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काव्य और साहित्य रचनाधर्मिता ईश्वरीय देन: रघुवर दास
जमशेदपुर। कविता अभ्यास से नहीं लिखी जाती है, यह खुद से कलमबंद होती है। काव्य और साहित्य रचनाधर्मिता ईश्वरीय देन है। यह बातें पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तुलसी भवन बिष्टुपुर में अनुपल गाता गीत पपीहा काव्य संग्रह के लोकार्पण समारोह में कहीं।
सिंहभूम जिला साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में कवयित्री माधवी उपाध्याय की काव्य संग्रह पर रघुवर दास ने कहा कि 'अनुपल गाता गीत पपीहा 'नाम को सार्थक करती है। कम शब्दों में अधिक गहरी बातें करने की कोशिश करती है।
माधवी उपाध्याय ने गंभीर सामाजिक विषयों पर जो लिखा है वो अनोखी, पठनीय, बहुमूल्य और प्रेरणादायक है। दास ने कहा कि कवयित्री ने अपने काव्य संकलन में रचनाओं का इंद्रधनूष शामिल किया है। देशप्रेम, प्रकृति प्रेम, ईश स्तुति, स्त्री मन की व्यथा, अंतर्रमन का शोर मन पर छाप छोडउन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन में धर्मयुग और दिनमान काफी पढ़ता था। राजनीति में आने के बाद साहित्य से दूरी बनी, मगर जुड़ाव और सरोकार रखा।
नारी शक्ति को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि कुटुंब व्यवस्था को आगे बढ़ाना जरूरी है। डॉ. संध्या सिन्हा जैसी सक्षम नारी शक्ति को उन्नत किया जाए। तुलसी भवन के न्यासी अरुण कुमार तिवारी एवं अध्यक्ष सुभाष चंद्र मूनका विशिष्ट अतिथि थे। अध्यक्षता भोजपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरेराम त्रिपाठी और स्वागत तुलसी भवन के महासचिव प्रसेनजीत तिवारी ने किया। वीणा पांडेय भारती ने सरस्वती वंदना और डॉ. संध्या सिन्हा ने पाठकीय प्रतिक्रिया व्यक्त किया। डॉ.अजय कुमार ओझा ने रचनाकार का परिचय, यमुना तिवारी व्यथित ने धन्यवाद ज्ञापन किया।