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पटना: अयांश सिंह का मामला विधान परिषद में भी गूंजा,16 करोड़ के इंजेक्शन की बच्चे को है जरूरत
पटनाः 10 महीने का अयांश सिंह स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी (एसएमए) नामक बीमारी से ग्रस्त है.जिसका इलाज काफी महंगा है.ऐसे में पीड़ित बच्चे का परिवार क्राउडफंडिंग का सहारा लेकर पैसे इकट्ठा कर रहे है.फिलहाल बच्चे का इलाज बेंगलुरु के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में चल रहा है.वही पीड़ित बच्चे के पिता आलोक कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में बच्चे के साथ जाकर मदद मांगने के लिए आवेदन दिया है,लेकिन अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय से कोई जवाब तक नहीं आया है.
गौरतलब है कि 10 महीने के बच्चे अयांश सिंह का मामला शुक्रवार को विधान परिषद में भी गूंजा. बीजेपी के संजय प्रकाश ने विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही यह मामला उठाया. उन्होंने कहा कि अयांश एक ऐसी दुर्लभ बीमारी का शिकार है, जो विश्व में एक-दो लोगों को ही होती है. इस बच्चे के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की लागत वाले विश्व के सबसे महंगे इंजेक्शन की जरूरत है. राज्य सरकार को इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए.
वहीं, इस मामले में नवल किशोर यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रावधान भी किया हुआ है कि वह लोगों के इलाज में मदद करती है.सरकार इस मामले में भी पीड़ित परिवार की मदद करे. कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा सरकार इस मामले को देखेगी.
मामले में अयांश की मां नेहा सिंह ने कहा है कि जब उनका बच्चा दो महीने तक का था तो वह स्वस्थ था.उसके बाद हाथ-पैर हिलना बंद होने गए. डॉक्टरों के मुताबिक ये बीमारी एक लाख बच्चे में किसी एक को होता है. मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक दो वर्ष तक ही जिंदा रह पाते हैं. इसका अगर सही ढंग से उपचार हो जाए तो बच्चे को एक नई जिंदगी से मिल सकती है.
बेंगलुरु में एक हॉस्पिटल में टाइपोरोनिया सीपी डिटेक्ट किया गया. डेढ़ माह तक बेंगलुरु में रहकर इलाज कराया,लेकिन इससे भी लाभ नहीं हुआ. इस दौरान 16 लाख से अधिक खर्च हो गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. जब हालत बिगड़ने लगी तो बेंगलुरु के एनआईएमएचएएनएस में अयांश का इलाज कराया गया. डॉक्टरों को एसएएम बीमारी की आशंका हुई और जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई.अब एसएमए के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये के एक इंजेक्शन की कहां से व्यवस्था की जाए इस सोच से परिजन परेशान हैं.