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किसान आंदोलन से सड़क जाम पर NHRC सख्त, इन चार राज्यों को नोटिस भेज मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली। पिछले साल 25 नवंबर से विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर, दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर अपना डेरा डाले हुए हैं। अब किसान आंदोलन से सड़क जाम के कारण लोगों को हो रही परेशानियों को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने अब सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।
एनएचआरसी ने केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य ऑथोरिटीज को नोटिस जारी कर किसान आंदोलन पर रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने कहा कि उसे किसान आंदोलन को लेकर कई शिकायतें मिली हैं।
मानवाधिकार आयोग को मिली इन शिकायतों के अनुसार, किसान आंदलोन से 9000 से अधिक छोटी-बड़ी और मंझोली कंपनियों को नुकसान पहुंचा है। कथित तौर पर इन औद्योगिक इकाइयों के अलावा यातायात पर भी प्रभाव पड़ा है, जिससे यात्रियों, मरीजों, शारीरिक रूप से विकलांग लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को सड़कों पर होने वाली भारी भीड़ के कारण नुकसान उठाना पड़ता है।
बयान में कहा गया है कि ऐसी खबरें भी हैं कि किसानों के आंदोलन के कारण लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है और सीमाओं पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते हैं। आयोग ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किए हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के पुलिस महानिदेशकों और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर उनसे संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।
यह भी आरोप है कि किसानों द्वारा धरनास्थल पर कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया जा रहा है और रास्तों की नाकेबंदी के कारण वहां रहने वाले स्थानीय लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि आंदोलन में मानवाधिकारों से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं, इसलिए शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने के अधिकार का भी ख्याल रखा जा रहा है। आयोग को अलग-अलग मानवाधिकार मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसके साथ ही आर्थिक विकास संस्थान (Institute of Economic Growth, IEG) को 10 अक्टूबर तक इस आंदोलन की वजह से उद्योंगों पर पड़े प्रभाव पर एक रिपोर्ट मांगी है। साथ ही धरनास्थलों के आस-पास स्थित औद्योगिक इकाइयों के कामगारों को हो रही असुविधा और उनके अतिरिक्त खर्च पर भी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। इसके अलावा आईईजी को गाड़ियों की आवाजाही को लेकर हो रही परेशानी की जांच कर 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में एक व्यापक रिपोर्ट देने को कहा गया है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और गृह मंत्रालय से इस आंदोलन में हो रहे कोविड नियमों के उल्लंघन पर भी रिपोर्ट मांगी है। धरनास्थल पर मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ कथित गैंगरेप के मामले में डीएम झज्जर से मृतक के परिजनों को मुआवजे के भुगतान के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई थी। डीएम झज्जर को 10 अक्टूबर, 2021 तक इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क डिपार्टमेंट को लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के कारण लोगों की आजीविका, जीवन, वृद्ध और कमजोर व्यक्तियों पर इसके प्रभाव का आंकलन करने के लिए टीमों को नियुक्त करने के लिए कहा गया है। ये टीमें सर्वेक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
मानवाधिकार आयोग ने आगे कहा कि दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क और दिल्ली विश्वविद्यालय से अनुरोध है कि वे सर्वेक्षण करने के लिए टीमों की प्रतिनियुक्ति करें और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जिसमें किसानों द्वारा लंबे समय तक आंदोलन के कारण आजीविका, लोगों के जीवन, वृद्ध और दुर्बल व्यक्तियों पर प्रभाव का आकलन किया जाए, अधिकार पैनल कहा।