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एक हाथ के अजीत यादव ने हौसले से फैंका भाला, प्रतियोगिता में देश के लिए जीता गोल्ड

Shiv Kumar Mishra
18 Sept 2022 4:51 PM IST
Ajit Yadav, Ajit Yadav won Gold, Ajit Yadav won Javelin Throw gold,
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Ajit Yadav, Ajit Yadav won Gold, Ajit Yadav won Javelin Throw gold,

इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के भरथना इलाके के निवासी अजीत यादव ने अफ्रीका महाद्वीप के माराकोस ग्रांड प्रिंक्स में 6वीं अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 64.77 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. इस उपलब्धि से पहले अजीत यादव पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स चाइना 2019 स्वर्ण पदक, पैरा एथलेटिक्स वर्ल्ड चौंपियनशिप दुबई 2019 कांस्य पदक, पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स दुबई 2021 स्वर्ण पदक, पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स ट्यूनीशिया 2022 रजत पदक, इंडिया ओपन नेशनल चौंपियनशिप 2022 स्वर्ण पदक जीत चुके है.

अफ्रीका महाद्वीप के माराकेच ग्रांड प्रिंक्स में 6वीं अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स 15 सितंबर से 17 सितंबर तक आयोजित की गई. पैरा एथलेटिक प्रतियोगिता में दुनिया भर के 40 देशों के एथलेटिक्स ने प्रतिभाग किया, जिसमें भारत की ओर से प्रतिभाग कर रहे इटावा जनपद के भरथना तहसील के ग्राम साम्हो नगला विधि निवासी अजीत सिंह यादव ने 64.77 मीटर भाला फेंककर देश के नाम गोल्ड मेडल जीतकर जनपद सहित गांव का नाम रोशन किया. अजीत ने फोन पर बताया कि प्रतियोगिता में भारत के ही देवेंद्र झझरिया 60.97 मीटर भाला फेंक कर दूसरे स्थान पर रहे जबकि मोरक्को के इजजोहरी जाकराई ने 55 मीटर भाला फेंकते हुए तीसरा स्थान पाया.

बता दें कि खिलाड़ी अजीत यादव ने अपना बायां हाथ एक रेल दुर्घटना में खो दिया था. इसके बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर यह कामयाबी हासिल की. अजीत की इस उपलब्धि पर पूरा क्षेत्र गौरवान्वित महसूस कर रहा है. किसान सुभाष चंद्र यादव के बेटे अजीत सिंह यादव भाला फेंक भारतीय पैरा एथलीट खिलाड़ी हैं. वो पुरुषों की भाला फेंक, एफ-46 श्रेणी में प्रतिस्पर्धा में भाग लेते हैं.

अजीत यादव हाल में ही मध्यप्रदेश के ग्वालियर की लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन से अजीत सिंह पीएचडी कर रहे है. पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी हार ना मानने की दास्तां को बयां करती है. साल 2017 में दोस्त को बचाने की जद्दोजहद में अजीत अपना एक हाथ गंवा बैठे. एक साल तक स्वास्थ्य लाभ लिया लेकिन फिर ये आराम बैचैनी में बदल गया. पैरा ओलंपिक एथलीट के तौर पर खुद को साबित करने का संकल्प लिया. उन्होंने अपनी इच्छा सीनीयर्स से सांझा की. पहले तो सभी उनकी बात पर हैरान हुए, फिर सब उनकी जिद्द के आगे हार मान गए.

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