- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- विविध
- /
- मनोरंजन
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- राधे माँ के बेटे आए...
राधे माँ के बेटे आए सामने और दी चौंकाने वाली जानकारी
रणदीप हुड्डा स्टारर फिल्म 'इंस्पेक्टर अविनाश' में अहम रोल निभा रहे हरजिंदर सिंह मुंबई में पिछले पांच साल से स्ट्रगल कर रहे हैं. हरजिंदर की एक पहचान ये भी है कि वे राधे मां के बड़े बेटे हैं. वे अपनी ये पहचान सार्वजनिक करने से बचते रहे हैं. हालांकि एक चैनल से बातचीत में उन्होंने इसपर खुलकर बात की.
हरजिंदर बताते हैं कि मां के यहां आने के कुछ सालों बाद उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. यहां आकर वो एक्टिंग में अपने करियर की तलाश में लग गए. हालांकि इस इंडस्ट्री का अंदाजा उनको बिल्कुल नहीं था. लोग जैसा बताते गए, वो वैसा करते रहे. पिछले पांच-छह साल से ऑडिशन देते आ रहे हरजिंदर को अब जाकर कुछ रोल्स मिलने शुरू हुए हैं. इंस्पेक्टर अविनाश के बाद वो दीपक तिजोरी के डायरेक्शन तले बनी फिल्म 'टिप्सी' में नजर आने वाले हैं.
रणदीप हुड्डा संग काम करने के एक्स्पीरियंस पर हरजिंदर कहते हैं, वो वाकई में चलता-फिरता इंस्टीट्यूट हैं. उनसे आप बात नहीं भी करो, तो देख-देख कर ही ट्रेनिंग ले लेते हो. मेरी खुशनसीबी है कि उनके साथ काम करने का मौका मिला. अपने स्ट्रगल पर हरजिंदर कहते हैं कि मुझे यहां की एक बात बहुत अजीब लगती है कि लोग यहां ऑडिशन के बाद आपको क्लैरिटी नहीं देते. 'देखते हैं', 'कुछ करेंगे' कहकर भेज देते हैं. पहले लगता था कि शायद ये कुछ अपडेट देंगे. लेकिन ये सब कहने के बाद ये सालों-साल गायब हो जाया करते थे. इंतजार में ही मेरे सालों गुजर गए.