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Sanitation Workers Death: सीवर में सफाई कर्मचारियों की मौत का जिम्मेदार कौन?

Sanitation Workers Death: सीवर में सफाई कर्मचारियों की मौत का जिम्मेदार कौन?
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Sanitation Workers Death

-राजधानी दिल्ली के संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में मंगलवार शाम एमटीएनएल केबल की मरम्मत के लिए गहरे सीवर में उतरे तीन कर्मचारियों समेत चार लोग जहरीली गैस में दम घुटने से बेसुध हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई।

-मृतकों में दो मजदूर थे जो एमटीएनएल के कॉन्ट्रैक्ट पर सीवर लाइन में तार बिछाने का काम कर रहे थे। वहीं, एक ठेकेदार सुरेश और एक रिक्शा चालक सतीश था जो घटना के वक्त वहीं मौजूद था।

-जब यह मजदूर सीवर लाइन के अंदर फंस गए तो सतीश इनकी आवाज सुनकर उनको बचाने के लिए आया और वह भी इस हादसे का शिकार बन गया।

गौरतलब है मंगलवार दोपहर करीब 11:00 बजे दो मजदूर बच्चू सिंह और पिंटू सीवर लाइन के अंदर तार बिछाने का काम कर रहे थे, लेकिन करीब 2 घंटे तक जब वो बाहर नहीं आए तब उनके ठेकेदार सुरेश कुमार भी उनको बचाने के लिए उसी सीवर लाइन में चले गए और काफी देर तक वह भी बाहर नहीं आए। शाम करीब 4:00 बजे सड़क की दूसरी तरफ एक रिक्शा चालक सतीश खड़ा था उसने सीवर लाइन के अंदर कुछ लोगों को फंसे देखा तो वह भी उन्हें बचाने के लिए अंदर चला गया और उसके बाद वह भी बाहर नहीं आया। इस मामले की सूचना जब पुलिस को मिली तो दिल्ली पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर दिल्ली फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और NDRF की टीम के साथ मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। रात करीब 3:00 बजे चारों लोगों को सीवर लाइन से बाहर निकालकर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने इन सभी को मृत घोषित कर दिया।

मैनहोल करीब दस फीट गहरा है। दमकल कर्मियों ने ऑक्सीजन मास्क लगाकर नीचे उतरने का प्रयास किया, लेकिन मैनहोल काफी संकरा था। इसकी वजह से उनके खुद के अंदर फंस जाने का खतरा था। काफी प्रयास के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने फैसला किया कि मैनहोल को तोड़कर सभी को निकाला जाए। स्थानीय प्रशासन की मदद से तुरंत एक जेसीबी को मौके पर बुलाया गया। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि सीवर में फंसे लोगों की पहचान बच्चू सिंह, सूरज कुमार साहनी, पिंटू और रिक्शा चालक सतीश के रूप में हुई ।

मृतक रिक्शा चालक सतीश के परिजनों का कहना है कि सतीश हमेशा से ही लोगों की मदद करने के लिए आगे रहता था। सतीश के परिवार में उसकी पत्नी समेत तीन छोटी बेटियां भी हैं। सतीश का परिवार सरकार से मांग कर रहा है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार सतीश के परिजनों को आर्थिक मदद दे ताकि सतीश का परिवार आगे अपना जीवन बिता सके। उसकी तीन छोटी बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 11 साल की, दूसरी 7 साल और सबसे छोटी बेटी 1 साल की है।

लखनऊ-रायबरेली: सीवर लाइन में उतरे चार मजदूरों की दम घुटने से मौत

सीवर लाइन की सफाई के दौरान लखनऊ और रायबरेली में दो-दो मजदूरों की मौत हो गई। लखनऊ के सहादतगंज में 3 मजदूर सफाई के लिए सीवर लाइन में उतारे जहां दो की दम घुटने से मौत गई जबकि तीसरे को गंभीर हालत में एक नजदीक के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।

