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- बिजली संकट में डालने...
बिजली संकट में डालने के लिए 'धन्यवाद मोदी जी' बोलना ही पड़ेगा, आप पूछेंगे कैसे ? तो यह जान ले...
देश को अभूतपूर्व बिजली संकट में डालने के लिए 'धन्यवाद मोदी जी' बोलना ही पड़ेगा,....... 70 सालो में ऐसा संकट कभी नही आया और यह संकट मोदी सरकार की अक्षमता का सीधा उदाहरण है, आप पूछेंगे कैसे ? तो वह हम आपको आगे बताएंगे !......पहले आप देश मे बिजली की उपलब्धता की वास्तविक स्थिति को ठीक से जान लीजिए.......
देश में कुल 135 बिजलीघरों में से 108 में सात दिन से भी कम का कोयला बचा है। इनमें 16 बिजलीघर कोयला खत्म होने के कारण बंद हो चुके हैं। देश में 25 पावर प्लांट ऐसे हैं, जिनमें महज एक दिन का कोयला बचा है। देश में 18 प्लांटों में 2 दिन, 14 में 3 दिन, 20 में 4 दिन और 7 पावर प्लांट में 5 दिन का कोयला बचा है...यानी ये सभी सुपर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच चुके।
राजस्थान में दो पॉवर प्लांट ( छबड़ा और सूरतगढ़ ) बंद हो गए हैं और बचे दो प्लांट (कोटा व अडानी के कवाई) में 4 दिन से भी कम का कोयला बचा है, झालावाड़ की काली सिंध पावर प्लांट 20 दिन बंद हो गया था। हरियाणा के पांच में से तीन पावर प्लांट के पास बिल्कुल भी काेयला नहीं है। दाे प्लांट में 5 दिन का काेयला शेष है।
कर्नाटक के चार पावर प्लांट में सिर्फ एक दिन का ही काेयला बचा है। झारखंड के पावर प्लांट के कुल 7 प्लांटाें में से पांच के पास में एक ही दिन का काेयला है।ओवरऑल स्थिति यह है कि देश के कुल 135 प्लांट में 165066 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। इन प्लांट में रोज 1822.6 हजार टन काेयले की खपत है। इस समय केवल 7717.5 हजार टन काेयला बचा है, जाे कि सिर्फ 4 दिन तक चल सकता है।
कटौती शुरू भी हो गयी है, यूपी के ग्रामीण इलाकों में 4 से 5 घंटे की कटौती की जा रही है राजस्थान में तो स्थिति और भी बुरी है,यह स्थिति तब की है जब हम अपनी जरूरत का 75 फीसदी कोयला खुद ही निकालते है, भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है. और कोल इंडिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। अब मजे की बात सुनिए कि कोल इंडिया ने सितंबर 2021 में रिकॉर्ड उत्पादन किया है ओर रेलवे ने साल 2021 में सबसे अधिक ढुलाई की है जिसमे सबसे बड़ा हिस्सा कोयले का ही है,
तो फिर गड़बड़ी कहा हुई ? सारी गड़बड़ी प्लानिंग की है अब सरकार कह रही है कि खपत बढ़ गई है 2019 अगस्त सितंबर में बिजली कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ रूपए यूनिट थी और 2021 में यह आंकड़ा 12 हजार 420 करोड़ प्रति यूनिट पहुंच चुका है
देश मे हर साल बिजली की माँग 7 से 10 प्रतिशत की बीच बढ़ती है यह पिछले बीस सालों से देखने मे आ रहा है इसलिए यह कोई अनोखी बात नही है जो आज मोदी सरकार को पता चल रही हैं अगर सरकार कह रही है कि अर्थव्यवस्था सुधरी है तो स्वाभाविक है कि देश में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ेगी !
इसलिए बिजली की मांग बढ़ना कोई बहाना नही हो सकता ? दरअसल दिक्कत यह है कि कोल इंडिया को कई राज्य नियमित भुगतान नही कर रहे थे, इसकी वजह से समय रहते प्रोडक्शन नही हो पाया और हालात बिगड़ते चले गए, दूसरी बात यह है कि कोल इंडिया जो कोल भेज रही है वो रद्दी क्वालिटी का है जो कोयला पॉवर प्लांट को मिल रहा है उसमे करीब 40 प्रतिशत राख मिला है , पॉवर प्लांट इससे परेशान है
इसके अलावा आस्ट्रेलिया से आने वाला अच्छी क्वालिटी का आयातित कोयला चीन के बंदरगाह पर अटका हुआ है, चीन उसे रिलीज नही कर रहा 56 इंच की सरकार इस मसले पर चुप्पी साध कर बैठ गई है..... बारिश के कारण भी कोल इंडिया की खदानों में फिलहाल पानी भर गया है
सरकारी एजेंसी का ही अनुमान है कि यह कोयला का उत्पादन छह महीने तक सामान्य नही हो पाएगा इसलिए यह संकट छह महीने तक चलेगा, ओर यह सिर्फ कटौती से ही जुड़ी बात नही है इससे देश के ओवरऑल इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर भी इफेक्ट् पड़ेगा,
दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सब वजहो से आने वाले छह महीने में घरेलू बिजली की कीमतों में भी अनाप शनाप वृद्धि होने वाली है इसके संकेत हमे मिल चुके हैं पावर कॉरपोरेशन अभी से 15 से 20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीद रहा है। इसलिए इसका असर नए टैरिफ में भी देखने को मिल सकता है। खैर आगे जो होगा वो तो होगा ही पर फिलहाल आप कैंडल लाइट में रोमांटिक डिनर प्लान कर लीजिए और ऐसे सुअवसर के लिए 'धन्यवाद मोदी जी' भी बोल दीजिए।
ग्रीस मालवीय