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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में चंद माह ही शेष हैं, जिसके चलते राज्य में सियासी पारा पिछ़ले कुछ दिनों से हाई है। हर राजनीतिक दल अपने सियासी पिटारे से मतदाताओं को लुभाने के लिए कुछ ना कुछ निकालकर प्रस्तुत कर रहा है, सब अपने राजनीतिक दांव को मास्टर स्ट्रोक बता रहे हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ ही देश की राजनीति में 19 अक्टूबर 2021 को उस वक्त जबरदस्त तहलका मच गया जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के संदर्भ में लखनऊ में एक प्रेस वार्ता का आयोजन करके प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में 403 सीट में 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने की घोषणा कर दी।
उत्तर प्रदेश में चुनावी नतीजे चाहें जिस पार्टी के पक्ष में भी रहें लेकिन प्रियंका गांधी के इस एक निर्णय ने भविष्य में भारतीय राजनीति का नया एजेंडा तय कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के द्वारा प्रियंका गांधी के इस निर्णय को अगर सही ढंग से उत्तर प्रदेश के साथ देश के अन्य राज्यों के टिकट वितरण व संगठन के स्तर पर अमल कर लिया गया तो प्रियंका गांधी का यह निर्णय इतिहास में दर्ज हो जायेगा। वैसे राजनीति में ईश्वर ताकत तो बहुत लोगों को दे देता है, लेकिन इतिहास बनाने का मौका चंद लोगों को ही मिलता है। देश में बहुत कम राजनेता इतने क्षमतावान हैं कि वह अपने निर्णय से देश की राजनीति की दिशा व दशा बदलकर एक इतिहास बनने वाला नया एजेंडा तय कर सकें। राजनीतिक गलियारों में लगातार चर्चाओं में बनी रहने वाली कांग्रेस की नेत्री प्रियंका गांधी ने अपने छोटे से राजनीतिक कार्यकाल में अपने एक निर्णय के माध्यम से इस कार्य की मजबूत नींव रख दी है।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के चुनावी कुरुक्षेत्र के लिए "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" का नया नारा गढ़कर, प्रियंका गांधी ने महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने की बात करके राजनीति का बड़ा सियासी दांव चल दिया है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस की नजर भाजपा के उस महिला वोटबैंक में सेंध लगाने की है, जिसको भाजपा की जीत का एक बड़ा कारक माना जाता है। आकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की सियासत में महिला वोटर लगभग 45 फीसद के साथ एक निर्णायक भूमिका में हैं, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के समय के आकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 14.40 करोड़ कुल मतदाता हैं, जिसमें से 7.79 करोड़ मतदाता पुरुष और 6.61 करोड़ मतदाता महिला हैं, जिसके हिसाब से राज्य में 45 फीसदी महिला मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग हैं।
प्रियंका गांधी की सियासी पहल के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि राज्य में महिला मतदाताओं को अपने पक्ष में आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रकार के नये-नये लोकलुभावन वायदों की झड़ी लग सकती है। यह भी तय है कि आने वाले समय में महिलाओं से जुड़े मसले हर राजनीतिक दल के मेनिफेस्टो का मुख्य महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे, महिलाओं के प्रति बढ़ता अपराध, महिलाओं की सुरक्षा का मसला एक बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। पार्टी संगठन से लेकर सत्ता में भागीदारी तक व राज्य में महिला सशक्तिकरण के कार्यों पर जमकर चुनावी चर्चा होगी। वैसे भी हर चुनावों में महिलाएं वोट देने के मामले में अन्य वर्ग के मतदाताओं से आगे रहती हैं, इसलिए किसी भी राजनीतिक दल की चुनावी सफलता में महिला मतदाताओं की हमेशा बेहद महत्वपूर्ण भूमिक रहती है।
ऐसे हालात में भी अभी तक देश के सभी राजनीतिक दलों के द्वारा टिकट वितरण के समय में महिला राजनेताओं की हमेशा अनदेखी की जाती रही है, जिसको किसी भी नजरिए से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। लेकिन प्रियंका गांधी के सियासी ट्रंपकार्ड के बाद अब उत्तर प्रदेश चुनावों में भाग लेने वालें सभी राजनीतिक दलों को महिला वोट पाने के लिए महिला उम्मीदवारों को नज़रअंदाज करना आसान नहीं हैं। प्रियंका गांधी के द्वारा 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देने का दांव चलकर, राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों में सपा, बसपा, भाजपा व अन्य सभी दलों के लिए चिंता बढ़ा दी है, अब सभी दलों पर महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा टिकट देने का दबाव बढ़ गया है, ऐसे में आने वाले समय में यह देखना है कि राज्य में राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है और प्रियंका गांधी के इस जबरदस्त सियासी दांव के जवाब में अन्य सभी राजनीतिक दल क्या दांव चल पाते हैं?
दीपक कुमार त्यागी (हस्तक्षेप)
स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक