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पीयूष जैन से पूछा गया, कहां से आया 23 किलो सोना, डीआरआई को दिया ये जवाब
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डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस लखनऊ की टीम ने सोमवार को इत्र कारोबारी पीयूष जैन से जेल में पूछताछ की। करीब एक घंटे तक सवालों के दौर चले। टीम ने जानने की कोशिश की कि पीयूष के पास 23 किलो सोना कहां से आया।
इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कन्नौज स्थित फर्म पर डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) की टीम ने छापा मारकर सोने की 23 ईंटें बरामद की थीं। प्रत्येक ईंट का वजन एक किलो था। सोने की इन ईंटों पर विदेशी मुहर लगी थी। इसके बाद डीआरआई भी सक्रिय हो गई है। पीयूष जैन वर्तमान में जिला जेल में बंद है। 30 दिसंबर को डीआरआई के अधिवक्ता ने पीयूष जैन से पूछताछ के लिए स्पेशल सीजीएम की कोर्ट में प्रार्थना-पत्र दिया था। इसी प्रार्थना-पत्र पर एसीएमएम द्वितीय स्नेहा की कोर्ट में जेल में पूछताछ और लैपटॉप ले जाने की अनुमति को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने चार घंटे तक दोपहर दो से छह बजे तक पूछताछ का समय दिया और लैपटॉप व प्रिंटर ले जाने की अनुमति दी थी।
कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार शाम लगभग साढ़े चार बजे डीआरआई के सीनियर इंटेलीजेंस ऑफिसर और इंटेलीजेंस ऑफिसर समेत तीन सदस्यीय टीम जेल में दाखिल हुई। टीम के मोबाइल फोन बंद करा दिए गए थे। जेल की 15 नंबर क्वारंटीन बैरक के एक कोने में पीयूष से पूछताछ की गई। डीआरआई के अधिकारी यह जानना चाहते थे कि 23 किलो सोना कहां से आया। सोना यदि खरीदा गया तो किसके यहां से, उसके बिल बाउचर कहां हैं। ऐसे तमाम सवाल कारोबारी से किए गए। शाम लगभग साढ़े पांच बजे डीआरआई टीम कारोबारी से पूछताछ कर लौट गई। विशेष लोक अभियोजक अंबरीश टंडन ने बताया कि कोर्ट ने चार घंटे की अनुमति दी थी। अफसरों ने जेल में पूछताछ की है।
सूत्रों के मुताबिक डीआरआई टीम के किसी भी सवाल का कारोबारी ने सीधा जवाब नहीं दिया। उसने सभी सवालों के गोलमोल जवाब दिए। सूत्रों के मुताबिक टीम के जाने के बाद उसके साथ मौजूद कुछ और बंदियों ने टीम को लेकर जानकारी करनी चाही मगर कारोबारी ने किसी के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। किसी से बात किए बगैर अपनी बैरक में चला गया।
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