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गांव शियाली में मुस्लिमों ने हमला करके गांव के चार हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर दिया
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संजय विस्फोट
बांग्लादेश में एक बार फिर चार हिन्दू मंदिरों तोड़ दिया गया है। बांग्लादेश के खुलना जिले के एक गांव शियाली में मुस्लिमों ने हमला करके गांव के चार हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर दिया। मूर्तियां तोड़कर शवाब भी हासिल कर लिया गया।
इस उपद्रव की वजह कुछ खास नहीं थी। बांग्लादेश के कुछ जिलों में हिन्दुओं की अच्छी जनसंख्या है। उसमें खुलना भी है। खुलना में 20 प्रतिशत हिन्दू हैं। इसलिए यहां गांवों में हिन्दुओं के तीज त्यौहार भी मनाये जाते हैं और धार्मिक आयोजन भी होते हैं। शियाला गांव में भी 7 अगस्त को हिन्दू महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर गांव की परिक्रमा किया था। क्योंकि गांव के रास्ते में मस्जिद भी है इसलिए उन्हें वहां से भी गुजरना पड़ा। बस, फिर क्या था इमाम की भावनाएं आहत हो गयीं।
अब क्योंकि जहां मुसलमान होता है वहां धार्मिक भावना सिर्फ मुसलमान की ही होती है इसलिए ध्यान भी सिर्फ मुसलमान की भावना का ही रखना होता है। सिर पर कलशा देख आहत इमाम ने तत्काल विरोध किया कि हिन्दू महिलाएं मस्जिद के सामने से नहीं जा सकतीं। इसलिए देखते ही देखते गांव और आसपास के मुसलमान इकट्ठा हो गये और अपनी भावनाओं का प्रदर्शन करते हुए चार मंदिर और उनकी मूर्तियों को तोड़ दिया। क्योंकि आहत भवनाएं इतने से शांत नहीं हो पा रही थीं इसलिए हिन्दुओं के मकानों और दुकानों को भी लूट लिया।
हालांकि बांग्लादेश भले ही इस्लामिक रिपब्लिक हो लेकिन शासन प्रशासन का ढांचा लगभग सेकुलर ही है। इसलिए तत्काल पुलिस कार्रवाई हो गयी। कुछ गिरफ्तारियां भी हो गयीं। लेकिन सवाल तो मुसलमानों की भावना का है? आखिर मूर्तिपूजकों से इतनी घृणा क्यों? मोमिन की भावना इतनी जल्दी आहत क्यों हो जाती है कि मस्जिद के सामने से दलित की बारात गुजर जाए तो विरोध। महिलाएं कलशा लेकर चली जाएं तो दंगा और लूटपाट? क्या इन घृणित भावनाओं के रहते समाज में भाईचारा और सद्भाव संभव है?