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स्टॉक पॉइंट के अभाव का दंश झेलता प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र
कुमार कृष्णन
मुंगेर। मुंगेर सदर अस्पताल स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र स्टाॅक पॉइंट के अभाव का दंश झेल रहा है।इसके कारण रोज बड़ी संख्या में लोग जरूरी दवाएं लेने से वंचित हो रहे हैं।लिहाजा जरूरतमंद महंगी ब्रांडेड दवाएं खरीदने को मजबूर हैं।मुंगेर प्रमंडलीय मुख्यालय है, इस कारण दूर दराज से लोग दवा खरीदने यहां आते हैं।
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों की शुरूआत लोगों को सस्ती दर पर दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई है। इसकी दवाएं और ब्रांडेड दवाओं के दामों में जमीन आसमान का अंतर होता है। कई लोगों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह ब्रांडेड दवाएं खरीद सकें।
मुंगेर सदर अस्पताल में प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र का शुभारंभ 3 मार्च 2020 में तात्कालीन सिविल सर्जन डॉ पुरूषोत्तम कुमार द्वारा आरंभ किया गया। इस केन्द्र के लिए सदर अस्पताल परिसर में एक स्थान उपलब्ध कराया गया। यह स्थान पहले गैराज हुआ करता था।इस स्थान को उपलब्ध कराने के लिए रोगी कल्याण समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने में जन औषधि कारगर सावित हो रही है इसलिए यह स्थान उपलब्ध कराया जाय। समिति ने किराया दर भी निर्धारित किया। जन औषधि केन्द्र के अच्छे नतीजे आने पर रोगी कल्याण समिति की दूसरी बैठक में स्टाॅक पॉइंट का मामला उठा और सदस्यों ने मामले को जरूरी समझते सुए इस पर सहमति व्यक्त की।
इसके पश्चात यह समिति की बैठक में फैसला लिया कि स्टाॅक पॉइंट बिक्री केन्द्र के बगल में मुहैया कराया जाय। बैठक के फैसले बाद सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और हेल्थ मैनेजर ने चालक चंद्रशेखर कुमार के नाम पत्र जारी किया। पत्र में यह कहा कहा गया था कि यह स्थल सदर अस्पताल मुंगेर में नव अधिष्ठापित जन औषधि केन्द्र के दवा भंडारण हेतु उक्त स्थल को चिन्हित किया गया है। साथ ही आदेशित किया गया कि पत्र प्राप्ति के उपरांत अविलंब खाली कर गैराज की चाभी अस्पताल प्रबंधक को सुपुर्द करें।
गैराज खाली करने में आनाकानी के कारण सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और हेल्थ मैनेजर ने फटकार लगाते हुए दूसरा पत्र जारी किया कि अविलंब गैराज खाली करें, अन्यथा राष्ट्रीय कार्यक्रम में व्यवधान उत्पन्न करने के आलोक में अग्रतर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन आज तक इस पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही गैराज खाली हुआ। केन्द्र के संचालक राकेश कुमार बताते हैं कि तात्कालीन जिलापदाधिकारी रचना पाटिल ने जब मुंगेर सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था तो वे जन औषधि केन्द्र पर भी पधारीं।
उनके निरीक्षण के क्रम में न इस समस्या से अवगत कराया बल्कि निरीक्षण के बाद ज्ञापन भी दिया। इसके बाद रोगी कल्याण समिति के सदस्य मनीष कुमार ने भी जिलापदाधिकारी का ध्यान आकृष्ट किया। लेकिन मामले में कार्रवाई नहीं हुई। मनीष कुमार के मुताबिक दिसम्बर 2020 के बाद कोई बैठक ही नहीं हुई। समिति की एक अन्य सदस्या अधिवक्ता गौरी कुमारी ने भी संबधित अधिकारी का ध्यान आकृष्ट किया।
