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प्रचारकों के प्रचार की प्राथमिकता

प्रचारकों के प्रचार की प्राथमिकता
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टीकों की संख्या को लेकर सरकार की गंभीरता का पता टेलीग्राफ के ग्राफ से लगता है

आज के अखबारों में लोगों को टीके लगाने का रिकार्ड बनाने की खबर प्रमुखता से है। मैं आजकल अखबार नहीं देख पा रहा हूं इसलिए यह पता नहीं है कि ये रिकार्ड बनाने की कोशिशें कब से चल रही थीं या क्या कोशिशें हुईं अथवा हुई भी कि नहीं या फिर कल यह सब अचानक हो गया। आज मैं यह जानना चाह रहा था कि टीका लगाने की यह रफ्तार बनी रहेगी या सिर्फ रिकार्ड ही बनाना था - पर वह भी नहीं समझ में आया। कुल मिलाकर, खबरों से लगता है कि यह भी प्रचार का एक मौका था और कोविड के कारण हुए नुकसान से अगर प्रधानमंत्री की छवि को बट्टा लगा हो तो उनके जन्मदिन की इस उपलब्धि से उसकी कुछ भरपाई हो जाए।

प्रचार भी प्रचारकों के अपने अंदाज में है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने कल लगाए गए टीकों की संख्या 2,31,41,139 बताई है तो टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि रात 10 बजे तक यह संख्या 2.26 करोड़ थी। द हिन्दू ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय के ट्वीट के हवाले से 2.5 करोड़ लोगों को टीका लगाए जाने की खबर दी है। प्रसंगवश रात 1158 का उनका ट्वीट इस प्रकार है, Congratulations india! PM (इसमें इंडिया का आई कैपिटल होना चाहिए पर ट्वीट ऐसे ही है) @NarendraModi जी के जन्मदिवस पर भारत ने आज इतिहास रच दिया है। 2.50 करोड़ से अधिक टीके लगा कर देश और विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय लिखा है।

आज का दिन हेल्थकर्मियों के नाम रहा। #HealthArmyZindabad इससे भी यह पता नहीं चल रहा है कि यह इतिहास कैसे रचा गया और जल्दी से जल्दी सभी देशवासियों को टीका लगाने की जरूरत पूरी करने के लिए इसे कायम रखा जाएगा कि नहीं। ना ही इस ट्वीट से पता चलता है कि यह उपलब्धि कैसे हासिल हुई? क्या खास किया गया या कुछ नहीं किया गया।

इन दिनों सरकार के एक्सप्रेस प्रचारक की भूमिका निभा रहे इंडियन एक्सप्रेस ने संख्या सबसे ज्यादा 2,50,10,390 बताई है और लिखा है कि आधीरात तक का अंतरिम डाटा है। यह सेवा भावना ही होती है कि आप रात 10 बजे की खबर पाठक को देते हैं या रात 1158 पर स्वास्थ्य मंत्री का ट्वीट आने के बाद भी इंतजार करते हैं और सबसे बाद का आंकड़ा लेते हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने प्रचारक की भूमिका निभाते हुए सर्वोच्च आला अधिकारी का ही ट्वीट कोट किया है जो इस प्रकार है, (अंग्रेजी से अनुवाद मेरा) "आज के रिकार्ड टीकाकरण संख्या से प्रत्येक भारतीय को गर्व होगा।

टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए परिश्रम करने वाले डॉक्टर्स, इनोवेटर्स, एडमिसट्रेटर्स, नर्स, हेल्थकेयर और सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को मैं धन्यवाद देता हूं। आइए, कोविड-19 को हराने के लिए आइए, हम टीकाकरण को बढ़ाते रहें।" कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें जनता को कुछ नहीं करना है, सरकार जी करते रह सकते हैं और उन्हें करना भी चाहिए। पर आगे क्या होगा राम जानें।

प्रचार की इस खबर को कुछ आलोचनात्मक ढंग से अकेले द टेलीग्राफ ने छापा है। शीर्षक है, "जन्म दिन पर सुइयों की शैय्या"। इसका फ्लैग शीर्षक है, "भीष्म की बाणों की तकलीफदेह शैय्या थी, मोदी के पास एक सुखद विकल्प है"। अखबार ने कल लगे टीकों की संख्या 22.80 मिलियन यानी 2 करोड़ 28 लाख बताई है। अखबार ने लिखा है, टीकाकरण अभियान की औसत दैनिक खुराक महीने दर महीने बढ़ी है लेकिन पिछले महीने खुराक की संख्या में पहले भारी कमी हुई है और फिर कम ही चलती रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कारण, एक खास दिन ज्यादा लोगों को टीका लगाने की योजना हो सकता है। अखबार ने बताया है कि इस सरकारी काम का भाजपा नेता प्रचार कर रहे थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शाम पांच बजे के बाद ट्वीट किया, "2,00,00,000 का निशान पार कर गया"।

उन्होंने यह भी लिखा था, (अनुवाद मेरा) "यह आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में न्यू इंडिया का परावर्तन है। भारत ने दूरदर्शी और परिश्रमी नेतृत्व के साथ कोविड से लड़ने का रास्ता तय कर लिया है।" कहने की जरूरत नहीं है कि जब लोग ऑक्सीजन के बिना मरें तो कह दो हमें रिपोर्ट ही नहीं मिली, लाशें ज्यादा जलाई जाएं तो दीवार खड़ी कर दो और नदी में बहती लाशें मिलें तो प्रचारक कहें, परंपरा है और मुफ्त टीके का प्रचार, नहीं या कम लगने पर चुप्पी तथा नेता के जन्मदिन पर रिकार्ड बनाने की सरकारी कोशिश का पार्टी द्वारा प्रचार। और गोदी मीडिया का ताली बजाना। जय हो।

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