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रो पड़े थे नेहरू जब लता मंगेशकर ने गाया था ये गाना

रो पड़े थे नेहरू जब लता मंगेशकर ने गाया था ये गाना
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सिगरेट के फॉइल पर लिखा गया था 'ऐ मेरे वतन के लोगो, जानें-क्यों लिखा गया था गाना

ऐ मेरे वतन के लोगों...जरा आंख में भर लो पानी... लता मंगेशकर की आवाज में यह गाना भारत के हर शख्स के दिल के बेहद करीब है। 26 जनवरी हो या 15 अगस्त ये गाना कानों से सीधा दिल में पहुंचता है और आंखों में वाकई पानी ले आता है। इस गाने को बनाने से लेकर गाने तक में काफी मेहनत लगी थी। इस गाने को पहली बार सुनकर उस वक्त देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखें नम हो गई थीं। गणतंत्र दिवस के मौके पर आइए जानते हैं इस गाने से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

चीन युद्ध के शहीदों के लिए लिखा गया था गाना

लता मंगेशकर ने हजारों गाने गाए हैं, इनमें से ऐ मेरे वतन के लोगों की खास जगह है। लता ने 27 जनवरी 1963 में यह गाना दिल्ली के रामलीला मैदान में उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने गाया था। यह उन सैनिकों की याद में लिखा गया था जो कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हो गए थे।

लता ने पहले कर दिया था गाने से मना

जब लता मंगेशकर से यह गाना गाने के लिए कहा गया था तो उन्होंने मना कर दिया था। गाने के लिरिसिस्ट कवि प्रदीप ने लता को मनाया था। लता लाइव परफॉर्मेंस के पहले सिर्फ एक बार रिहर्सल कर पाए थे। लता ने खुद ये सब खुलासे, 2014 में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में किए थे।

नेहरू को लता ने रुलाया

लता ने बताया था कि जब कार्यक्रम खत्म हुआ, नेहरू उनसे बात करना चाहते थे। लता बताती हैं, पहले तो मैं नर्वस हो गई थी, मुझे लगा कि कोई गलती हो गई है। लेकिन जब मैं पंडितजी से मिली, मुझे उनकी आंखों में आंसू दिखे...उन्होंने कहा, लता तूने मुझे रुला दिया।

सिगरेट के कागज पर लिखी गईं लाइनें

DailyO की रिपोर्ट के मुताबिक, गाने को ओपनिंग स्टैंजा (ऐ मेरे वतन के लोगो, तुम खूब लगा लो नारा...) लिरिसिस्ट प्रदीप को उस वक्त सूझा था जब वह मुंबई के माहिम बीच पर वॉक कर रहे थे। उन्होंने रास्ते में किसी से पेन मांगा और अपने सिगरेट के पैकेट की फॉइल फाड़ी और लाइनें लिख लीं। प्रधानमंत्री के सामने होने वाले इवेंट में कई लोगों के गाने थे जो बहादुरी और वीरगाथा वाले थे। सिर्फ प्रदीप के गाने में जवानों के बलिदान और उनके कष्टों का जिक्र था। इस वजह से इस गाने को सरप्राइज के तौर पर रखा गया था।

अभिषेक श्रीवास्तव

अभिषेक श्रीवास्तव

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