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PM मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में लिया नया मोड़, सुनवाई के टाइम आया इंटरनेशनल फोन और ली जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में नया मोड़ सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच के लिए समिति गठित किए जाने के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के 50 से ज्यादा वकीलों को अंतरराष्ट्रीय नंबर से फोन किया गया है। दावा किया जा रहा है कि यह फोन कॉल पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंध मामले से संबंधित थे। फोन करके पीएम की सुरक्षा में सेंध लगाने की जिम्मेदारी सिख फॉर जस्टिस(SFJ) संगठन ने ली है।गौरतलब है कि सिख फॉर जस्टिस एक खालिस्तानी संगठन है। इस संगठन को भारत सरकार प्रतिबंधित कर चुकी है। संगठन का हेडक्वार्टर अमेरिका में है। इस संगठन के कई सदस्य एनआईए के रडार पर हैं।
सुप्रीम कोर्ट के कई एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही में पंजाब के फिरोजपुर यात्रा के दौरान कथित सुरक्षा चूक के संबंध में यूनाइटेड किंगडम से धमकी भरा कॉल आया है। 5 जनवरी को फिरोजपुर में एक फ्लाईओवर को अवरुद्ध करने की जिम्मेदारी का दावा करते हुए, एक गुमनाम नंबर से, मामले में निर्धारित सुनवाई से पहले, लगभग 10:40 बजे कॉल प्राप्त हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'सुरक्षा में चूक' मामले को उच्चतम न्यायालय में उठाने के खिलाफ कई वकीलों के पास कथित धमकी भरे संदेश विदेश से भेजने का एक मामला सोमवार को सामने आया।
उच्चतम न्यायालय के वकीलों ने दावा किया है कि उनके मोबाइल फोन पर अंतरराष्ट्रीय नंबर से एक रिकॉर्डेड संदेश प्राप्त हुआ है, जिसमें कथित तौर पर शीर्ष अदालत में सुरक्षा के मुद्दे को उठाकर 'मोदी शासन' को मदद नहीं करने की अपील की गई है। वरष्ठि अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जांच कराने की मांग की है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, "सिख फॉर जस्टिस यूएसए द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एओआर (एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड) को भेजे गए ऑडियो को सावधानीपूर्वक लेना चाहिए। यह हरकत प्रचार से प्रेरित या दोषियों का बचाव करने के लिए एक धोखा हो सकती है। बावजूद इसके, यह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों/ एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के लिए परोक्ष खतरा उत्पन्न करने वाला लगता है, इसलिए तत्काल इस मामले की एनआईए से जांच करवाई जानी चाहिए।"
वकीलों ने यह भी दावा किया है कि मैसेज में पिछले सप्ताह पंजाब में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान सड़क मार्ग को अवरुद्ध करने की जिम्मेदारी भी मैसेज भेजने वाले संगठन ने कथित रूप से ली है। वकीलों का कहना है कि मैसेज में यह भी दावा किया कि 1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई थी। गौरतलब है कि एक एनजीओ 'वॉइस ऑफ लॉयर्स' की याचिका पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराने का आदेश दिया है।