वहीं, रायबरेली के मनिका रोड पर अमृत योजना के तहत निर्मित सीवर लाइन की सफाई के दौरान दो मजदूरों की मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार लखनऊ के सहादतगंज में सफाई कर्मचारी बिना उपकरण के ही सीवर लाइन में उतर गए थे, जिससे ये हादसा हो गया। सफाई कर्मचारियों के मौत के बाद उनके घर में कोहराम मच गया है। घटना के बाद महापौर ने गहरा दुख प्रकट किया और जिम्मेदार कर्मचारियों/अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही का आदेश दिए।

इससे पहले रायबरेली के मनिका रोड पर सीवर लाइन की सफाई के दौरान दो मजदूरों की मौत हो गई। लखनऊ में एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों की मौत पर दुख जताया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को हर संभव मदद देने के निर्देश दिए।

सफाईकर्मियों की मौत के बाद अफसरों पर सख्त हुई योगी सरकार, दिया यह आदेश

लखनऊ और रायबरेली में सीवर सफाई के दौरान कर्मचारियों की मौत पर योगी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। नगर विकास विभाग ने लखनऊ और रायबरेली में सीवर सफाई के दौरान घटी घटनाओं पर रिपोर्ट मांगी है। अपर मुख्य सचिव नगर विकास रजनीश दुबे ने डीएम रायबरेली और लखनऊ नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से घटना की पूरी जानकारी मांगी है। कहा गया कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सैकड़ों कर्मचारियों की हो चुकी है मौत

- बीते कुछ सालों में मैनुअल स्‍कैवेंजिंग यानी हाथ से नालों की सफाई करते हुए सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई है।

- 2020 में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संस्था राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने डराने वाले आंकड़े बताए थे। उसने कहा था कि 2010 से मार्च 2020 तक सीवर सफाई के दौरान 631 लोगों की मौत हुई।

-आंकड़ों के अनुसार, 2019 में सीवर की सफाई के दौरान 110 लोगों ने जान गंवाई। इसी तरह 2018 में 68 और 2017 में 193 मौतें हुईं।

मामले से जुड़े लोग क्या है कहना

सफाई के लिए आधुनिक मशीनों की सुविधाएं नहीं होने और ज्यादातर जगहों पर अनुबंध की व्यवस्था होने से सफाईकर्मियों की मौतें हो रही हैं। अनुबंध की स्थिति में सरकारें सफाईकर्मियों के हितों का उचित ध्यान नहीं रखती हैं। दिल्ली और हरियाणा जैसे कुछ राज्यों ने सीवर की सफाई के लिए मशीनों का इस्तेमाल शुरू किया है। हालांकि, ऐसी व्‍यवस्‍था पूरे देश में नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है फटकार

कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई थी। देश की सबसे बड़ी अदालत ने तब कहा था कि कोई भी देश अपने लोगों को मरने के लिए गैस चैंबर में नहीं भेजता। आजादी के इतने साल बाद भी मैनुअल स्‍कैवेंजिंग जारी है। यह दिखाता है कि देश में भेदभाव बना हुआ है। सभी बराबर हैं। लेकिन, सरकारें बराबर सुविधाएं नहीं दे रही हैं।

क्‍या कहते हैं नियम?

मैनुअल स्‍कैवेंजिंग एक्‍ट 2013 के तहत सीवर में सफाई के लिए किसी भी व्‍यक्ति को उतारना पूरी तरह गैर-कानूनी है। एक्‍ट में इस पर रोक का प्रावधान है। किसी खास स्थिति में अगर व्‍यक्ति को सीवर में उतारना ही पड़ जाए तो उसके लिए कई तरह के नियमों का पालन जरूरी है। मसलन, जो व्‍यक्ति सीवर की सफाई के लिए उतर रहा है, उसे ऑक्सिजन सिलेंडर, स्‍पेशल सूट, मास्‍क, सेफ्टी उपकरण इत्‍यादि देना जरूरी है। अमूमन इन नियमों की अनदेखी होती है।


अभिषेक श्रीवास्तव

अभिषेक श्रीवास्तव

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