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कबीर मठ की जमीनों को महंतों के नाम करने को राज्य के धार्मिक ट्रस्ट बोर्ड ने अवैध करार दिया
पटना। बिहार में कबीर मठ की हजारों करोड़ की जमीनों को महंतों के नाम करने को राज्य के धार्मिक ट्रस्ट बोर्ड ने अवैध करार दे दिया है। बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने कहा कि 'कबीर-पंथियों' (एक संप्रदाय जो मध्ययुगीन संत कबीर दास का अनुयायी है) से संबंधित सैकड़ों करोड़ रुपये की भूमि महंतों (मंदिर प्रमुखों) और अन्य लोगों द्वारा अवैध ढंग से हस्तांतरित की गई है। महंत इन जमीनों के मालिक नहीं हो सकते।
बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड ने फैसला सुनाया कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैली मठ की भूमि को पूरे संप्रदाय की माना जाएगा। इन जमीनों पर विभिन्न महंतों की मालिकी के दावों को अवैध माना जाएगा। बोर्ड के इस आदेश से कबीर मठों की जमीन की व्यापक अवैध बिक्री और खरीद पर रोक लगेगी। जैन ने कहा कि समस्तीपुर, सीवान, वैशाली और वाराणसी के चार कबीर मठ के प्रमुखों से परामर्श करने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
बोर्ड के अध्यक्ष जैन ने कहा कि राज्य में कबीर मठ की संपत्तियों के राजस्व रिकॉर्ड में कई विसंगतियां हैं। कुछ केस में संबंधित मठों के 'महंतों' के नाम पर संपत्ति पंजीकृत थी, जो अवैध है। अब हम इस प्रथा की अनुमति नहीं देंगे और निर्देश दिया गया है कि इन मठों की संपत्तियों का स्वामित्व केवल संप्रदाय के पास होना चाहिए।
एक बार कबीर मठों की जमीन पंथ के नाम पंजीकृत हो जाने के बाद किसी व्यक्ति या महंत के लिए उसे बेचना संभव नहीं होगा। राज्य में अपंजीकृत कबीर मठों को भी बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के साथ पंजीकृत होने के निर्देश जारी किए गए हैं। मौजूदा बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम 1950 के अनुसार, राज्य के सभी धार्मिक ट्रस्टों को बोर्ड के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिए।
बिहार में कबीर मठों की लगभग 50 प्रतिशत भूमि पहले ही इन मठों के प्रमुखों या व्यक्तियों ने बेच दी है। वर्ष 2017 में कबीर मठ, ब्रह्मपुर, मुजफ्फरपुर के महंत ने मठ से संबंधित 19 एकड़ भूमि (कई करोड़ मूल्य) को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन से संपर्क किया था, क्योंकि इसे स्थानीय भू-माफिया ने कब्जा कर लिया था। बोर्ड बिहार में कबीर मठों की संख्या व उनकी जमीन-जायदाद की विस्तृत सूची तैयार करने का प्रयास कर रहा है।