गांव में इस तरह के संभावित प्रत्याशी आपको मिल जायेगा जो पैसा के सहारे वोट की खेती शुरु किये हुए हैंं और यही वजह है कि इस बार पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को विधायक और सांसद के चुनाव से भी ज्यादा खर्च पड़ा है और इसका असर बिहार के आने वाले चुनाव में भी देखने को मिलेगा ।

वैसे बातचीत में लोग अब कहने लगे हैंं कि सरकार भी मुफ्त राशन,गैस,घर और शौचालय बना कर वोट खरीदता है तो फिर ऐसे लोगों से मदद लेकर वोट करना कहां से गुनाह है भारतीय लोकतंत्र में यह एक नया बदलाव आया है इसके सहारे लोकतंत्र कहां तक खीचता है ये देखने वाली बात होगी ।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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