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पीएम मोदी के बयान पार राकेश टिकैत का पलटवार, हमें 500 रुपए महीना की भीख नहीं MSP का हक चाहिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में हुए किसान सम्मेलन के जरिए नए कृषि कानूनों पर किसानों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया, लेकिन आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और उनेक नेता प्रधानमंत्री की बातों से संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "कृषि सुधार कानूनों से किसानों का क्या लाभ होगा मोदी जी ये नहीं बता पाए." साथ ही उन्होंने कानून बनाने से पहले संगठनों से बात करने की बात को भी नकार दिया है.
दिल्ली की कई सीमाओं पर अलग-अलग किसान संगठन डटे हुए हैं. वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा भारतीय किसान यूनियन के हाथ में है. बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पीएम मोदी स्टोक के लिए एक ढांचे की बात कर रहे हैं, लेकिन इसकी अपील कॉरपोरेट से की जा रही है. इसका मतलब साफ है कि मोदी सरकार किसान को नहीं बल्कि खेती से जुड़े बिजनेसमैन को बढ़ावा दे रही है. उन्होंने कहा, "सरकार खेती में निजीकरण को बढ़ावा दे रही है. नवरत्न कंपिनयों के निजीकरण के बाद मोदी जी की नजर अब खेती के निजीकरण पर है."
टिकैत ने कहा कि कानून लाने से पहले किसानों के साथ चर्चा की बात गलत है. इस मामले पर किसान संगठनों से कोई चर्चा नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि इन कानूनों में मंडी से बाहर फसल बेचने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिलेगा, इस बात का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है.
"BJP ने बदला स्वामीनाथन रिपोर्ट का फॉर्मूला"
वहीं स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लेकर राकेश टिकैत ने कहा, "स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का दावा सरासर झूठ है." उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट की सिफारिशों में फसल की लागत में C2+50 फीसदी जोड़कर देने को कहा गया है. बीजेपी ने चालाकी दिखाकर फार्मूला बदलकर A2+FL कर दिया, जिससे किसानों में हक मारा जा रहा है. हमें 500 रुपए महीना की भीख नहीं समर्थन मूल्य का हक चाहिए.
बीकेयू प्रवक्ता ने कहा कि आज भी दलहन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं होती है. बुंदेलखंड की मंडी इसका उदाहरण है और इस कारण बुंदेलखंड में दलहन का किसान आत्महत्या कर रहा है. उन्होंने आगे कहा, "मोदी जी से आज भी देश का किसान निराश हुआ है."
वहीं गन्ना किसानों का बकाया चुकाने के मामले पर टिकैत ने कहा, "गन्ना किसानों को 16 करोड़ की मदद की जा रही है. मोदी जी के संबोधन में ये सबसे बड़ा झूठ था." उन्होंने कहा कि यह मदद नही शुगर मिल पर किसानों का बकाया है. उसका भुगतान शुगर मिल को करना था, अगर सरकार उसको दे रही है, तो इससे किसान को नहीं बल्कि शुगर मिल को मदद मिल रही है. सरकार अगर इसे इंसेंटिव के रूप में देती, तो कोई लाभ होता.