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22 मार्च को राजस्थान भर के सरपंच जयपुर में विधानसभा का घेराव करेंगे
22 मार्च को राजस्थान भर के सरपंच जयपुर में विधानसभा का घेराव करेंगे। इसके लिए जिला सरपंच संघों के माध्यम से जिला स्तर पर बैठक हो चुकी हैं। राजस्थान सरपंच संघ के संरक्षक महेंद्र सिंह मझेवला ने बताया कि सरपंचों की समस्याओं की ओर कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ध्यान आकर्षित किया गया, लेकिन आज तक भी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली राशि में लगातार कटौती की जा रही है, जिसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। मनरेगा में पिछले डेढ़ वर्ष से सामग्री के पेटे मिलने वाली राज्य सरकार की राशि नहीं मिली है। इससे भी ग्रामीण क्षेत्रों के कामकाज प्रभावित होते हैं। मझेवला ने बताया कि मनरेगा में लेबर का भुगतान पूरी तरह केंद्र सरकार करती है। लेकिन सामग्री में 60 और 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
राज्य सरकार अपने हिस्से की चालीस प्रतिशत की हिस्से की राशि का भुगतान नहीं कर रही है। गांव ढाणी में रहने वाले किसान के लिए बिजली कनेक्शन, पक्की सड़क जैसी सुविधाएं भी नहीं है। मजबूरन फ्लोराइड वाला पानी पीना पड़ रहा है। विधानसभा में विधायकों के वेतन और भत्ते तो बढ़ा लिए जाते हैं, लेकिन सरपंच को आज भी चार हजार रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है। 13 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर ही 22 मार्च को प्रदेशभर के सरपंच विधानसभा का घेराव करेंगे। मझेवला ने बताया कि प्रदेश में 13 हजार सरपंच हैं, इनमें से 10 हजार से भी ज्यादा सरपंच जयपुर पहुंच रहे हैं। मझेवला ने कहा कि यदि सरकार ने सुनवाई नहीं की तो सरपंचों का धरना प्रदर्शन बेमियादी भी हो सकता है। सरपंचों के प्रदर्शन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829736235 पर महेंद्र सिंह मझेवला से ली जा सकती है।
बेरोजगार युवाओं को खदेड़ा:
21 मार्च को जयपुर में राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के घर के बाहर धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं को पुलिस ने खदेड़ दिया। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव सहित कई धरनार्थियों को हिरासत में ले लिया गया। यादव ने पुलिस के इस कृत्य की निंदा करते हुए बताया कि 4 दिसंबर 2021 को लखनऊ में धर्मेन्द्र राठौड़ की मध्यस्थता में ही बेरोजगारों के साथ समझौता हुआ था।
बाद में इस समझौते पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी सहमति प्रकट की, लेकिन साढ़े तीन माह गुजर जाने के बाद भी समझौते की क्रियान्विति नहीं हुई इसलिए 21 मार्च को धर्मेन्द्र राठौड़ के घर के बाहर धरना दिया गया। लेकिन पुलिस ने सरकार के इशारे पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। बेरोजगारों की मांग को लेकर लगातार प्रदेश में आंदोलन चल रहा है, लेकिन सरकार कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रही है, जिसकी वजह से हजारों बेरोजगार सरकारी नौकरियां पाने से वंचित हैं। सरकार के अनिर्णय की वजह से ही अनेक भर्तियां रुकी हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER