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पढ़िए दादा माहेश्वर तिवारी जी का नवगीत, तिनका होना

Desk Editor
24 July 2021 8:53 AM IST
पढ़िए दादा माहेश्वर तिवारी जी का नवगीत, तिनका होना
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तिनका होने का अर्थ

धूप थे, बादल हुए,

तिनके हुए

सैकड़ों हिस्से

गए दिन के हुए

ढल गई

किरनों नहाई दोपहर

दफ्तरों से

लौटकर आया शहर

हम कहीं

उनके हुए

इनके हुए

उदासी की

पर्त-सी जमने लगी

रेंगती-सी

भीड़ फिर थमने लगी

हाथ कंधों पर पड़े

जिनके हुए

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