स्टॉक पॉइंट न होने से प्रर्याप्त दवाएं उपलब्ध नहीं रहती है।
संचालक राकेश कुमार के मुताबिक जरूरी दवाओं का अभाव हमेशा बना रहता है। ऐसे में ग्राहक लौटाएं जा रहे हैं। जन औषधि और ब्रांडेड में अंतर दर्द और बुखार में दी जाने वाली एंटीबॉयोटिक दवा एसिक्लोफेनाक (पैरासिटामॉल) की 10 गोली वाली स्ट्रिप की कीमत जन औषधि केंद्र में नौ रुपये है, जबकि ब्रांडेड की कीमत 45 रुपये है। एंटीबॉयोटिक के रूप में अमोक्सिसिल्लिन-625 की कीमत औषधि केंद्र में छह गोली की स्ट्रिप 51 रुपये में मिलती है, जबकि ब्रांडेड की कीमत 160 रुपये है।
शुगर में दी जाने वाली दवा ग्लिमेप्राइड एक एमजी की 10 गोली की कीमत औषधि केंद्र में 16 रुपये है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 169 रुपये प्रति स्ट्रिप है। यही दवा दो एमजी में 15 गोली वाली स्ट्रिप की कीमत औषधि केंद्र में 24 रुपये है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 155 रुपये हो जाती है। इसी तरह इंसुलिन 71रूपये,90 रूपये,265 रूपये और 310 रूपये है। बाजार में ये काफी मंहगी है
गैस में दी जाने वाली दवा पैंटोप्राजोल की 10 गोली वाली स्ट्रिप की कीमत औषधि केंद्र में 20 रुपये है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 190 रुपये है। इसकी दूसरी दवा ओमीप्राजोल की कीमत औषधि केंद्र पर नौ रुपये है। जबकि बाजार में इसकी कीमत 40 रुपये हो जाती है। आपातस्थिति में मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने से रोकनेवाली दवा सिटीकालिन की कीमत जन औषधि में 201 रूपये है जबकि ब्रांडेड कीमत 748 रूपये है।
बीपी में दी जाने वाली दवा टेल्मीसार्टन-40 एमजी की 10 गोली वाली स्ट्रिप की कीमत औषधि केंद्र में 11 रुपये है, जबकि बाजार में इसकी कीमत 60 रुपये है। बीपी में ही टेल्मीसार्टन एच 40 एमजी की कीमत केंद्र में 15 रुपये है और बाजार में इसकी कीमत 120 रुपये है। किडनी के लिए इंसुलिन 297 रूपयें में यहां उपलब्ध है। बाजार में 1200 रूपये कीमत है।
प्रोटेस्ट (पेशाब रुक-रुक कर आना) की दवा टैमसुलोसिन 0.4 औषधि केंद्र पर 18 रुपये में 10 गोली मिलती है। यही दवा बाजार में 150 रुपये में मिलती है। टैमसुलोसिन 0.4 डस्टाराइड की 15 गोली की स्ट्रिप औषधि केंद्र पर 24 रुपये में मिलती है। बाजार में यही दवा 400 रुपये में मिल रही है। दाद की क्रीम और दवा में भी काफी अंतर है।
इट्राकोनाजोल चार गोली की स्ट्रिप 32 रुपये है। बाजार में यह 80 रुपये में मिलती है। लुलीकोनाजोल 10 ग्राम की कीमत जेनेरिक में 22 रुपये है। जबकि ब्रांडेड में यह 150-170 रुपये में मिल रही है। सेनेटरी नैपकिन यहां दस में दस पीस मिलती है।बाजार में इसकी कीमत काफी है। मुंगेर के जिला जज भी ए.के पांडेय तथा कई अधिकारी भी जन औषधि के दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
जिला अस्पताल के डॉ. रमण और डाॅ. रामकृष्ण भारद्वाज और ने बताया कि जन औषधि की दवाएं कारगार होती है। ब्रांडेड दवाओं की तरह वह भी काम करती है। फर्क इतना है कि ब्रांडेड दवाओं की मार्केटिंग ज्यादा होती है। इसलिए लोगों को लगता है कि वह दवा ज्यादा कारगार है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। जन औषधि दवाएं भी उसी तरह काम करती है, जैसे ब्रांडेड दवाएं।