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- "देवधरा–हिमाचल" पुस्तक...
"देवधरा –हिमाचल" पुस्तक प्रदेश ही नहीं देश के लिए भी उपयोगी संदर्भ है – श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर , राज्यपाल , हिमाचल प्रदेश
"अच्छी पुस्तकें पढना जरुरी है और यह एक अभियान बनना चाहिए, किसी घर में रखी पुस्तकें- पतिकाएं नई पीढ़ी के चरित्र निर्माण में सहायक होती हैं- क्यों न हम सभी महीने में एक बार किसी विद्यालय में जा कर लोगों को पुस्तकें पढने के लिए प्रेरित करें ". यह उदगार थे हिमाचल प्रदेश के माननीय राजपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के . वे राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक "देवधरा हिमाचल प्रदेश" के शिमला स्थित होटल होलीडे होम के सभागार में संपन्न विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे . माननीय राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक न केवल राज्य के लोगों के लिए, बल्कि राज्य में विभिन्न प्रयोजन से आने वाले लोगों के लिए भी एक त्वरित संदर्भ पुस्तिका है , श्री अर्लेकर ने इस पुस्तक के लोकार्पण को एक मणिकांचन योग निरुपित किया क्योंकि यह देश की स्वतन्त्रता का अमृत महोत्सव, हिमाचल प्रदेश की स्थापना का स्वर्ण महोत्सव का युग्म हैं .
कार्यक्रम का प्रारंभ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के निदेशक युवराज मलिक ने बताया कि परयह हमारी पुस्तकों का लोकार्पण दिल्ली स्थित मुख्यालय में होता है लेकिन जब देखा कि यह पुस्तक हिमाचल प्रदेश पर है और माननीय राज्यपाल ने इसके लोकार्पण की अनुमति दी तो हमारे लिए यह सौभाग्य की बात थी . इस किताब की खूबसूरती इसकी सरलता है और इसे कोई भी आम आदमी को समझने में सहजता होगी . पिछले 65 वषों से नेशनल बुक ट्रस्ट पचास से अधिक भाषाओँ में देश के हर आयु वर्ग के लिए उत्कृष्ट पुस्तकें प्रकाशित कर देश के नोलेज पार्टनर के रूप में अपनी भूमिका निभाता रहा है . आयोजन में रा पु न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर गोविन्द प्रसाद शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि किस तरह किसी किताब का विमोचन महज लेखक ही नहीं बल्कि पाठा, प्रकाशक और आलोचक सभी के लिए आनंद का अवसर होता है .प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि पुस्तकों का संसार ही अलग होता है- यह फ्रेंड, फिलोसोफर और गाईड होती हैं , पुस्तकें विचारों के विकल्प प्रस्तुत करती हैं , प्रजातान्त्रिक समाज सदैव विकल्पों की तलाश में रहता है और पुस्तकें विकल्पों की पूर्ति करती हैं.
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने इस अवसर पर कहा कि यदि किसी पुस्तक का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट से हो रहा है तो यह उसकी सार्थकता और सामयिकता का प्रमाण हैं . श्री सिंह ने राज्य के पिछले पचास वर्षों की विकास यात्रा को अतुलनीय बताते हुये आने वाले दस सालों में राज्य की जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण में महत्पूर्ण भूमिका का उल्लेख किया .
पुस्तक की लेखिका डॉ रचना गुप्ता ने इसके सृजन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गत बीस साल के पत्रकारिता जीवन में उन्होंने महसूस किया कि हर दिन ख़बरों की खाई से कुछ नया निकलता है लेकिन अगले दिन वह गुम हो जता है , उन्होंने अपने ऐसे ही अनुभवों को पुस्तक के रूप में ढालने का प्रयास किया है डॉ गुप्ता ने खान कि हिमाचल प्रदेश के विकास की यात्रा बेहद कठोर पाषाण को तोड़ कर आगे बढ़ी है और इसमें सभी दौर की सरकारें, राजनेता, नौकरशाही की सामान महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेखिका ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री श्री परमार की कई स्मृतियाँ साझा कीं . कार्यक्रम का सञ्चालन न्यास की पंजाबी सम्पादक सुश्री नवजौत कौर ने किया